Jeen Chalisa
श्री जीण चालीसा, जीण माता चालीसा, जय श्री जीण भक्त सुखकारी
गोरिया की महारानी माँ जीण भवानी का हर संकट को दूर करने वाला चमत्कारी shri jeen chalisa का पाठ रोज करना चाहियें ! श्री जीण चालीसा पाठ नवरात्रों में उपासना करने वाला हर भक्त बड़ी लग्न से करता हैं ! jeen chalisa जय श्री जीण भक्त सुखकारी करने के बाद जीण माता की आरती भी करनी चाहियें ! jeen mata chalisa का सम्पूर्ण पाठ आपको यहाँ पढने को मिल जायेगा !
-: अन्य चालीसा संग्रह :-
गणेश चालीसा
दुर्गा चालीसा
लक्ष्मी चालीसा
कुबेर का चालीसा
खाटू श्याम चालीसा
*******************
श्री जीण चालीसा
( Shri Jeen Chalisa )
***************************
|| दोहा ||
श्री गुरुपद सुमिरण करी,
गौरीनंदन ध्याय ।
वरणों माता जीण यश ,
चरणों शीश नवाय ।। (१)
झांकी की अद्भुत छवि ,
शोभा बरनी न जाय ।
जो नित सुमरे माय को ,
कष्ट दूर हो जाय ।। (२)
॥ चौपाई ॥
जय श्री जीण भक्त सुखकारी,
नमो नमो भक्तन हितकारी I (१)
दुर्गा की तुम हो अवतारा,
सकल कष्ट तु मेट हमारा ॥ (२)
महाभयंकर तेज तुम्हारा,
महिषासुर सा दुष्ट संहारा I (३)
कंचन छत्र शिश पर सोहे,
देखत रूप चराचर मोहे॥ (४)
तुम क्षत्रीधर तनधर लिन्हां,
भक्तों के सब कारज किन्हा I (५)
महाशक्ति तुम सुन्दर बाला,
डरपत भूत प्रेत जम काला ॥ (६)
ब्रहमा विष्णु शंकर ध्यावे,
ऋषि मुनि कोई पार न पावे I (७)
तुम गौरी तुम शारदा काली,
रमा लक्ष्मी तुम कप्पाल II (८)
जगदम्बा भवरों की रानी,
मैया मात तू ही भवानी I (९)
सत पर तजे जीण तुम गेहा,
त्यागा सब से क्षण में नेहा II (१०)
महातपस्या करनी ठानी,
हरष खास था भाई ज्ञानी I (११)
पिछे से आकर समझाई,
घर चल वापिस माँ की जाई II (१२)
बहुत कही पर एक ना मानी,
तब हरसा यूँ उचरी बानी I (१३)
मैं भी बाई घर नहीं जाऊँ,
तेरे साथ राम गुण गाऊँ (१४)
अलग अलग तप स्थल किन्हां,
रैन दिवस तप में चितदीन्हा I (१५)
तुम तप कर दुर्गात्व पाया,
हरषनाथ भैरू बन छाया II (१६)
वाहन सिंह खडक कर चमके,
महातेज बिजली सा दमके I (१७)
गदा चक्र त्रिशूल विराजे,
भागे दुष्ट जब दुर्गा जागे II (१८)
मुगल बादशाह चढकर आया,
सेना बहुत सजाकर लाया I (१९)
भैरव का मंदिर तुड़वाया,
फिर वो इस मंदिर पर धाया II (२०)
यह देख पण्डे घबराये,
करी स्तुति मात जगाये I (२१)
तब माता तु भौरें छोड़े,
सेना सहित भागे घोड़े II (२२)
बल का तेज देख घबराया,
जा चरणों में शीश नवाया I (२३)
क्षमा याचना किन्हीं भारी,
काट जीण मेरी सब बेमारी II (२४)
सोने का वो छत्र चढ़ाया,
तेल सवामण और बंधाया I (२५)
चमक रही कलयुग में माई,
तीन लोक में महिमा छाई II (२६)
जो कोई तेरे मंदिर आवे,
सच्चे मन से भोग लगावे I (२७)
रोली वस्त्र कपूर चढ़ावे,
मनवांछित पूर्ण फल पावे II (`२८)
करे आरती भजन सुनावे,
सो नर शोभा जग में पावे I (२९)
शेखावाटी धाम तुम्हारा,
सुन्दर शोभा नहीं सुम्हारा II (३०)
अश्विन मास नौराता माही,
कई यात्री आवे जाही I (३१)
देश देश से आवे रेला,
चैत मास में लागता मेला II (३२)
आवे ऊँट कार बस लारी,
भीड़ लगे मेला में भारी I (३३)
साज बाज से करते गाना,
कई मर्द और कई जनाना II (३४)
जात जडुला चढे अपारा,
सवामणी का पाऊ न पारा I (३५)
मदिरा में रहती मतवाली,
जय जगदम्बा जय महाकाली II (३६)
जो कोई तुमको सुरा चढ़ावे,
मौज करे जुग जुग सुख पावे I (३७)
तुम्ही हमारी पितु और माता,
भक्ति शक्ति दो हे दाता (३८)
जीण चालीसा जो कोई गावे,
सो सत पाठ करे करवावे I (३९)
मैया नैया पार लगावे,
सेवक चरणों में चित लावे II (४०)
|| दोहा ||
जय दुर्गा जय अंबिका,
जग जननी गिरी राय I
दया करो हे चंडिका,
विनऊ शीश नवाय II
Related
2 Comments
[…] जीण माता चालीसा […]
[…] जीण माता का चालीसा […]