आषाढ़ महीने की शीतला अष्टमी को माँ शीतला देवी की पूजा की जाती हैं ! स्कंद पुराण के अनुसार शीतला माता को चेचक जैसे रोगों की देवी माना गया हैं ! माता शीतला के सात बहन है जिनका नाम ऋणिका, घृर्णिका, महला, मंगला, सेठला एवं दुर्गा ! शीतला अष्टमी के दिन Sheetla Mata ka chalisa श्री शीतला चालीसा जरुर करना चाहिए !
Sheetla Mata ka chalisa In Hindi
श्री शीतला माता का चालीसा हिंदी में
शीतला देवी का चालीसा, माँ शीतला चालीसा
Story Sheetala Ashtami
राजस्थान के पाली जिले व जयपुर के पास चाकसू में शीतला माता का मंदिर प्रसिद्ध स्थित है ! जहाँ पर प्रति वर्ष आषाढ़ महीने की शीतला अष्टमी को माँ शीतला मेला लगता हैं ! माँ शीतला को ठंडा भोजन अतिप्रिय हैं !
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श्री शीतला माता का चालीसा
(Sheetla Mata ka chalisa)
II दोहा II
जय जय माता शीतला,
तुम्हारा धरे जो ध्यान।
होय बिमल शीतल हृदय,
विकसे बुद्धी बल ज्ञान ॥ (१)
घट घट वासी शीतला,
शीतल प्रभा तुम्हार।
शीतल छैंय्या शीतल,
मैंय्या पल ना दार ॥ (२)
II चोपाई II
जय जय श्री शीतला भवानी I
जय जग जननि सकल गुणधानी II (१)
गृह गृह शक्ति तुम्हारी राजती I
पूरन शरन चंद्रसा साजती II (२)
विस्फोटक सी जलत शरीरा I
शीतल करत हरत सब पीड़ा II (३)
मात शीतला तव शुभनामा I
सबके काहे आवही कामा II (४)
शोक हरी शंकरी भवानी I
बाल प्राण रक्षी सुखदानी II (५)
सूचि बार्जनी कलश कर राजै I
मस्तक तेज सूर्य सम साजै II (६)
चौसट योगिन संग दे दावै I
पीड़ा ताल मृदंग बजावै II (७)
नंदिनाथ भय रो चिकरावै I
सहस शेष शिर पार ना पावै II (८)
धन्य धन्य भात्री महारानी I
सुर नर मुनी सब सुयश बधानी II (९)
ज्वाला रूप महाबल कारी I
दैत्य एक विश्फोटक भारी II (१०)
हर हर प्रविशत कोई दान क्षत I
रोग रूप धरी बालक भक्षक II (११)
हाहाकार मचो जग भारी I
सत्यो ना जब कोई संकट कारी II (१२)
तब मैंय्या धरि अद्भुत रूपा I
कर गई रिपुसही आंधीनी सूपा II (१३)
विस्फोटक हि पकड़ी करी लीन्हो I
मुसल प्रमाण बहु बिधि कीन्हो II (१४)
बहु प्रकार बल बीनती कीन्हा I
मैय्या नहीं फल कछु मैं कीन्हा II (१५)
अब नही मातु काहू गृह जै हो I
जह अपवित्र वही घर रहि हो II १६)
पूजन पाठ मातु जब करी है I
भय आनंद सकल दुःख हरी है II (१७)
अब भगतन शीतल भय जै हे I
विस्फोटक भय घोर न सै हे II (१८)
श्री शीतल ही बचे कल्याना I
बचन सत्य भाषे भगवाना II (१९)
कलश शीतलाका करवावै I
वृजसे विधीवत पाठ करावै II (२०)
विस्फोटक भय गृह गृह भाई I
भजे तेरी सह यही उपाई II (२१)
तुमही शीतला जगकी माता I
तुम्ही पिता जग के सुखदाता II (२२)
तुमही जगका अतिसुख सेवी I
नमो नमामी शीतले देवी II (२३)
ॐ नमो सूर्य करवी दुख हरणी I
नमो नमो जग तारिणी धरणी II (२४)
नमो नमो ग्रहोंके बंदिनी I
दु:ख दारिद्रा निस निखंदिनी II (२५)
श्री शीतला शेखला बहला I
गुणकी गुणकी मातृ मंगला II (२६)
मात शीतला तुम धनुधारी I
शोभित पंचनाम असवारी II (२७)
राघव खर बैसाख सुनंदन I
कर भग दुरवा कंत निकंदन II (२८)
सुनी रत संग शीतला माई I
चाही सकल सुख दूर धुराई II (२९)
कलका गन गंगा किछु होई I
जाकर मंत्र ना औषधी कोई II (३०)
हेत मातजी का आराधन I
और नही है कोई साधन II (३१)
निश्चय मातु शरण जो आवै I
निर्भय ईप्सित सो फल पावै II (३२)
कोढी निर्मल काया धारे I
अंधा कृत नित दृष्टी विहारे II (३३)
बंधा नारी पुत्रको पावे I
जन्म दरिद्र धनी हो जावे II (३४)
सुंदरदास नाम गुण गावत I
लक्ष्य मूलको छंद बनावत II (३५)
या दे कोई करे यदी शंका I
जग दे मैंय्या काही डंका II (३६)
कहत राम सुंदर प्रभुदासा I
तट प्रयागसे पूरब पासा II (३७)
ग्राम तिवारी पूर मम बासा I
प्रगरा ग्राम निकट दुर वासा II (३८)
अब विलंब भय मोही पुकारत I
मातृ कृपाकी बाट निहारत II (३९)
बड़ा द्वार सब आस लगाई I
अब सुधि लेत शीतला माई II (४०)
II दोहा II
शीतला चालीसा का पाठ करे जो कोय,
सपने दुःख नही होत है नित सब मंगल होय I (१)
बुझे सहस्र विक्रमी शुक्ल भाल भल किंतू,
जग जननी का ये चरित रचित भक्ति रस बिंतू II (२)
॥ श्री शीतला चालीसा सम्पूर्ण ॥
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