प्रातः सूर्य उदय के समय सूर्य को जल से अर्घ देकर भगवान सूर्य की आरती Surya Aarti अवश्य करनी चाहिए ! भगवान सूर्य की आराधना उपासना करने से रोग-दोष व कष्टों से छुटकारा मिलता है ! और जीवन में मान-सम्मान, यश, प्रतिष्ठा भगवान सूर्य के आशीर्वाद से मिलती है ! जो निसंतान दम्पति हो उनको सूर्य उपासना जरूर करनी चाहिए ! भगवान सूर्य नारायण पुत्र प्राप्ति का आशीर्वाद अवश्य देते है !
श्री सूर्य देव की आरती हिंदी में
Shri Surya Aarti Hindi Me
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श्री सूर्य देव की आरती
(Shri Surya Aarti)
ॐ जय जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान (टेर)
जगत् के नेत्रस्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा !
धरत सब ही तव ध्यान,
ॐ जय जय सूर्य भगवान II
ॐ जय जय सूर्य भगवान…(१)
सारथी अरुण हैं प्रभु तुम, श्वेत कमलधारी,
प्रभू तुम चार भुजाधारी I
अश्व हैं सात तुम्हारे, कोटि किरण पसारे,
प्रभू तुम हो देव महान II
ॐ जय जय सूर्य भगवान…(२)
ऊषाकाल में जब तुम, उदयाचल आते,
सब तब दर्शन पाते I
फैलाते उजियारा, जागता तब जग सारा,
करे सब तब गुणगान तुम्हारे II
ॐ जय जय सूर्य भगवान…(३)
संध्या में भुवनेश्वर अस्ताचल जाते,
गोधन तब घर आते I
गोधूलि बेला में, हर घर हर आंगन में,
तब हो आपका महिमा गान II
ॐ जय जय सूर्य भगवान…(४)
देव-दनुज नर-नारी, ऋषि-मुनिवर भजते,
आदित्य हृदय सब जपते I
स्तोत्र ये मंगलकारी, इसकी है रचना न्यारी,
दे नव जीवनदान प्रभु II
ॐ जय जय सूर्य भगवान…(५)
तुम हो त्रिकाल रचयिता, तुम जग के आधार,
महिमा तब अपर तुम्हारी I
प्राणों का सिंचन करके भक्तों को अपने देते,
प्रभु बल, बुद्धि और ज्ञान II
ॐ जय जय सूर्य भगवान…(६)
भूचर जलचर खेचर, सबके हों प्राण तुम्हीं,
सब जीवों के प्राण तुम्हीं हो I
वेद-पुराण बखाने, धर्म सभी तुम्हें माने,
तुम ही सर्व शक्तिमान II
ॐ जय जय सूर्य भगवान…(७)
पूजन करतीं दिशाएं, पूजे दश दिक्पाल,
प्रभु तुम भुवनों के प्रतिपाल I
ऋतुएं तुम्हारी दासी, तुम शाश्वत अविनाशी,
तुम शुभकारी अंशुमान II
ॐ जय जय सूर्य भगवान…(८)
ॐ जय जय सूर्य भगवान,
जय हो दिनकर भगवान I
जगत के नेत्र स्वरूपा,
तुम हो त्रिगुण स्वरूपा II
ॐ जय जय सूर्य भगवान..(९)
II इति श्री सूर्य भगवान की आरती सम्पूर्ण II
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