इस वर्ष Pitru Paksha 2021: आज से पितृ पक्ष शुरू हो रहे है !श्राद्ध पक्ष या पितृ पक्ष इस बार 20 सितंबर 2021 सोमवार से शुरू होकर 05 अक्टूबर 2021 मंगलवार रहेगें ! श्राद्ध पक्ष वर्ष में एक बार आते हैं ! हम यहाँ जानेगें की श्राद्ध क्या हैं, श्राद्ध कितने प्रकार के होते हैं ! श्राद्ध करना क्यों आवश्यक हैं ! श्राद्ध कब करने चाहिए, श्राद्ध या पिन्डदान क्यो करना चाहिए ! श्राद्धपक्ष के दौरान न करें ये काम ! श्राद्ध कब किया जाता हैं !
Pitru Paksha 2021: आज से पितृ पक्ष शुरू हो रहे हैं ! जाने कब कौनसा श्राद्ध किस दिन को हैं !
Pitru Paksha 2021: आज से पितृ पक्ष शुरू हो गये हैं ! जो 16 दिन तक चलेगें !अब जानते हैं श्राद्ध क्या हैं ! जो कर्म श्रद्धापूर्वक किया जाय उसे ही शास्त्रों में श्राद्ध कहते हैं ! इसलिए हमें हमारे पितरों का श्राद्ध अवश्य करना चाहिए ! हमारे पितरों की प्रसन्ता के लिये धर्म के नियमानुसार पिंडदान आदि कर्म करना ही श्राद्ध कहलाता हैं ! श्राद्ध करने से हमारे पितरों कों संतुष्टि मिलती हैं, और पितरों के प्रसन्न होने पर सभी देवता भी प्रसन्न रहते हैं ! और वे प्रसन्न होकर श्राध्द करने वाले को यश, दीर्घायू, प्रसिध्दि एवं निरोगता का आशीर्वाद प्रदान करते हैं !
श्राद्ध पक्ष में ब्राह्मणों को श्रृद्धापूर्वक पितरों के निमित जो भी वस्तु उचित काल या स्थान पर विधि-पूर्वक दी जाती हैं ! इसका उल्लेख ब्रह्म पुराण में मिलता हैं ! पितृ पक्ष एक ऐसा माध्यम जिससे पितरों को तृप्ति के लिए भोजन दिया जाता हैं ! पिण्ड रूप में पितरों को दिया गया भोजन श्राद्ध का मुख्य हिस्सा माना जाता हैं !
हमारे शास्त्रों-पुराणों में श्राद्ध निम्नलिखित प्रकार के बताये गए हैं !
श्राद्धकर्म हमे क्यों करना चाहिए या श्राद्ध करना क्यों आवश्यक हैं, जानते हैं इस बारे में :-
ब्रह्मपुराण में उल्लेख आता है की जो व्यक्ति अपने पितरों का श्राद्ध नहीं करते हैं तो हैं ! तो पितर श्राद्ध न करने वाले व्यक्ति को श्राप देते हैं ! उनके श्राप के कारण वह व्यक्ति वंशहीन हो जाता ! अर्थात वह व्यक्ति पुत्र रहित हो जाता है, उसे जीवन भर अनेक प्रकार के कष्ट झेलने पड़ते हैं, तथा उसके घर-परिवार में बीमारी व बाधाए ब नी रहती हैं !
मृत व्यक्ति के परिजनों को उनकी मृत्यु तिथि पर श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करना चाहिए ! उदाहरण के तौर पर अगर किसी के परिजन की मृत्यु सप्तमी तिथि को हुई हो तो उनका श्राद्ध सप्तमी के दिन ही किया जाना चाहिए ! जिन लोगों की अकाल मृत्यु किसी दुर्घटना या आत्महत्या के कारण हुई हो तो उनका श्राद्ध चतुर्दशी के दिन होता हैं !
जो व्यक्ति अपने जीवन काल में साधु और संन्यासी रहा हो तो उन पुण्यआत्मा का श्राद्ध द्वाद्वशी के दिन करना चाहिए ! जिन लोगों को अपने पूर्वजों के मरने की तिथि याद नहीं हो तो उनका श्राद्ध अमावस्या के दिन किया जाना चाहिए !क्योंकी अमावस्या को सर्व पितृ श्राद्ध कहा जाता हैं !
श्राद्ध या पिन्डदान दोनो एक ही शब्द हैं ! पिन्डदान शब्द का मतलब होता हैं, अन्न को पिन्डाकार मे बनाकार पितर को श्रद्धा पूर्वक अर्पण करना इसी को हम पिन्डदान भी कहते हैं ! दक्षिण भारत में पिन्डदान को ही श्राद्ध कहते है !
हमारे पितरों की संतुष्टि के निमित श्रद्धापूर्वक ,किये जाने वाल तर्पर्ण, ब्राह्मण भोजन, दान आदि कर्मों को ही श्राद्ध कहा जाता हैं ! इसको पितृयज्ञ के नाम से भी जाना जाता हैं ! श्रद्धापूर्वक श्राद्ध करने से व्यक्ति पितृऋण से मुक्त हो जाता हैं ! और पितरों को संतुष्ट करके उनके आशीर्वाद से स्वयं भी संतान सुख, धन,विद्या व दीर्घायु और मुक्ति के मार्ग पर बढ़ता हैं !
Pitru Paksha 2021: आज से पितृ पक्ष शुरू होने जा रहे हैं ! मगर ध्यान रखना इन बातों को, नहीं तो पछताना पड़ेगा !
श्रद्धापूर्वक विधि विधान से श्राद्ध करने पर जातक पितृ ऋण से मुक्त हो जाता हैं ! श्राद्ध पक्ष में किये गये श्राद्ध से पितर प्रसन्न हो जाते हैं ! और आपके घर परिवार व जीवन में सुख, समृद्धि होने का आशीर्वाद प्रदान करते हैं !
Pitru Paksha 2021 की महत्ता को स्पष्ट करने से पहले यह जानना भी जरूरी हैं, की श्राद्ध कब किया जाता हैं ! इस विषय पर शास्त्रों में श्राद्ध किये जाने के निम्न अवसर बताये हैं !
सनातन पद्मपुराण व कूर्मपुराण के मता-अनुसार पूजन कर्म कराने वाले ब्राह्मण का कभी भी परीक्षण नहीं करना चाहिए ! परंतु श्राद्ध कर्म करवाने वाले ब्राह्मण को श्राद्ध का दान देते समय यह जरूर ध्यान में रखना चाहिए ! कि श्राद्ध लेने और श्राद्ध का खाने वाला ब्राह्मण सुपात्र है या कुपात्र ? क्योंकि सुपात्र ब्राह्मण को दिया गया श्राद्ध का दान उस दानदाता की सारी मनोकामना पूर्ण कर देता हैं !
श्राद्ध कर्म करने वाले पर पितर संतुष्ट होकर आशीर्वाद देते हैं ! और इसके विपरीत कुपात्र को दिया गया श्राद्ध कर्म का दान श्राद्ध करने वाले को भयानक नरकों में ले जाता हैं ! पितरो के असंतुष्ट होने पर वह व्यक्ति अंत में सूकर – कूकर की यौनि में उत्पन्न होता हैं !और कठिन से भी कठिन दु:ख का भोग भोगता हैं !
🔵 ब्रह्मपुराण
ब्रह्मपुराण के अनुसार ‘जो व्यक्ति श्रद्धा-भक्ति से अपने पूर्वजों का श्राद्ध करता हैं ! उसके परिवार में कोई भी दुःख तकलीफ नहीं आती हैं !ब्रह्मपुराण में वर्णन हैं की पशु-पक्षियों की योनि में पड़े हुए पितरों का पोषण श्राद्ध में पिण्डों पर गिरी हुई पानी की नन्हीं-नन्हीं बूंदों से होता हैं ! जिस परिवार में जो बाल्यावस्था में ही मर जाते हैं ! वोआत्मा सम्मार्जन के जल से तृप्त हो जाती हैं !
🟠 कुर्मपुराण
कुर्मपुराण में बताया गया है की जो प्राणी श्रद्धा-भक्ति से किसी भी विधि के द्वाराअपने पूर्वजों का श्राद्ध करता हैं ! वह समस्त पापों से मुक्त हो जाता हैं ! और वापस संसारिक चक्र में लोट कर नहीं आता ! उसकी मुक्ति निश्चित हो जाती हैं !
🟢 गरुड़ पुराण
गरुड़ पुराण के अनुसार पितृ पूजन यानी श्राद्धकर्म से संतुष्ट होकर पितर श्राद्धकर्म करने वाले को आयु, पुत्र, यश, स्वर्ग, कीर्ति, पुष्टि, बल, वैभव, पशु, सुख, धन और धान्य का आशीर्वाद प्रदान करते हैं !
🔴 मार्कण्डेय पुराण
मार्कण्डेय पुराण में भी यही बताया गया हैं की श्रद्धा-भक्ति द्वारा किये गये पिन्डदान से तृप्त होकर पितृगण श्राद्धकर्ता को दीर्घायु, सन्तति, धन, विद्या ,सुख, राज्य, स्वर्ग और मोक्ष का आशीर्वाद प्रदान करते हैं !
सूर्य भगवान को पितर पक्ष में इस मंत्र के द्वारा अर्ध्य देने से यमराज भी प्रसन्न होकर पूर्वजों को स्वर्ग लोक में स्थान
देते हैं ! और उन पुण्य आत्मा को जन्म मरण के बंधन से मुक्त कर देते हैं !
ॐ धर्मराजाय नमः ।I .ॐ दानवैन्द्र नमः ।I ॐ अनन्ताय नमः II
ॐ महाकालाय नमः ।I ॐ म्रर्त्युमा नमः ।I
Pitru Paksha 2021: आज से पितृ पक्ष शुरू हो जाएगा ! श्राद्ध न करने से क्या हो जाएगा, कुछ इसी तरह के अजीब सवाल लोग करते हैं ! हमारे शास्त्रों में श्राद्ध न करने वालों को जो नुकसान होता हैं ! उनके बारे में जानकार आप दंग रह जायेगें ! अतः श्राद्ध-तत्त्व के बारे में जानना तथा उसके अनुष्ठान के लिये तैयार रहना अत्यन्त आवश्यक है।
सब जानते है कि मृत व्यक्ति इस संसार से अपना स्थूल शरीर भी नहीं ले जा सकता ! तब उसे अन्न-जल कैसे मिल सकता हैं ? उस समय उसके सगे-सम्बन्धीयो द्वारा श्राद्ध विधि से उसे जो कुछ देते हैं, वही उस आत्मा को मिलता हैं ! शास्त्रो में मरणोपरान्त पिण्डदान की व्यवस्था बताई गई हैं !
सर्वप्रथम शवयात्रा के समय छः पिण्ड दिये जाते हैं ! जिनसे भूमि के अधिष्ठात देवताओं की प्रसन्नता तथा भूत-पिशाचों द्वारा होने वाली बाधाओं का निवारण आदि प्रयोजन सिद्ध होते हैं।
इसके अलावा दशगात्र के दिन दिये जानेवाले दस पिण्डों के द्वारा जीव को सूक्ष्म शरीर की प्राप्ति होती हैं ! यह उस मृतआत्मा की महायात्रा के प्रारम्भ की बात हुई। अब उस के आगे उसे रास्ते में भोजन-अन्न-जल आदि-की जरूरत पड़ती हैं ! अब आगे की यात्रा में उस पुण्य आत्मा को उत्तमषोडशी में दिये जाने वाले पिण्डदान से उसे प्राप्त होती हैं ! यदि उसके सगे-सम्बन्धी, पुत्र-पौत्र आदि पिण्डदान न दें तो भूख-प्याससे उसे वहाँ बहुत कष्ट व दुःख होता हैं !
यह तो हुई श्राद्ध न करने पर मृत आत्मा के कष्टों की कहानी ! मृत आत्मा के निमित श्राद्ध न करने वाले को भी कष्ट का सामना करना पड़ता है। वह मृत प्राणी दुःखी होकर श्राद्ध न करने वाले अपने सगे-सम्बन्धियों को वे श्राप भी देते हैं ! फिर उन अभिशप्त सगे-सम्बन्धियों को जीवन भर कष्ट-ही-कष्ट भोगना पड़ता हैं ! उस परिवार में पुत्र की प्राप्ति नहीं होती, और परिवार में कोई नीरोग नहीं रहता ! परिवार में किसी की भी दीर्घायु नहीं होती, किसी तरह सुख प्राप्त नहीं होता और मरने के बाद नरक भोगना पड़ता हैं !
आपको पितृ पक्ष की यह जानकारी कैसी लगी, कमेंट करके जरूर बताना ! सनातन धर्म की जानकारी अधिक से अधिक अपने रिश्तेदारों, मित्रों व सगे संबंधियों तक पहुंचाने के लिए इसको अधिक से अधिक शेयर जरूर करें !
यह सारी जानकारी मैंने अपने निजी स्तर पर खोजबीन करके इकट्ठी की है ! इसमें त्रुटि हो सकती हैं। उसके लिए मैं आपसे अग्रिम क्षमा याचना करता हूं !
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