भगवान परशुराम त्रेता युग में एक ब्राह्मण ऋषि के घर में जन्मे थे ! परशुराम जी भगवान विष्णु जी का अवतार मानकर Shri Parshuram Aarti व पूजा की जाती है ! उन्होंने पितामह भीष्म, गुरु द्रोण व दानवीर कर्ण को शस्त्र विद्या सिखाई थी !
“शिव पंचत्वारिंशनाम स्तोत्र” भगवान परशुराम जी ने ही लिखा था ! उन्होंने पृथ्वी से 21 बार अहंकारी और धृष्ट वंशी क्षत्रियों का संहारकिया था ! माता रेणुका के गर्भ से वैशाख शुक्ल की तृतीया को परशुराम जी का जन्म हुआ था !
Shri Parshuram Aarti In Hindi : परशुराम जी की आरती हिंदी में
परशुराम आरती, भगवान परशुराम जी की आरती
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श्री परशुराम जी की आरती
(Shri Parshuram Aarti)
शौर्य तेज बल-बुद्घि धाम की,
रेणुकासुत जमदग्नि के नंदन I
कौशलेश पूजित भृगु चंदन,
अज अनंत प्रभु पूर्णकाम की II
आरती कीजै श्री परशुराम की (१)
नारायण अवतार सुहावन,
प्रगट भए महि भार उतारन I
क्रोध कुंज भव भय विराम की II
आरती कीजै श्री परशुराम की (२)
परशु चाप शर कर में राजे,
ब्रम्हसूत्र गल माल विराजे I
मंगलमय शुभ छबि ललाम की II
आरती कीजै श्री परशुराम की (३)
जननी प्रिय पितु आज्ञाकारी,
दुष्ट दलन संतन हितकारी I
ज्ञान पुंज जग कृत प्रणाम की II
आरती कीजै श्री परशुराम की (४)
परशुराम वल्लभ यश गावे,
श्रद्घायुत प्रभु पद शिर नावे I
छहहिं चरण रति अष्ट याम की,
आरती कीजै श्री परशुराम की (५)
II इति श्री परशुराम जी की आरती सम्पूर्ण II
विधा का दान परशुराम केवल ब्राह्मणों को ही अपनी करते हैं ! परशुराम जी से कर्ण ने छल करके विधा ग्रहण लेने का प्रयास किया ! और परशुराम ने उसे ब्राह्मण कुल में उत्पन्न समझ कर बहुत सी विद्यायें सिखायीं थी ! मगर जब उनको आभास हुआ की कर्ण ब्राह्मण कुल के नहीं, क्षत्रिय कुल के हैं ! तो उन्होंने कर्ण को श्राप दे दिया था !
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