माँ कैला देवी का पावन Shri Kaila Devi Chalisa माता राणी को सुनाने वाले भक्त की माँ हर मनोकामना पूर्ण करती है ! साल के दोनों नवरात्रों में माता के दरबार में जाकर दर्शन जरुर करना चाहिए !
श्री कैला देवी चालीसा हिंदी में
Shri Kaila Devi Chalisa In Hindi
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श्री कैला देवी चालीसा
Shri Kaila Devi Chalisa
II दोहा II
जय जय कैला मात, माँ तुम्हे नमाउ माथ I
शरण पडू में चरण में, जोडू दोनों हाथ II
II चौपाई II
जय जय जय कैला महारानी I
नमो नमो जगदम्ब भवानी II (१)
सब जग की हो भाग्य विधाता I
आदि शक्ति तू सबकी माता II (२)
दोनों बहिना सबसे न्यारी I
महिमा अपरम्पार तुम्हारी II (३)
शोभा सदन सकल गुणखानी I
वैद पूराणन माँही बखानी II (४)
जय हो मात करौली वाली I
शत प्रणाम कालीसिल वाली II (५)
ज्वालाजी में ज्योति तुम्हारी I
हिंगलाज में तू महतारी II (६)
तू ही नई सैमरी वाली I
तू चामुंडा तू कंकाली II (७)
नगर कोट में तू ही विराजे I
विंध्यांचल में तू ही राजै II (८)
घोलागढ़ बेलौन तू माता I
वैष्णवदेवी जग विख्याता II (९)
नव दुर्गा तू मात भवानी I
चामुंडा मंशा कल्याणी II (१०)
जय जय सूये चोले वाली I
जय काली कलकत्ते वाली II (११)
तू ही लक्ष्मी तू ही ब्रम्हाणी I
पार्वती तू ही इन्द्राणी II (१२)
सरस्वती तू विध्या दाता I
तू ही है संतोषी माता II (१३)
अन्नपुर्णा तू जग पालक I
मात पिता तू ही हम बालक II (१४)
ता राधा तू सावित्री I
तारा मतंग्डिंग गायत्री II (१५)
तू ही आदि सुंदरी अम्बा I
मात चर्चिका हे जगदम्बा II (१६)
एक हाथ में खप्पर राजै I
दूजे हाथ त्रिशूल विराजै II (१७)
काली सिल पै दानव मारे I
राजा नल के कारज सारे II (१८)
शुम्भ निशुम्भ नसावनि हारी I
महिषासुर को मारनवारी II (१९)
रक्तबीज रण बीच पछारो I
शंखा सुर तैने संहारो II (२०)
ऊँचे नीचे पर्वत वारी I
करती माता सिंह सवारी II (२१)
ध्वजा तेरी ऊपर फहरावे I
तीन लोक में यश फैलावे II (२२)
अष्ट प्रहर माँ नौबत बाजै I
चाँदी के चौतरा विराजै II (२३)
लांगुर घटूअन चलै भवन में I
मात राज तेरौ त्रिभुवन में II (२४)
घनन घनन घन घंटा बाजत I
ब्रह्मा विष्णु देव सब ध्यावत II (२५)
अगनित दीप जले मंदिर में I
ज्योति जले तेरी माँ घर-घर में II (२६)
चौसठ जोगिन आंगन नाचत I
बामन भैरों अस्तुति गावत II (२७)
देव दनुज गन्धर्व व् किन्नर I
भुत पिशाच नाग नारी नर II (२८)
सब मिल माता तोय मनावे I
रात दिन तेरे गुण गावे II (२९)
जो तेरा बोले जैकारा,
होय मात उसका निस्तारा II (३०)
मना मनौती आकर घर सै I
जात लगा जो तोंकू परसै II (३१)
ध्वजा नारियल भेंट चढ़ावे I
गुंगर लौंग सो ज्योति जलावै II (३२)
हलुआ पूरी भोग लगावै I
रोली मेहंदी फूल चढ़ावे II (३३)
जो लांगुरिया गोद खिलावै I
धन बल विध्या बुद्धि पावै II (३४)
जो माँ को जागरण करावै I
चाँदी को सिर छत्र धरावै II (३५)
जीवन भर सारे सुख पावै I
यश गौरव दुनिया में छावै II (३६)
जो भभूत मस्तक पै लगावे I
भुत प्रेत न वाय सतावै II (३७)
जो कैला चालीसा पड़ता I
नित्य नियम से इसे सुमरता II (३८)
मन वांछित वह फल को पाता I
दुःख दारिद्र नष्ट हो जाता II (३९)
गोविन्द शिशु है शरण तुम्हारी I
रक्षा कर कैला महतारी II (४०)
|| दोहा ||
संवत तत्व गुण नभ, भुज सुन्दर रविवार I
पौष सुदी दौज शुभ, पूर्ण भयो यह कार II
II इति माँ कैला देवी चालीसा सम्पूर्ण II
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