karni mata chalisa
श्री करणी माता का चालीसा ,करणी चालीसा , देशनोक करणी चालीसा,
माँ करणी चालीसा, माता करणी चालीसा, चूहे वाली माता का चालीसा
करणी माता को माँ जगदंबा माता का अवतार माना जाता हैं ! करणी माता के बचपन का नाम रिघुबाई था ! और करणी माता के पति का नाम था किपोजी चारण ! महाराजा गंगासिंह जी ने करणी माता मंदिर का निर्माण करवाया ! करणी माता की मूर्ति पर हमेशा सोने से बना छत्र लगा रहता हैं ! karni mata chalisa : श्री करणी माता का चालीसा, करणी चालीसा, देशनोक करणी चालीसा घर घर में पढ़ा जाता हैं !
इस मंदिर में लगभग 20 से 25 हजार तक चूहें बताये जाते हैं ! इसलिए इस मंदिर को चूहों वाली माता के नाम से भी जाना जाता हैं ! यह मंदिर राजस्थान के बीकानेर जिले से लगभग 35 कि.मी. देशनोक नामक कस्बे में स्थित हैं !
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श्री करणी माता चालीसा
( karni mata chalisa )
II दोहा II
जय गणेश जय गज बदन, करण सुमंगल मूल।
करहू कृपा निज दास पर, रहहू सदा अनूकूल॥ (१)
जय जननी जगदीश्वरी, कह कर बारम्बार ।
जगदम्बा करणी सुयश, वरणउ मति अनुसार ॥ (२)
II चोपाई II
सूमिरौ जय जगदम्ब भवानी ।
महिमा अकथन जाय बखानी ॥ (१)
नमो नमो मेहाई करणी ।
नमो नमो अम्बे दुःख हरणी ॥ (२)
आदि शक्ति जगदम्बे माता ।
दुःख को हरणि सुख कि दाता ॥ (३)
निरंकार है ज्योति तुम्हारी ।
तिहूं लोक फैलि उजियारो ॥ (४)
जो जेहि रूप से ध्यान लगावे ।
मन वांछित सोई फल पावे ॥ (५)
धौलागढ़ में आप विराजो ।
सिंह सवारी सन्मुख साजो ॥ (६)
भैरो वीर रहे अगवानी ।
मारे असुर सकल अभिमानी ॥ (७)
ग्राम सुआप नाम सुखकारी ।
चारण वंश करणी अवतारी ॥ (८)
मुख मण्डल की सुन्दरताई ।
जाकी महिमा कही न जाई ॥ (९)
जब भक्तों ने सुमिरण कीन्हा ।
ताही समय अभय करि दीन्हा ॥ (१०)
साहूकार की करी सहाई ।
डूबत जल में नाव बचाई ॥ (११)
जब कान्हे न कुमति बिचारी ।
केहरि रूप धरयो महतारी ॥ (१२)
मारयो ताहि एक छन मांई ।
जाकी कथा जगत में छाई ॥ (१३)
नेड़ी जी शुभ धाम तुम्हारो ।
दर्शन करि मन होय सुखारो ॥ (१४)
कर सौहै त्रिशूल विशाल ।
गल राजे पुष्प की माला ॥ (१५)
शेखोजी पर किरपा कीन्ही ।
क्षुधा मिटाय अभय कर दीन्हा ॥ (१६)
निर्बल होई जब सुमिरन कीन्हा ।
कारज सबि सुलभ कर दीन्हा ॥ (१७)
देशनोक पावन थल भारी ।
सुन्दर मंदिर की छवि न्यारी ॥ (१८)
मढ़ में ज्योति जले दिन राती ।
निखरत ही त्रय ताप नशात ॥ (१९)
कीन्ही यहाँ तपस्या आकर ।
नाम उजागर सब सुख सागर ॥ (२०)
जय करणी दुःख हरणी मइया ।
भव सागर से पार करइया ॥ (२१)
बार बार ध्याऊं जगदम्बा ।
कीजे दया करो न विलम्बा ॥ (२२)
धर्मराज नै जब हठ कीन्हा ।
निज सुत को जीवित करि लीन्हा ॥ (२३)
ताहि समय मर्याद बनाई ।
तुम पह मम वंशज नहि आई ॥ (२४)
मूषक बन मंदिर में रहि है ।
मूषक ते पुनि मानुष तन धरि है ॥ (२५)
दिपोजी को दर्शन दीन्हा ।
निज लिला से अवगत कीन्हा ॥ (२६)
बने भक्त पर कृपा कीन्ही ।
दो नैनन की ज्योति दीन्ही ॥ (२७)
चरित अमित अति कीन्ह अपारा ।
जाको यश छायो संसारा ॥ (२८)
भक्त जनन को मात तारती ।
मगन भक्त जन करत आरती ॥ (२९)
भीड़ पड़ी भक्तों पर जब ही ।
भई सहाय भवानी तब ही ॥ (३०)
मातु दया अब हम पर कीजै ।
सब अपराध क्षमा कर दीजे ॥ (३१)
मोको मातु कष्ट अति घेरो ।
तुम बिन कौन हरे दुःख मेरो ॥ (३२)
जो नर धरे मात कर ध्यान ।
ताकर सब विधि हो कल्याण ॥ (३३)
निशि वासर पूजहिं नर-नारी ।
तिनको सदा करहूं रखवारी ॥ (३४)
भव सागर में नाव हमारी ।
पार करहु करणी महतारी ॥ (३५)
कंह लगी वर्णऊ कथा तिहारी ।
लिखत लेखनी थकत हमारी ॥ (३६)
पुत्र जानकर कृपा कीजै ।
सुख सम्पत्ति नव निधि कर दीजै ॥ (३७)
जो यह पाठ करे हमेशा ।
ताके तन नहि रहे कलेशा ॥(३८)
संकट में जो सुमिरन करई ।
उनके ताप मात सब हरई ॥ (३९)
गुण गाथा गाऊं कर जोरे ।
हरह मात सब संकट मोरे ॥ (४०)
II दोहा II
आदि शक्ति अम्बा सुमिर,धरि करणी का ध्यान।
मन मंदिर में बास करो,मैया दूर करो अज्ञान II
॥ श्री करणी माँ चालीसा सम्पूर्ण ॥
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