जगत जननी मां विंधेश्वरी का चालीसा करने वाले भक्तों पर माता की अपार कृपा होती है ! नवरात्रों में नो दिन तक माता की उपासना करने के बाद विंधेश्वरी चालीसा Shri Vindheshwari Chalisa अवश्य करना चाहिए !
नित्य पाठ करने वालों वाले भक्तों पर माँ प्रसन्न होकर हर कष्ट में सहायता करती है ! एवं सुख शांति और वैभव का आशीर्वाद प्रदान करती है !
Shri Vindheshwari Chalisa in Hindi
श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा हिंदी में
माँ विन्ध्येश्वरी चालीसा, विन्ध्येश्वरी माता चालीसा
जय जय जय विन्ध्याचल रानी
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श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा
(Shri Vindheshwari Chalisa)
II दोहा II
नमो नमो विन्ध्येश्वरी,
नमो नमो जगदंब I
संत जनों के काज में,
करती नहीं बिलं II
II चौपाई II
जय जय जय विन्ध्याचल रानी I
आदि शक्ति जगबिदित भवानी II (१)
सिंह वाहिनी जय जगमाता I
जय जय जय त्रिभुवन सुखदात II (२)
कष्ट निवारिनि जय जग देवी I
जय जय संत असुर सुरसेवी II (३)
महिमा अमित अपार तुम्हारी I
सेष सहस मुख बरनत हार II (४)
दीनन के दु:ख हरत भवानी I
नहिं देख्यो तुम सम कोउ दानी II (५)
सब कर मनसा पुरवत माता I
महिमा अमित जगत विख्याता II (६)
जो जन ध्यान तुम्हारो लावे I
सो तुरतहिं वांछित फल पावे II (७)
तू ही वैस्नवी तू ही रुद्रानी I
तू ही शारदा अरु ब्रह्मानी II (८)
रमा राधिका स्यामा काली I
तू ही मात संतन प्रतिपाली II (९)
उमा माधवी चंडी ज्वाला I
बेगि मोहि पर होहु दयाला II (१०)
तुम ही हिंगलाज महरानी I
तुम ही शीतला अरु बिज्ञानी II (११)
तुम्हीं लक्ष्मी जग सुख दाता I
दुर्गा दुर्ग बिनासिनि माता II (१२)
तुम ही जाह्नवी अरु उन्नानी I
हेमावती अंबे निरबानी II (१३)
अष्टभुजी बाराहिनि देवा I
करत विष्णु शिव जाकर सेवा II (१४)
चौसट्टी देवी कल्याणी I
गौरि मंगला सब गुन खानी II (१५)
पाटन मुंबा दंत कुमारी I
भद्रकाली सुन विनय हमारी II (१६)
बज्रधारिनी सोक नासिनी I
आयु रच्छिनी विन्ध्यवासिनी II (१७)
जया और विजया बैताली I
मातु संकटी अरु बिकराली II (१८)
नाम अनंत तुम्हार भवानी I
बरनै किमि मानुष अज्ञानी II (१९)
जापर कृपा मातु तव होई I
तो वह करै चहै मन जोई II (२०)
कृपा करहु मोपर महारानी I
सिध करिये अब यह मम बानी II (२१)
जो नर धरै मातु कर ध्याना I
ताकर सदा होय कल्याणा II (२२)
बिपत्ति ताहि सपनेहु नहि आवै I
जो देवी का जाप करावै II (२३)
जो नर कहे रिन होय अपारा I
सो नर पाठ करे सतबारा II (२४)
नि:चय रिनमोचन होई जाई I
जो नर पाठ करे मन लाई II (२५)
अस्तुति जो नर पढै पढावै I
या जग में सो बहु सुख पावै II (२६)
जाको ब्याधि सतावै भाई I
जाप करत सब दूर पराई II (२७)
जो नर अति बंदी महँ होई I
बार हजार पाठ कर सोई II (२८)
नि:चय बंदी ते छुटि जाई I
सत्य वचन मम मानहु भाई II (२९)
जापर जो कुछ संकट होई I
नि:चय देबिहि सुमिरै सोई II (३०)
जा कहँ पुत्र होय नहि भाई I
सो नर या विधि करै उपाई II (३१)
पाँच बरस सो पाठ करावै I
नौरातर महँ बिप्र जिमावै II (३२)
नि:चय होहि प्रसन्न भवानी I
पुत्र देहि ताकहँ गुन खानी II (३३)
ध्वजा नारियल आन चढावै I
विधि समेत पूजन करवावै II (३४)
नित प्रति पाठ करै मन लाई I
प्रेम सहित नहि आन उपाई II (३५)
यह श्री विन्ध्याचल चालीसा I
रंक पढत होवै अवनीसा II (३६)
यह जनि अचरज मानहु भाई I
कृपा दृष्टि जापर ह्वै जाई II (३७)
जय जय जय जग मातु भवानी I
कृपा करहु मोहि पर जन जानी II (38)
II इति श्री विन्ध्येश्वरी चालीसा सम्पूर्ण II
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