श्री रामदेव चालीसा हिंदी में
Shri Ramdev Chalisa Hindi Me
राजस्थान के जैसलमेर जिले में पोकरण से 12 कि.मी. दूर रामदेवरा गाँव में बाबा रामदेव जी का समाधि-स्थल हैं ! बाबा रामदेव ने वि.स. १४४२ भाद्रपद शुक्ल एकादशी को जीवित समाधि ली थी ! रामदेवजी का चमत्कारी और शक्तिशाली Shri Ramdev Chalisa हिन्दूओ में ही नहीं मुस्लिमों में भी रामदेव जयंती पर बाबा को सुनाया जाता हैं !
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श्री रामदेव चालीसा
(Shri Ramdev Chalisa)
|| दोहा ||
श्री गुरु पद नमन करि,
गिरा गनेश मनाय I
कथूं रामदेव विमल यश,
सुने पाप विनशाय II (१)
द्वार केश से आय कर,
लिया मनुज अवतार I
अजमल गेह बधावणा,
जग में जय जयकार II (२)
|| चौपाई ||
जय जय रामदेव सुर राया I
अजमल पुत्र अनोखी माया II (१)
विष्णु रूप सुर नर के स्वामी I
परम प्रतापी अन्तर्यामी II (२)
ले अवतार अवनि पर आये I
तंवर वंश अवतंश कहाये II (३)
संज जनों के कारज सारे I
दानव दैत्य दुष्ट संहारे II (४)
परच्या प्रथम पिता को दीन्हा I
दूश परीण्डा माही कीन्हा II (५)
कुमकुम पद पोली दर्शाये I
ज्योंही प्रभु पलने प्रगटाये II (६)
परचा दूजा जननी पाया I
दूध उफणता चरा उठाया II (७)
परचा तीजा पुरजन पाया I
चिथड़ों का घोड़ा ही साया II (८)
परच्या चैथा भैरव मारा I
भक्त जनों का कष्ट निवारा II (९)
पंचम परच्या रतना पाया I
पुंगल जा प्रभु फंद छुड़ाया II (१०)
परच्या छठा विजयसिंह पाया I
जला नगर शरणागत आया II (११)
परच्या सप्तम सुगना पाया I
मुवा पुत्र हंसता भग आया II (१२)
परच्या अष्टम बौहित पाया I
जा परदेश द्रव्य बहु लाया II (१३)
भंवर डूबती नाव उबारी I
प्रगट टेर पहुँचे अवतारी II (१४)
नवमां परच्या वीरम पाया I
बनियां आ जब हाल सुनाया II (१५)
दसवां परच्या पा बिनजारा I
मिश्री बनी नमक सब खारा II (१६)
परच्या ग्यारह किरपा थारी I
नमक हुआ मिश्री फिर सारी II (१७)
परच्या द्वादश ठोकर मारी I
निकलंग नाड़ी सिरजी प्यारी II (१८)
परच्या तेरहवां पीर परी पधारया I
ल्याय कटोरा कारज सारा II (१९)
चैदहवां परच्या जाभो पाया I
निजसर जल खारा करवाया II (२०)
परच्या पन्द्रह फिर बतलाया I
राम सरोवर प्रभु खुदवाया II (२१)
परच्या सोलह हरबू पाया I
दर्श पाय अतिशय हरषाया II (२२)
परच्या सत्रह हर जी पाया I
दूध थणा बकरया के आया II (२३)
सुखी नाडी पानी कीन्हों I
आत्म ज्ञान हरजी ने दीन्हों। II (२४)
परच्या अठारहवां हाकिम पाया I
सूते को धरती लुढ़काया II (२५)
परच्या उन्नीसवां दल जी पाया I
पुत्र पाया मन में हरषाया II (२६)
परच्या बीसवां पाया सेठाणी I
आये प्रभु सुन गदगद वाणी II (२७)
तुरंत सेठ सरजीवण कीन्हा I
उक्त उजागर अभय वर दीन्हा II (२८)
परच्या इक्कीसवां चोर जो पाया I
हो अन्धा करनी फल पाया II (२९)
परच्या बाईसवां मिर्जो चीहां I
सातों तवा बेध प्रभु दीन्हां II (३०)
परच्या तेईसवां बादशाह पाया I
फेर भक्त को नहीं सताया II (३१)
परच्या चैबीसवां बख्शी पाया I
मुवा पुत्र पल में उठ धाया II (३२)
जब-जब जिसने सुमरण कीन्हां I
तब-तब आ तुम दर्शन दीन्हां II (३३)
भक्त टेर सुन आतुर धाते I
चढ़ लीले पर जल्दी आते II (३४)
जो जन प्रभु की लीला गावें I
मनवांछित कारज फल पावें II (३५)
यह चालीसा सुने सुनावे I
ताके कष्ट सकल कट जावे II (३६)
जय जय जय प्रभु लीला धारी I
तेरी महिमा अपरम्पारी II (३७)
मैं मूरख क्या गुण तव गाऊँ I
कहाँ बुद्धि शारद सी लाऊँ II (३८)
नहीं बुद्धि बल घट लवलेशा I
मती अनुसार रची चालीसा II (३९)
दास सभी शरण में तेरी I
रखियों प्रभु लज्जा मेरी II (४०)
II इति श्री रामदेव चालीसा सम्पूर्ण II
राजस्थान व गुजरात समेत कई अन्य राज्यों से जैसलमेरपर लाखों हिन्दू और मुस्लिम श्रद्धालु बाबा की समाधि पर नमन करने आते हैं ! इसे भादवा का मेला भी कहा जाता हैं ! रामदेव जी ने अपना सारा जीवन गरीबों तथा दलितों सेवा के लिए समर्पित कर दिया था ! भक्त बाबा रामदेव जी को अपने इष्टदेव के रूप में पूजते हैं !
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