श्री सालासर बालाजी का चालीसा हिंदी में
Shri Salasar Balaji Chalisa In Hindi
बाबा के दरबार में भक्त अपनी मनोकामना पूर्ण करने हेतु श्री shri salasar balaji chalisa पढ़ते हैं ! आहार आपके पास बाबा का चालीसा नहीं हैं तो आप यहाँ से कॉपी कर नित्य बाबा का अलोकिक चालीसा कर सकते हैं ! नित्य पाठ करने वालो भक्तो की बाबा सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं !
राजस्थान के शेखावाटी आंचल के चुरू जिले के सालासर नगर में श्री सालासर बालाजी का शक्ति पीठ स्थल पुरे भारत में विख्यात हैं ! सालासर के इस पवन मंदिर में रोज हजारो भक्त दर्शन हेतु आते हैं !
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सालासर बाला जी का चालीसा
(shri salasar balaji chalisa)
II दोहा II
गुरु गिरा अरु गणपति, पुनि विनवऊॅ हनुमान I
सालासर के देवता सदा करो कल्याण II (१)
लाल देह की लालिमा मूर्ति लाल ललाम I
हाथ जोड़ विनती करूं पुरण करो सबके काम II (२)
II चौपाई II
जय जय जय सालासर धामा I
पावन रुचिर लोक अभीरामा II (१)
जिमि पावन मथुरा अरू काशी I
पुष्कर कुरुक्षेत्रं सुखरासी II (२)
अवधपुरि, गंगे हरिद्वारा I
सालासर शुभ वरणु विचारा II (३)
राजस्थान सीकर निहराये I
लक्ष्मणगढ़ नगर मन भाये II (४)
तेहि नियम सालासर ग्रामा I
सर्कल भान्ति शुभ शुचि सुकधामा II (५)
सिद्ध पीठ यह परम पुनिता I
हनुमत दर्शन सब दु:ख बीता II (६)
ताते विनय करो सुनु बाई I
भजहुं पवनसुत सुमति पाई II (७)
सालासर हनुमत जिमि आवा I
कहुं सकल सुनु मन समुझावा II (८)
मोहनदास विप्र सब जाना I
भक्ति भाव गुण ज्ञान निधाना II (९)
उदय संगं ले खेत कमाये I
एक बार हनुमत तहं आये II (१०)
कह कपि विप्र सुनो मम बानी I
कीजे ध्यान भक्ति जिय जानी II (११)
तब तजि मोहन विप्र विचारी I
हनुमत जन सदा सुखकारी II (१२)
करई भजन भक्ति अरू ध्याना I
नित्य होई मिलन हनुमाना II (१३)
आसोटा मुरति प्रगटाये I
ले ठाकुर सालासर आये II (१४)
विक्रम अष्टादश शत ग्यारह I
आयऊ हनुमत रवि जिमि बारह II (१५)
श्रावण सित नवमी शनीवारा I
थायन योग भूमि असवारा II (१६)
मोहन पूजन हवन करवाई I
कपि मूरति थापी सुखदाई II (१७)
आरती मोहन मंगल गावा I
ढोल नगारा शब्द मुहावा II (१८)
चढे़ चूरमा भोग लगाये I
भजन कीर्तन सब मिलकर गाये II (१९)
एक बार मोहन मन भाई I
भई प्रेरणा मुर्त सजाई II (२०)
चित्र रचा जो मन सुखदाई I
भये प्रसन्न हनुमत कपिराई II (२१)
घृत सिंदूर थाल भर लीना I
मुरत लाल ललित कर दीना II (२२)
मोहन बोले उदय बुलाई I
हनुमत कहं अवराधै आई II (२३)
सेवहुं हनुमत लग्न लगाई I
नित प्रति भगती बढै सवाई II (२४)
सालासर जयकार मुहाई I
चहुंदिशी घंटा धुनि मन भाई II (२५)
दिन दिन हो मंदिर विस्तारा I
पूजा करे उदय परिवारा II (२६)
मंगल पूनम जो मन भाये I
सालासर शुभ दर्शन पाये II (२७)
ध्वजा नारियल आत चढ़ाये I
खांड चूरमा भोग लगाये II (२८)
हनुमत भजन करइ मन लाई I
सालासर हनुमान मनाई II (२९)
एहिविधि आई धोक लगाये I
मन इच्छा फल सब जन पाये II (३०)
आत्म ज्ञान बढे़ नित नाया I
जब ते होय हनुमत दाया II (३१)
सब विघ्न कष्ट विकार हटावे I
सालासर शरणा जो जावे II (३२)
चिंता सांपिनी ताको भाजे I
जाके हिय में हनुमत राजे II (३३)
हनुमत दर्शन अति मन भाई I
लाल देह छवि कहि नहिं जाई II (३४)
दूर-दूर से आवे लोग लुगाई I
बड़े भाग ते दर्शन पाई II (३५)
करहि सफल सब निज निज लोचन I
करि करि दर्शन संकट मोचन II (३६)
हनुमत महिमा चहुंदिशि गाजे I
सालासर हनुमान विराजे II (३७)
सालासर शुभ धाम भजामी I
जय जय जय बजरंग नमामि II (३८)
इंद्रजीत कपिराई सहाई I
सालासर महिमा जो गाई II (३९)
सालासर हनुमत चालीसा I
पढें सुने शुभ करे कपीसा II (४०)
II दोहा II
चालीसा शुभ धाम का, गाये जो चितलाय I
इंद्रजीत भगति बढें, दया करे कपिराय II
ओम सुमर गाते रहो, नित श्री सीताराम I
सालासर शरणा गहो, करि हनुमत प्रणाम II
॥ श्री सालासर हनुमान जी का चालीसा सम्पूर्ण ॥
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