माँ पार्वती चालीसा हिंदी में
Parvati Chalisa In Hindi
देवी का parvati chalisa नवरात्रों में नौ दिनों तक करना अति शुभदायक माना जाता हैं ! देवी भागवत पुराण में बताया गया हैं की माँ पार्वती सभी देवियो की प्रतिछाया हैं ! पूर्वजन्म में माँ पार्वती दक्ष प्रजापति की पुत्री सती थीं ! जो शिव की पत्नी थी !
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माँ पार्वती चालीसा
(Shri Parvati Chalisa)
॥ दोहा ॥
जय गिरी तनये दक्षजे,
शम्भू प्रिये गुणखानि।
गणपति जननी पार्वती,
अम्बे ! शक्ति ! भवानि॥
॥ चौपाई ॥
ब्रह्मा भेद न तुम्हरो पावे I
पंच बदन नित तुमको ध्यावे।I (१)
षड्मुख कहि न सकत यश तेरो I
सहसबदन श्रम करत घनेरो II (२)
तेरो पार न पावत माता I
स्थित रक्षा लय हित सजाता।I (३)
अधर प्रवाल सदृश अरुणारे I
अति कमनीय नयन कजरारे II (४)
ललित ललाट विलेपित केशर I
कुंकुंम अक्षत शोभा मनोहर।I (५)
कनक बसन कञ्चुकि सजाए I
कटी मेखला दिव्य लहराए II (६)
कंठ मंदार हार की शोभा I
जाहि देखि सहजहि मन लोभा।I (७)
बालारुण अनंत छबि धारी I
आभूषण की शोभा प्यारी II (८)
नाना रत्न जड़ित सिंहासन I
तापर राजति हरि चतुरानन II (९)
इन्द्रादिक परिवार पूजित I
जग मृग नाग यक्ष रव कूजित II (१०)
गिर कैलास निवासिनी जय जय I
कोटिक प्रभा विकासिनी जय जय II (११)
त्रिभुवन सकल कुटुंब तिहारी I
अणु अणु महं तुम्हारी उजियारी ई (१२)
हैं महेश प्राणेश तुम्हारे I
त्रिभुवन के जो नित रखवारे II (१३)
उनसो पति तुम प्राप्त कीन्ह जब I
सुकृत पुरातन उदित भए तब ई (१४)
बूढ़ा बैल सवारी जिनकी I
महिमा गावे कोउ तिनकी II (१५)
सदा श्मशान बिहारी शंकर I
आभूषण हैं भुजंग भयंकर II (१६)
कण्ठ हलाहल को छबि छायी I
नीलकण्ठ की पदवी पायी II (१७)
देव मगन के हित अस किन्हो I
विष लै आपु तिनहि अमि दिन्हो II (१८)
ताकी, तुम पत्नी छवि धारिणी I
दुरित विदारिणी मंगल कारिणी II (१९)
देखि परम सौंदर्य तिहारो I
त्रिभुवन चकित बनावन हारो II (२०)
भय भीता सो माता गंगा I
लज्जा मय है सलिल तरंगा II (२१)
सौत समान शम्भू पहआयी I
विष्णु पदाब्ज छोड़ि सो धायी II (२२)
तेहिकों कमल बदन मुर्झायो I
लखी सत्वर शिव शीश चढ़ायो II (२३)
नित्यानंद करी वरदायिनी I
अभय भक्त कर नित अनपायिनी II (२४)
अखिल पाप त्रय्ताप निकन्दिनी I
माहेश्वरी, हिमालय नन्दिनी II (२५)
काशी पुरी सदा मन भायी I
सिद्ध पीठ तेहि आपु बनायी II (२६)
भगवती प्रतिदिन भिक्षा दात्री I
कृपा प्रमोद सनेह विधात्री II (२७)
रिपुक्षय कारिणी जय जय अम्बे I
वाचा सिद्ध करि अवलम्बे II (२८)
गौरी उमा शंकरी काली I
अन्नपूर्णा जग प्रतिपाली II (२९)
सब जन की ईश्वरी भगवती I
पतिप्राणा परमेश्वरी सती II (३०)
तुमने कठिन तपस्या कीनी I
नारद सो जब शिक्षा लीनी II (३१)
अन्न न नीर न वायु अहारा I
अस्थि मात्रतन भयउ तुम्हारा II (३२)
पत्र घास को खाद्य न भायऊ I
उमा नाम तब तुमने पायऊ II (३३)
तप बिलोकी ऋषि सात पधारे,
लगे डिगावन डिगी न हारे II (३४)
तब तब जय जय जय उच्चारेऊ I
सप्तऋषि, निज गेह सिद्धारेऊ II (३५)
सुर विधि विष्णु पास तब आए I
वर देने के वचन सुनाए II (३६)
मांगे उमा वर पति तुम तिनसों I
चाहत जग त्रिभुवन निधि जिनसों II (३७)
एवमस्तु कही ते दोऊ गए I
सुफल मनोरथ तुमने लए II (३८)
करि विवाह शिव सों भामा I
पुनः कहाई हर की वामा II (३९)
जो पढ़ि है जन यह चालीसा I
धन जन सुख देइ है तेहि ईसा II (४०)
॥ दोहा ॥
कूटि चंद्रिका सुभग शिर,
जयति सुख खानि I
पार्वती निज भक्त हित,
रहहु सदा वरदानि।I
॥ इति श्री पार्वती चालीसा सम्पूर्ण॥
नवरात्रि का त्योहार माता पार्वती की श्रद्धा और भक्ति का parvati chalisa लोकप्रिय है ! नवरात्रों में नौ दिनों तक देवी पार्वती की सभी रूपो पूजा उपासना की जाती है ! जिनमें मुख्य रूप से शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायिनी, कालरात्रि, महागौरी, और सिद्धिदात्री की पूजा उपासना की जाती है !
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