Khatu Shyam Chalisa
खाटू श्याम चालीसा, श्री खाटू श्याम चालीसा, श्याम बाबा चालीसा, खाटू वाले का चालीसा, बाबा श्याम चालीसा, प्यारे का श्याम चालीसा
हाथ में तीन बाण और धनुष के साथ नीले घोड़े पर सवार मेरे बाबा की छवि बड़ी ही मन मोहक हैं ! श्याम बाबा के भक्त khatu आकर उनको श्याम भजन, khatu shyam chalisa खाटू श्याम चालीसा, श्रीखाटू श्याम चालीसा, श्याम बाबा चालीसा श्याम बाबा की आरती और ॐ जय श्री श्याम हरे के नाम से रिझाया करते हैं !
महाभारत से पहले घटोत्कच और दैत्य मूर की पुत्री मोरवी के पुत्र का नाम बर्बरीक था ! मगर महाभारत के युद्ध में भगवन श्री कृष्ण को अपना शिश दान करने पर श्री कृष्ण उन पर प्रसन्न हुए ! और भगवन श्री कृष्ण ने वरदान दिया कि जैसे जैसे कलियुग शुरू होगा, तुम मेरे श्याम नाम से पूजे जाओगे !
बाबा श्याम हारे का सहारा, तीन बाणधारी, शिश का दानी, लाखदातर, मोरवी नंदन, खाटू नरेश, श्याम धन्नी आदी अनेक नामो से जाने जाते हैं ! श्री बाबा खाटू श्याम जी अपने निज भक्तो की सारी मनोकामना पूर्ण करते हैं ! हारे का सहारा, बाबा श्याम हमारा
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खाटू श्याम चालीसा
( Shri Khatu Shyam Chalisa )
II दोहा II
श्री गुरु चरणन ध्यान धर,
सुमीर सच्चिदानंद।
श्याम चालीसा बणत है,
रच चौपाई छंद।I (१)
II चोपाई II
श्याम-श्याम भजि बारंबारा,
सहज ही हो भवसागर पारा। (१)
इन सम देव न दूजा कोई,
दिन दयालु न दाता होई।। (२)
भीम सुपुत्र अहिलावती जाया,
कही भीम का पौत्र कहलाया। (३)
यह सब कथा सही कल्पांतर,
तनिक न मानो इसमें अंतर।। (४)
बर्बरीक विष्णु अवतारा,
भक्तन हेतु मनुज तन धारा। (५)
बासुदेव देवकी प्यारे,
यसुमति मैया नंद दुलारे।। (६)
मधुसूदन गोपाल मुरारी,
वृजकिशोर गोवर्धन धारी। (७)
सियाराम श्री हरि गोबिंदा,
दिनपाल श्री बाल मुकुंदा।। (८)
दामोदर रण छोड़ बिहारी,
नाथ द्वारिकाधीश खरारी। (९)
नरहरि रूप प्रलहाद प्यारा,
खंभ फारि हिरनाकुस मारा II (१०)
राधाबल्लभ रुक्मणि कंता,
गोपी बल्लभ कंस हनंता। (११)
मनमोहन चित चोर कहाए,
माखन चोरि-चारि कर खाए।I (१२)
मुरलीधर यदुपति घनश्यामा,
कृष्ण पतित पावन अभिरामा। (१३)
मायापति लक्ष्मीपति ईशा,
पुरुषोत्तम केशव जगदीशा।I (१४)
विश्वपति जय भुवन पसारा,
दीनबंधु भक्तन रखवारा। (१५)
प्रभु का भेद न कोई पाया,
शेष महेश थके मुनिराया।I (१६)
नारद शारद ऋषि योगिंदर,
श्याम श्याम सब रटत निरंतर। (१७)
कवि कोदी करी कनन गिनंता,
नाम अपार अथाह अनंता।I (१८)
हर सृष्टी हर सुग में भाई,
ये अवतार भक्त सुखदाई। (१९)
ह्रदय माहि करि देखु विचारा,
श्याम भजे तो हो निस्तारा।I (२०)
कौर पढ़ावत गणिका तारी,
भीलनी की भक्ति बलिहारी। (२१)
सती अहिल्या गौतम नारी,
भई श्रापवश शिला दुलारी।I (२२)
श्याम चरण रज चित लाई,
पहुंची पति लोक में जाही। (२३)
अजामिल अरु सदन कसाई,
नाम प्रताप परम गति पाई।I (२४)
जाके श्याम नाम अधारा,
सुख लहहि दुःख दूर हो सारा। (२५)
श्याम सलोवन है अति सुंदर,
मोर मुकुट सिर तन पीतांबर।I (२६)
गले बैजंती माल सुहाई,
छवि अनूप भक्तन मान भाई। (२७)
श्याम-श्याम सुमिरहु दिन-राती,
श्याम दुपहरि कर परभाती।I (२८)
श्याम सारथी जिस रथ के,
रोड़े दूर होए उस पथ के। (२९)
श्याम भक्त न कही पर हारा,
भीर परि तब श्याम पुकारा।I (३०)
रसना श्याम नाम रस पी ले,
जी ले श्याम नाम के ही ले। (३१)
संसारी सुख भोग मिलेगा,
अंत श्याम सुख योग मिलेगा।I (३२)
श्याम प्रभु हैं तन के काले,
मन के गोरे भोले-भाले। (३३)
श्याम संत भक्तन हितकारी,
रोग-दोष अध नाशे भारी।I (३४)
प्रेम सहित जब नाम पुकारा,
भक्त लगत श्याम को प्यारा। (३५)
खाटू में हैं मथुरावासी,
पारब्रह्म पूर्ण अविनाशी।I (३६)
सुधा तान भरि मुरली बजाई,
चहु दिशि जहां सुनी पाई। (३७)
वृद्ध बाल जेते नारि नर,
मुग्ध भये सुनि बंशी स्वर।I (३८)
दोड़ दोड़ कर सब पहुंचे जाई,
खाटू में जहां श्याम कन्हाई। (३९)
जिसने श्याम स्वरूप निहारा,
भव भय से पाया छुटकारा।I (४०)
II दोहा II
श्याम सलोने संवारे, बर्बरीक तनुधार।
इच्छा पूर्ण भक्त की, करो न लाओ बार।।
॥ श्री खाटू श्याम चालीसा सम्पूर्ण ॥
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