माता करणी मां दुर्गा की साक्षात अवतार हैं ! इस मंदिर की ख्याति पुरे भारतवर्ष में फैली हुई हैं ! आज हम बात करेगें एक ऐसे मंदिर के बारे में बारे में ! जो राजस्थान के बीकानेर जिले के देशनोक नामक कस्बे में karni mata mandir के नाम से जाना जाता हैं !
करणी माता कौन थीं ! कहाँ पर हैं करणी माता मंदिर ? कब बना था ये मंदिर ? किस राजा ने बनाया था ये मंदिर ? करनी माता किस की कुलदेवी हैं ! क्यों जाना जाता हैं इस मंदिर को चूहों वाली माता के नाम से ! और क्यों मिलता हैं भक्तों को चूहों का जूठा प्रसाद, क्यों सफेद चूहे का हैं खास महत्व हैं
इस मंदिर में,और क्या रहस्यमय हैं इस मंदिर का ! करणी माता की आरती , इन्ही सब बातो की जानकारी के लिये पूरा लेख पढ़े !
माँ करनी के मंदिर का इतिहास कई हजारो साल पुराना हैं ! करणी का अर्थ होता हैं चमत्कार ! तभी उनको करणी माता के नाम से पहचान मिली ! बीकानेर से लगभग 35 कि.मी. देशनोक नामक कस्बे में स्थित हैं, करणी माता जी का ये मंदिर ! माता करणी मां दुर्गा का साक्षात अवतार हैं !
यहाँ नवरात्रों में लोग दुर-दुर से आकर माँ का दर्शन करते हैं ! इसको चूहों वाली माता या चूहों का मंदिर के नाम से भी जाना जाता हैं !यहाँ आने वाले कई भक्तों की मुराद पूरी होती हैं !
इस मंदिर की अजीब बात यह हैं कि यहां माता को प्रसन्न करने के लिये चूहों को प्रसाद खिलाना पड़ता हैं ! karni mata mandir ट्रस्ट वालो का दावा है कि इस मंदिर में साढ़े छ: सौ साल से नियमित माता की पूजा होती आ रही हैं !
हर साल यहां देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्धालु आते हैं।अगर आपने यह मंदिर नहीं देखा हैं, तो एक बार आपको जरुर जाना चाहिए !
करणी माता को माँ जगदंबा माता का अवतार माना जाता हैं ! जोधपुर के पास 1387 ईसवी में सुवाण गांव में मेहाजी चारण के घर कन्या के रूप में करणी माता ने जन्म लिया था ! करणी माता के बचपन का नाम रिघुबाई था ! इन्हें मात्र 6 साल की उम्र में ही अपने चमत्कारों को दिखाना शुरू कर दिया !
बताया जाता हैं कि रिघुबाई ने बचपन में अपनी बुआ की को टेढ़ी अंगुली को स्पर्श कर के ठीक कर दिया था ! उस समय बुआ ने रिघुबाई को करणी नाम दिया !
अनोखे चमत्कारो के कारण इन्हें करणी माता के नाम से पूजा जाने लगा ! करणी माता के पति का नाम किपोजी चारण था ! साठिका गांव के किपोजी चारण से रिघुबाई की शादी हुई थी ! लेकिन शादी के कुछ समय बाद ही उनका मन सांसारिक जीवन को त्याग कर माँ दुर्गा के आराधना करेने लगी !
उन्होंने अपनी छोटी बहन गुलाब का किपोजी चारण की शादी से करवाकर खुद को माता की भक्ति की सेवा में लगा दिया। आज जहां पर यह karni mata mandir बना हुआ है, वहां मंदिर परिसर में एक गुफा बनी हुई हैं ! जिसमे करणी माता अपनी इष्ट देवी की पूजा किया करती थी।
महाराजा गंगा सिंह जी को करनी माता पर अथाह आस्था थी ! एक बार अंग्रोजो ने धोखे से गंगा सिंह जी को दिल्ली बुलाया था ! उस समय करनी माता ने ही उनको बचाया था ! बताया जाता हैं की 15 वीं शताब्दी में राजपूत राजा महाराजा गंगा सिंह ने इस karni mata mandir का निर्माण करवाया था ! करणी माता बीकानेर के पूर्व राजपरिवार राजघराने की कुलदेवी हैं !
और जोधपुर व बीकानेर पर राज करने वाले राठौड़ राजाओं की आराध्य देवी बनी ! माँ करणी के आशीर्वाद से ही बीकानेर और जोधपुर के राजपूत राजा अस्तित्व में आए हैं ! कहा जाता है कि करणी माता ने 151 साल तक तपस्या की और 1538 को ज्योतिर्लिन हुई थी ! उनके ज्योतिर्लिन के बाद माता के भक्तों ने माँ करणी की मूर्ति स्थापना कर के उनकी पूजा शुरू कर दी !
बीकानेर राजघराने के महाराजा गंगासिंह जी को माता ने दर्शन दिए थे। जिसके बाद से महाराजा गंगासिंह जी ने मंदिर का निर्माण करवाया ! करनी माता का यह मंदिर संगमरमर के पत्थरो से काफी भव्य व सुंदर बना हुआ हैं। मंदिर के मुख्य दरवाजे पर संगमरमर के पत्थरो से विशेष नक्काशी की गई हैं !
और मंदिर के गर्भ दरवाजे चांदी के बने हुवे हैं ! करणी माता की मूर्ति पर हमेशा सोने से बना छत्र लगा रहता हैं ! और चूहों को प्रसाद चढाने के लिए चांदी की बड़ी परातों का मंदिर परिसर में उपयोग किया जाता होता हैं ! चूहें आकर उन चांदी की बड़ी परातों में से प्रसाद ग्रहण करते हैं।
यहीं प्रसाद भक्तों में बांटा जाता हैं ! माँ करनी मंदिर में साल भर कोई ना कोई धार्मिक कार्यक्रमो का आयोजन होते रहता हैं ! वाकई में karni mata mandir का निर्माण राजशाही परिवार की अनूठी मिसाल हैं !
आपको मंदिर प्रांगण और गर्भगृह में हजारों चूहें घूमते हुवे नजर आ आएंगें ! इस मंदिर में लगभग 20 से 25 हजार तक चूहें बताये जाते हैं ! इसलिए इस मंदिर को चूहों वाली माता के नाम से भी जाना जाता हैं ! karni mata mandir के चूहों को काबा कहा जाता हैं !
इन चूहों को करणी माता के परिवार के सदस्य के रूप में जाना जाता हैं ! मंदिर में करनी माता की पूजा-अर्चना चारण समाज के लोग ही करते हैं ! माता को प्रसन्न करने के लिए चूहों को प्रसाद खिलाना पड़ता हैं ! मंदिर परिसर में पैरों को घसीटकर चलना पड़ता हैं, ताकि कोई चुहाँ (काबा) पैर के नीचे न आ जाएं !
चूहों पर पैर लगना अशुभ माना जाता हैं ! अगर किसी के पांव से कोई चुहा मर जाये तो उसे यहां पर सोने या चांदी का चूहा बनवाकर चढ़ाना पड़ता हैं ! एक बार जब हमारे देश में चूहों के कारण प्लेग का रोग फैला था ! उस समय देशनोक वन उसके आसपास का क्षेत्र पूरी तरह सुरक्षित था !
इस रहस्य से आज तक विज्ञान भी पर्दा नहीं उठा पाया !
इस मंदिर में सफेद चूहों को विशेष रूप से पूज्य माना जाता हैं ! बताया जाता हैं की कहा जाता है कि ये चूहें करणी माता के वंशज हैं ! यहाँ के चूहों की एक खास बात यह भी है कि ये सुबह मंदिर में होने वाली मंगला आरती व शाम की संध्या आरती के समय अपने बिलों से बाहर आ जाते हैं। इतने चूहें होने के बाद में भी इस मंदिर में दुर्गंध नहीं आती हैं !
इस मंदिर में प्रवेश करते ही आपको हर जगह चूहें ही चूहें नजर आएगें ! और इतना ही नही ये आपके शरीर पर उछल-कूद भी करेगें ! मगर आपको यहाँ अपने पैरो को घसीटते हुए चलाना पड़ेगा ! जिससे कोई भी चूहा घायल न हो जाये ! अगर karni mata mandir में एक चूहा भी आपके पैर के ऊपर से होकर गुजर जाता है, तो समझो कि आप पर देवी की कृपा हो गई !
यहाँ पर कुछ सफेद चूहे भी रहते है, जिनको बहुत ही पवित्र माना जाता है ! इतना ही नहीं सफेद चूहो को देखने के लिए यहां पर भक्तों में काफी होड़ लगती है ! यदि आपने यहाँ पर सफेद चूहा देख लिया तो आपकी सारी मनोकामना पूर्ण हो जाती है ऐसी मान्यता बताई जाती
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करनी माता जी के बारे में ये जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना ! सनातन धर्म की जानकारी अधिक से अधिक अपने रिश्तेदारों, मित्रों व सगे संबंधियों तक पहुंचाने के लिए इसको अधिक से अधिक शेयर जरूर करें !
यह सारी जानकारी मैंने अपने निजी स्तर पर खोजबीन करके इकट्ठी की है ! इसमें त्रुटि हो सकती है ! उसके लिए मैं आपसे अग्रिम क्षमा याचना करता हूं !
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