क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश को स्त्री बनना पड़ा, अगर नहीं तो आप इस लेख को पूरा पढ़िए ! इस में आपको Vinayaki Ganesh के बारे में बहुत कुछ पढनें को मिलेगा !
हमारी सनातन परंपरा अर्धनारीश्वर को मानने वाली निराली ही है ! यहां भगवान शिव की पूजा होती है तो शक्ति की भी ! सनातन परंपरा मे विष्णु जी का मोहिनी अवतार है ! तो गणेश जी का स्त्री अवतार Vinayaki Ganesh भी !
आपको अगर आज तक ये बात मालूम नहीं तो यह जानकारी आपके लिए हैरत भरी हो सकती है ! भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायकी क्यों पड़ा ! भगवान गणेश जी ने एक बार स्त्री का रूप धारण क्यों किया ? कैसे गणेश का स्त्री रूप प्रकट हुआ ?
या विनायकी नाम की कोई और देवी महिला गणेशजी जैसी दिखाई देती थी ! तो क्या है रहस्य रहा होगा भगवान गणेश के स्त्री स्वरूप का ! आओ जानते हैं ! भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायकी के बारे मे :-
भारत भूमि में तमाम धर्म पंथों में शक्ति की पूजा अहम रही है ! इसीलिए यहां लगभग हर देवता के स्त्री स्वरूप की आराधना भी की गई है ! स्त्री रूपी गणेश यानी भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम Vinayaki Ganesh की मूर्तियां विश्व भर में कई जगह मिली हैं !
और कई मंदिरों में वर्तमान समय में भी आप उनके दर्शन कर सकते हैं ! गणेश जी के विनायकी रूप को सबसे पहले 16वीं सदी में पहचाना गया ! यह बात बहुत लोगों को मालूम नहीं है ! कि गणेश जी के पुरुष रूप के बजाय उनके स्त्री रूप की भी पूजा होती है ! विनायकी की पूजा करना गुप्त काल से ही शुरू है !
हमारे सनातन ग्रंथ मत्स्य पुराण और विष्णु-धरमोत्तर पुराण की माने तो जब आंदोक नाम का राक्षस माता पार्वती जी के हरण करने की कोशिश कर रहा था ! उस समय भगवान शंकर का त्रिशूल माता पार्वती को लग गया ! त्रिशूल लगने के कारण जो रक्त माता पार्वती का जमीन पर गिरा !
वो रक्त दो भागों में आधी स्त्री और आधा पुरुष का विभाजित होकर गिरा ! तो उससे उत्पन्न स्वरूप को गणेशानी के नाम से जाना गया ! वनदुर्गा उपनिषद में भी इनका वर्णन मिलता है ! धर्मोत्तर पुराण में इन्हें विनायकी नाम से संबोधित किया गया है !
एक अन्य पौराणिक कथा के अनुसार अंधक नाम का एक माता पार्वती को अपनी अर्धांगिनी बनाना चाहता था ! जब अंधक माता पार्वती के पास विवाह का प्रस्ताव ले कर गया, तो माता उस पर क्रोधित हुई ! और उसअसुर अंधक का प्रस्ताव ठुकरा दिया।
माता के इस निर्णय से नाराज अंधक दैत्य ने बलपूर्वक माता पार्वती का हरण करने का प्रयास किया ! तब माता पार्वती ने अपनी रक्षा के लिए अपने पति भगवान शंकर जी को पुकारा ! भगवान शंकर ने अपने त्रिशूल से उस अंधक नाम का असुर उसका वध तो कर दिया !
लेकिन उस असुर की मायावी ताकत के कारण जब उसका खून पृथ्वी पर गिरा ! तो उसके हर एक खून की बूंद से राक्षसी ‘अंधका’ पैदा हो गई ! कहने का अर्थ यह है कि वह भी रक्तबीज की तरह का दानव था ! जब उसके खून की बूंद पृथ्वी पर गिरती थी तो यह राक्षसी अंधका बन जाती थी ! अब भगवान शंकर के सामने एक नयी समस्या उत्पन्न हो गई !
ऐसे विकट समय में माता पार्वती की बुद्धि जागृत हुई ! क्योंकि माता पार्वती को यह मालूम था कि प्रत्येक स्त्री के भीतर पुरुष और प्रत्येक पुरुष के भीतर स्त्री विद्यामान है ! माता पार्वती ने सभी देवताओं का आह्वान किया !
माता के आह्वान से सभी देवताओं ने अपने-अपने स्त्री स्वरूप को पृथ्वी पर अवतरित किया ! इंद्र ने इंद्राणी, ब्राह्मा ने ब्रह्माणी, विष्णु ने वैष्णवी शक्ति को धरती पर भेजा ! और गणेशजी ने Vinayaki Ganesh को भेजा !
इसी तरह सभी देवताओं ने भी अपनी-अपनी स्त्री स्वरूप शक्ति को पर भेजा ! देवताओ के वो स्त्री स्वरूप पृथ्वी पर गिरने वाली हर एक खून की बूंद को वे पी सकें ! तब उस राक्षसी ‘अंधका’ का अंत हुआ !
हमारे धार्मिक और पौराणिक कथाओं में इस बात का वर्णन मिलता है ! सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा जी से लेकर देवताओ के राज्य इंद्र और राम भक्त हनुमान जी व महाभारत में भी अर्जुन ने भी जरूरत पड़ने पर स्त्री रूप धारण किया था !
इसी प्रकार एक बार भगवान गणेश ने भी जरूरत पड़ने पर अपने स्त्री स्वरूपी विनायकी के रूप मे अवतार लिया था ! धर्मोत्तर पुराण में विनायकी के इस रूप का वर्णन भी मिलता है ! और वन दुर्गा उपनिषद में भी भगवान गणेश के स्त्री रूप गणेश्वरी का उल्लेख किया गया है !
भगवान गणेश को आखिर क्यों लेना पड़ा स्त्री रूप, इस कहानी के बारे में आगे हम जानते है !
सनातन धर्म में सभी देवी-देवताओं में गणेशजी सर्वप्रथम पूजनीय देवता हैं ! गणेशजी के भी कई नाम है जैसे विनायक, गजानन, गणपति, गजमुख आदि ! लेकिन क्या आप जानते हैं कि सर्वप्रथम पूजनीय भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायकी भी है !
जिसको विनायकी के नाम से जाना जाता है ! गणेश जी का विनायक नाम भी उनके इस स्त्री स्वरुप से ही पड़ा है ! प्रथम पूजनीय भगवान गणेश जी का स्त्री रूप विनायकी, जिसको कई नामों से भी जाना जाता है !
जिनमें प्रमुख नाम विनायकी, गणेशनी, Vinayaki Ganesh, गणेशी, गजानंद, विघ्नेश्वरी, गजाननी, गजरूपा, गजनीनी, गणेश्वरी, गजमुखी, रिद्धिसी, स्त्री गणेश, और पीतांबरी जैसे कई अलग-अलग नामों से हमारे सनातन ग्रंथों में लिखा गया है ! इसके अलावा भी कई अन्य नामों से जाना जाता है !
दोस्तों, भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम Vinayaki Ganesh के इस स्वरूप पर कई विद्वानों के इस विषय पर अलग अलग मत है ! सदियों से हिन्दू संप्रदाय के अलावा और भी पंथ में गणेश जी के स्त्री रूप की अराधना की परंपरा रही है !
गणेशजी का स्त्री रूप विनायकी अवतार को मदुरै, तमिलनाडु और व्याग्रपदा में गणपति के रूप में पूजा की जाती है ! तो वहीं हमारे पड़ोसी देश तिब्बत में गणेश जी के स्त्री स्वरूप की पूजा होती है !
यहां इनको गणेशानी कहकर पुकारा जाता है ! गणेश की सबसे बड़ी शक्ति है विनायकी ! माँ विनायकी की पूजा हजारों सालों से होती आ रही है ! भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायकी का सबसे पहले इनका उल्लेख बौद्ध धर्म ग्रंथों में मिलता है !
भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायकी स्वरूप के बारे में आपको जानकार हर्ष होगा कि केवल हिंदू धर्म में ही नहीं बल्कि जैन और बौद्ध धर्म में भी विनायकी की पूजा की जाती है !
बौद्ध धर्म के लोग इसे सिद्धि कहते हैं तो जैन ग्रंथों में विनायकी को एक अलग देवी के तौर पर माना गया है ! इन धर्मों में मूर्तियों का स्वरूप विनायकी जैसा ही है ! मतलब इन मूर्तियों में सिर हाथी का और धड़ स्त्री का पाया जाता है !
कई ग्रंथों में विनायकी को ईशान की बेटी कहा गया है ! ईशान भगवान को शंकर का अवतार माना जाता है ! विनायकी जी को कई जगह 64 योगिनियों देवियों में भी पूजा जाता है !
अनुमानत: ऐसा माना जाता है कि मंदिर बनाकर Vinayaki Ganesh की पूजा करना गुप्त काल में यानी लगभग तीसरी एवं चौथी शताब्दी के आसपास शुरू हुआ !
भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम Vinayaki Ganesh की सबसे पुरानी टेराकोटा की बनी हुई मूर्ति पहली शताब्दी ईसा पूर्व में राजस्थान प्रांत के रायगढ़ जिले में पाई गई थी ! दूसरी मूर्ति मगध साम्राज्य के केंद्र बिहार प्रांत में मिली थी !
यह मूर्ति 10वी शताब्दी की थी ! तीसरी मूर्ति पुणे से 45 किलोमीटर दूर एक पहाड़ी पर बने पुणेश्वर मन्दिर में मिली ! जो कि 13 वी सदी की मानी जाती है ! चौथी मूर्ति केरल के चेरियाबाग के मंदिर में मिली !
यह मूर्ति दुर्लभ लकड़ी से बनी हुई है ! माँ विनायकी की पांचवी मूर्ति मध्यप्रदेश के बेड़ाघाट में चौसठ योगिनी के 41 वे नंबर की मूर्ति माँ विनायकी की है ! अब भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायकी के बारे मालूम हो गया होगा !
भगवान श्री कृष्ण से जुड़ी रोचक जानकारी
हनुमान जी के बारे में अलोकिक व दिव्य जानकारी
भगवान विष्णु के 24 अवतार अवतार भाग 1 में
भगवान विष्णु के 24 अवतार अवतार भाग 2 में
आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना ! सनातन धर्म की जानकारी अधिक से अधिक अपने रिश्तेदारों, मित्रों व सगे संबंधियों तक पहुंचाने के लिए इसको अधिक से अधिक शेयर जरूर करें !
यह सारी जानकारी मैंने अपने निजी स्तर पर खोजबीन करके इकट्ठी की है ! इसमें त्रुटि हो सकती है ! उसके लिए मैं आपसे अग्रिम क्षमा याचना करता हूं !
12 Comments
[…] कौन थी ?? – भगवान विष्णु के 24 अवतार : भाग 2 – भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायक… – गौरी पुत्र श्री गणेश जी के आठ प्रमुख […]
[…] कौन थी ?? – भगवान विष्णु के 24 अवतार : भाग 2 – भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायक… – गौरी पुत्र श्री गणेश जी के आठ प्रमुख […]
[…] कौन थी ?? – भगवान विष्णु के 24 अवतार : भाग 2 – भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायक… – गौरी पुत्र श्री गणेश जी के आठ प्रमुख […]
[…] कौन थी ?? – भगवान विष्णु के 24 अवतार : भाग 2 – भगवान गणेश के स्त्री रूप का नाम विनायक… – गौरी पुत्र श्री गणेश जी के आठ प्रमुख […]
[…] कौन थी ?? – भगवान विष्णु के 24 अवतार : भाग 2 – Vinayaki Ganesh : क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश … – 8 Avatars of Lord Ganesha : गणेश जी के प्रमुख आठ अवतार […]
[…] 2 : भगवान विष्णु के 24 अवतार के बारे में – Vinayaki Ganesh : क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश … – 8 Avatars of Lord Ganesha : गणेश जी के प्रमुख आठ अवतार […]
[…] 2 : भगवान विष्णु के 24 अवतार के बारे में – Vinayaki Ganesh : क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश … – 8 Avatars of Lord Ganesha : गणेश जी के प्रमुख आठ अवतार […]
[…] 2 : भगवान विष्णु के 24 अवतार के बारे में – Vinayaki Ganesh : क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश … – 8 Avatars of Lord Ganesha : गणेश जी के प्रमुख आठ अवतार […]
[…] 2 : भगवान विष्णु के 24 अवतार के बारे में – Vinayaki Ganesh : क्या आप जानते हैं कि भगवान गणेश … – 8 Avatars of Lord Ganesha : गणेश जी के प्रमुख आठ […]
[…] […]
[…] […]
[…] गणेश को स्त्री क्यों बनना पड़ा […]