भारत भूमि पर अनेक मंदिर माता रानी के विख्यात हैं ! और उनमें रायमाता कलयुग की चमत्कारी देवी के रूप में प्रसिद्ध है ! यह मंदिर लगभग 450 वर्ष पुराना मंदिर बताया जाता हैं ! गांगियासर रायमाता मंदिर हिन्दू-मुस्लिम भाई चारे का प्रतीक है !
आपने आज तक रायमाता के बारे में नहीं सुना होगा ! इस मंदिर का क्या इतिहास हैं ! कहाँ पर है रायमाता का मंदिर ! रायमाता का मंदिर किसने और कब बनाया था ! क्या चमत्कार हैं रायमाता का, और कैसे प्रगट हुई ! जूना अखाड़े के से क्या संबंध हैं इस मंदिर का ! और भी अन्य जानकरी rai mata mandir के बारे में हम यहाँ जानेगें !
राजस्थान के झुंझुनू जिले में बिसाऊ नाम की तहसील से लगभग 12 कि. मी. दूर हैं गांगियासर नामक गांव ! इसी गांव में स्थित हैं rai mata mandir रायमाता का मंदिर ! रायमाता मंदिर के लिये आप सीकर से लक्ष्मणगढ़, फतेहपुर शेखावाटी और रामगढ़ शेखावाटी से बिसाऊ होते हुए गांगियासर नामक गांव में पहुँच सकते हैं !
बताया जाता हैं की यह गांव लगभग 600 साल पुराना हैं ! इस गांव में सभी जाती और धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं ! मगर गांव के सभी लोगो में रायमाता के ऊपर बड़ी आस्था हैं !
बताता जाता है कि लगभग 450 साल पहले गांगियासर गांव के बाहर दक्षिण दिशा में स्थित मिट्टी के एक ऊंचे टीले पर सेवापुरी जी नामक साधु रहते थें ! वही पास में सेवापुरी जी एक छोटी सी कुटिया मे रहकर ईश्वर की उपासना करते थें ! कहा जाता हैं की सेवापुरी जी ने जीवित समाधी ली थी !
एक दिन आंधी और बरसात के साथ जोर का भूकंप आया ! और देखते ही देखते जमीन फटने लगी ! और उस जमीन में से एक प्रतिमा प्रगट हुई ! उस प्रतिमा के प्रगट होते ही आकाशवाणी हुई कि…… मैं रायमाता हूं, और तुम मेरी आराधना करो ! तब से रायमाता की मान्यता जन-जन में फैल गई !
गांव के लोगों को जब इस बात की खबर लगी तो देवी की मूर्ति के दर्शन के लिए आने लगे ! और बाबा शिवापुरी जी की तपस्या जब पूर्ण हो गई तो उन्होंने तत्कालीन वहां के शासक देवदत्त जी की को देवी की प्रतिमा के प्रकट होने की सूचना दी !
देवदत्त जी ने यहां rai mata mandir माता के मंदिर का निर्माण करवाया ! और बताया जाता हैं की मंदिर के लिए 162 बीघा 18 बिस्वा जमीन पट्टे सहित भेंट की ! जिसे आज उस जगह को रायमाता की बणी के नाम से जाना जाता है।
कालांतर बाद गांव के कनोडिया परिवार ने मंदिर को और विस्तार रूप दिया ! प्रवासी एवं स्थानीय भक्तों का रायमाता मंदिर उपासना केंद्र हैं ! और अब रायमाता चमत्कारी देवी के रूप में पुरे शेखावाटी आंचल में विख्यात हैं !
गांगियासर की रायमाता के मंदिर में हर साल अश्विनी नवरात्रों में विशाल मेला लगता हैं ! जिसमें देश के कोने-कोने से श्रद्धालु भक्त माता के दर्शन के लिए परिवार सहित आते हैं ! जहाँ माँ दुर्गा की शक्ति की पूजा तो होती हैं ! साथ ही यहाँ हिन्दू-मुस्लिम की आपसी एकता व सौहार्द देखने को मिलता हैं !
नवरात्र के दौरान यहां हिन्दुओं के साथ मुस्लिम समुदाय के लोग भी मेलो पर व्यवस्था करने में मदद करते हैं ! और हजारों की संख्या में मुस्लिम समुदाय के लोग रायमाता के दर्शन करने भी आते हैं ! इस गांगियासर गांव की पहचान rai mata mandir बनाने के बाद ज्यादा विख्यात हुई हैं !
यहां आने वाले हर श्रद्धालु की इछा पूरी होती हैं ! जिस कारण यहां लोगों की श्रद्धा और भावना माता के प्रति बढ़ने लगी हैं ! शारदीय नवरात्र के दौरान रायमाता के मेले पर पब्लिक सेवा ट्रस्ट मुंबई के द्वारा रायमाता मंदिर परिसर में शतचंडी यज्ञ व भंडारे का आयोजन होता हैं !
इस दौरान हजारों की संख्या में श्रद्धालु माता का प्रसाद ग्रहण करते हैं ! नवरात्र में मुख्य रुप से अष्टमी तिथि पर धोक लगाई जाती है ! रायमाता मंदिर परिसर में तीन दिवसीय मेले का आयोजन भी किया जाता है !
अष्टमी तिथि से rai mata mandir प्रबंधन ट्रस्ट द्वारा मेले के आयोजन पर कुश्ती, कबड्डी व अन्य खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन होता हैं ! जिसमें राजस्थान के अलावा हरियाणा, दिल्ली व पंजाब के पहलवान व खिलाड़ी शामिल होते है !
बताया जाता हैं की श्रीपंच दशनाम जूना अखाड़ा अंतरराष्ट्रीय गुरु गद्दी बालक हरियाणा के अधीन है रायमाता मंदिर की गद्दी ! rai mata mandir की गद्दी पर सेवापुरी महाराज के बाद कई संत गद्दी पर रहे! जिनमें मुख्य रुप से बुद्धगिरि महाराज प्रथम और द्वितीय हुए !
जिनकी समाधि मंदिर परिसर में ही बनी हुई हैं ! वर्तमान में रायमाता मंदिर की सेवा पूजा दशमानंद गिरी जी महाराज कर रहे हैं ! कुछ समय पूर्व बऊधाम के प्रसिद्ध संत के रतिनाथ महाराज ने भी रायमाता की आराधना की थी ! मंदिर में रायमाता की मूर्ति के अलावा काली माता, गायत्री माता, वीर हनुमान आदि देवी देवताओं की प्रतिमाएं भी विराजमान हैं !
रायमाता मंदिर में लगभग 350 साल पुरानी अखंड धूणी भी हैं ! इस धूणी पर कई महान संतो ने तपस्या की हैं ! बताया जाता है कि यह धूणी सेवादास जी महाराज के समय से हैं !
रायमाता पुरे शेखावाटी आंचल में विख्यात और बड़ी ही लोकप्रिय कलयुग की चमत्कारी देवी के रूप में प्रसिद्ध हुई है ! गांगियासर की लोक मान्यताओ के अनुसार राय माता की कुछ चमत्कारीक कथाएं प्रसिद्ध हैं ! जिनके बारे में कुछ चमत्कारी घटनाओ के बारे में हम यहाँ बात करेगें !
एक समय गांगियासर गांव में एक चोर ने एक ग्रामीण किसान के घर से एक बैल को चुरा लिया ! बैल के मालिक को जब इस बात का पता चला की मेरा बैल चोरी हो गया हैं, तो वह अपने बैल को ढूंढने निकल पड़ा ! ग्रामीण किसान को पता चला कि एक व्यक्ति बेल के साथ मंदिर के पास बैठा हुआ है ! तो वह कुछ गांव के लोगो को लेकर चोर को पकड़ने के लिए मंदिर की तरफ चल पड़ा !
चोर बैल को मंदिर के पास एक पेड़ से बांध कर आराम कर रहा था ! तभी उसको अपनी तरफ कुछ लोगो के आने की आहाट सुनाई दी ! चोर समझ गया और मंदिर में जाकर माता से दया की प्रार्थना करने लगा ! चोर की प्रार्थना व दया की पुकार सुनकर रायमाता ने बैल को गाय के रूप में बदल दिया ! जब गांव के लोग वहा पहुंचे, तो वहां पर बैल की जगह गाय मिली ! फिर गांव के लोग वापस लौट आए ! और चोर भी गाय को rai mata mandir में छोड़कर वहां से चला गया !
एक और चमत्कार के बारे मे भी जानकारी मिलती हैं की भेमा खाती नाम का एक पुजारी था ! जो माता का परम भक्त व सेवक था ! नवरात्रों में भेमा खाती ने भक्तिवश अपना शीश काटकर मां के चरणों में चढा दिया ! माता उसकी भक्ति से प्रसन्न होकर वापस उसका शीश जोड़ दिया ! इस बात का जिक्र रायमाता माता की आरती में भी आता हैं !
जय जननी मातेश्वरी, गांगियासर की राय
भक्त जान संकट हरयो, करी बैल से गाय
गांगियासर की रायमता की यह कहावत आज भी आम लोगो के मुंह से सुनी जा जाती हैं !
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