आज हम यहां पर भारत के सनातन प्राचीन Gurukul के बारे में बात करेंगे ! गुरुकुल का अर्थ क्या है, गुरुकुल में क्या होता था, गुरुकुल कितने प्रकार के होते थे, गुरुकुल शिक्षा के उद्देश्य क्या थे ! और गुरुकुल में एडमिशन कैसे होता था, गुरुकुल के नियम क्या थे, गुरुकुल की दिनचर्या कैसे होती थी, गुरुकुल की फीस क्या थी !
वैदिक गुरुकुल क्या होता है ! गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली कैसी थी ! गुरुकुल की क्या विशेषता थी ! भारत के प्राचीन Gurukul कौन-कौन से थे ! आजादी से पहले भारत में कितने गुरुकुल थे, गुरुकुल में क्या पढ़ाया जाता था, गुरुकुल में शिक्षा का विभाजन कैसे होता था ! कैसे खत्म हो गए भारत से गुरुकुल ! सब बातों की जानकारी आज हम यहां पर जानेंगे
गुरुकुल का अर्थ है, जहाँ गुरु और शिष्य एक स्थान या क्षेत्र में परिवार की तरह निवास करते हो ! प्राचीन काल में गुरु या आचार्य और शिक्षा ग्रहण करने वाले शिष्य को परिवार माना जाता था ! गुरुकुल में दाखिले के लिए छात्रों की आयु तक छ: साल से लेकर बारह वर्ष की होना अनिवार्य था !
शिक्षा के साथ साथ ब्रह्मचर्य का पालन करना, अनुशासन का पालन करना सिखाया जाता था। छात्रो को अपने पसंद के काम के काम को सिखाने का अवशर दिया जाता था ! शारीरिक स्वास्थ्य बेहतर बनाने के लिए खेल, योग, ध्यानयोग, कसरत पर विशेष ध्यान दिया जाता था !
गुरुकुल दुनिया की पहली सनातन धर्म की एक प्राचीन शिक्षा पद्धति थी ! जहां पर जीवन उपार्जन के साथ-साथ अस्त्र-शस्त्र की शिक्षा और वेद पुराणों की शिक्षा दी जाती थी ! गुरुकुल में पढ़ने वाले सभी विद्यार्थियों को बचपन में ही शिक्षा के लिए भेज दिया जाता था ! जहां पर उन्हें ब्रह्मचार्य का पालन करना व पढ़ाई पूरी होने पर एक जागरूक नागरिक के रूप में समाज में आदर्श स्थापित कर सके ! ऐसी शिक्षा दी जाती थी !
प्राचीन भारत में तीन प्रकार के गुरूकुल होते थे I जो इस प्रकार से जाने जाते थे !
गुरुकुल में प्रवेश के लिए निर्धारित उम्र का पालन किया जाता था ! एवं जो शिष्य शिक्षा के उद्देश्य से शिक्षा ग्रहण करने के लिए आए, उसी को ही प्रवेश दिया जाता था ! शिष्य का मानसिक एवम् शारीरिक रूप से स्वस्थ होना आवश्यक होता था !
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प्राचीन काल में गुरु या आचार्य शिक्षा ग्रहण करने वाले शिष्य को अपने परिवार का हिस्सा मानते थे ! इसलिए आज की तरह उस समय में शिक्षा के लिए कोई भी वार्षिक शुल्क नही लिया जाता था ! मगर गुरुकुल के प्रत्येक गुरु, आचार्य व शिष्यो के भोजन के लिए बरी-बारी से नगर में जाकर शिष्यो भीक्षा जरुर मांगकर लानी पड़ती थी !
वैदिक गुरुकुल में सनातन धर्म के अनुसार वेदों की शिक्षा व पंचभूतो से बने शशिर (अग्नि, वायु, जल, पृथ्वी, आकाश) की शिक्षा दी जाती थी ! जिनमे निम्न प्रमुख शिक्षा
वैदिक विज्ञान में चारों वेद, उपनिसद, मंत्रोचार, सनातन धर्म से ईश्वर की आराधना करना सिखाया जाता था ! मंत्रोचारण द्वारा देवीय सिद्धिया प्राप्त करना ! वैदिक मंत्रोचार द्वारा हवन, यज्ञ करवाना
मंत्रोचारण द्वारा अग्नि उत्पन्न, अग्नि अस्त्र-शास्त्र का निर्माण व उपयोग व हमारे शशिर की बाहरी और आतंरिक अग्नि के बारे मे बताया जाता था !
गुरुकुल में वायु दबाब के कारण बदलते मौषम पर नियंत्रण, वायु वेग से चलने वाले अस्त्र-शास्त्र व विमानों के बारे में जानकारी ! वायुमंडल में अन्य ग्रहों का प्रभाव व मानव शरीर में वायु से होने वाले विकारो से उत्पन्न बीमारियों के बारे में भी gurukul में पढाया जाता था !
बरसात के पानी को भंडारण करने एवं उसके उपयोग के बारे में जानकारी ! जल से चिकित्सा, बरसात न होने पर वैदिक मंत्रोच्चारण से धरती पर जल की कमी को दूर करना ! हर जीव जंतु के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था करना एवं दैनिक उपभोग में कितना पानी उपयोग करना है ! और जल पर चलने वाले यंत्रो का निर्माण व उसके उपयोग बारे में गुरुकुल में बताया जाता था !
पृथ्वी पर पर्यावरण संतुलन को बनाए रखने में मदद करना ! पृथ्वी पर उत्पन्न खनिज पदार्थ जड़ी बूटियां के बारे में जानकारी gurukul में दी जाती थी ! एवं कृषि के लिए भूमि की भौगोलिक स्थिति व जल संसाधनों का भंडारण व उपयोग आदि
अंतरिक्ष में होने वाली खगोलीय घटनाओं के बारे में जानकारी, सूर्य मंडल में स्थित तारों के बारे में जानकारी, व अंतरिक्ष में होने वाली खगोलीय घटनाओं का धरती पर प्रभाव के बारे में बताया जाता था ! ग्रह नक्षत्रों की चाल के द्वारा आने वाले समय की सटीक भविष्यवाणी करना सिखाया जाता था !
अनेक प्रकार की जड़ी बूटियों से आयुर्वेदिक औषधि बनाने की विधि और उपचार के बारे में गुरुकुल में पढ़ाया जाता था ! और गुरुकुल के आचार्यों ने अपने शिष्य को आयुर्वेदिक औषधियों की ऐसी ऐसी विद्या सिखाई जिन से इलाज करना बहुत ही सहज व आसन हो जाता था !
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गुरुकुल की शिक्षा प्रणाली प्रत्येक क्षेत्र के लोगों को आसानी से रोजगार में आत्मनिर्भर बनाने के लिए अनेक प्रकार की शिक्षा दी जाती थी ! आगे चलकर उनको उनके काम से पहचान मिलाने लगी ! जैसे स्वर्ण का कम करने वाले स्वर्णकार, रत्न का काम करने वाले जोहरी, वस्त्र का कम करने वाले दर्जी, लोह का कम करने वाले लोहार व अन्य !
जिनमें निम्न प्रकार की शिक्षाएं प्रमुख थी !
प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले रत्न, उपरत्न व नवरत्नों की गुणवत्ता व उनके उपयोग, उनको तराशने, उनके विक्रय के बारे में बताया जाता था
स्वर्ण आभूषणों की उच्च गुणवत्ता के रूप में निर्माण व कलात्मक ढंग से उनकी डिजाइन और उनकी उपयोगिता के बारे में gurukul में सिखाया जाता था !
कृषि द्वारा उत्पन्न उच्च क्वालिटी की कपास से धागा तैयार करना, उस धागे से कपड़ा बनाना व कपड़े से कैसे वस्त्र बनाएं जाएं ! इस बारे में विधिवत पूर्ण ज्ञान करवाया जाता था !
मिट्टी के द्वारा घर में उपयोग आने वाले बर्तनों व खाद्यान्नों का भंडारण करने के लिए बड़े-बड़े बर्तनों को बनाने व उनके उपयोग के बारे में
कपास से निर्मित वस्त्रो को रंगने, उनके छपाई करने के लिए विभिन्न प्रकार के प्राकृतिक रंग बनाने व उनके उपयोग के बारे में gurukul में सिखाया जाता था !
वास्तुकार में भवन बनाने के लिए नक्शा बनाना, उसके वास्तु अनुसार मजबूत व प्राकृतिक रूप से अनुकूल निर्माण, उनकी साज सज्जा के लिए चित्रकारी व आक्रतांओ द्वारा हमले से बचाव के लिए मजबूत निर्माण के बारे में gurukul में पढाया जाता था !
हर तरह के सात्विक भोजन बनाने की विद्या गुरुकुल में सिखाई जाती थी ! जिससे जीवन में आत्म निर्भर रहकर हर परिस्थितियों में भोजन के लिए किसी पर निर्भर न रहना पड़े ! यह शिक्षा गुरुकुल में पढ़ने वाले प्रत्येक विद्यार्थी को सिखाई जाती थी !
गुरुकुल की मुख्य विशेषता यह थी की यह पर विद्या ग्रहण करने के बाद कोई भी बेरोजगार ना रहे ! रोजगार से सम्ब्धित निम्न प्रकार की शिक्षा दी जाती थी !
रोजगार व स्वंय के हिसाब किताब के लिए वित्तीय लेखा-जोखा के बारे में बताया जाता था ! जिससे जीवन में हिसाब किताब आसानी से रख सके ! और आसानी से रोजगा मिल सके !
जैविक तरीके से कृषि करना सिखाया जाता था ! जिससे आत्मनिर्भरता के साथ-साथ स्वयं रोजगार कर सके !
कृषि एवं घरेलू उपयोग के लिए पशुपालन का ज्ञान gurukul में करवाया जाता था ! जिससे पशुओं की देखभाल करना, उनके बीमार होने पर उनका इलाज करना एवं आत्मनिर्भर बनना
अनेक प्रकार के पक्षियों को प्राकृतिक संतुलन बनाए रखने के लिए पक्षी पालन सिखाया जाता था ! जिसमें कबूतर से एक स्थान से दूसरे स्थान तक संदेश पहुंचाना व अन्य
घरेलू का जंगली पशुओं के बारे में बताया जाता था ! जिसमें घरेलू पशुओं के व जंगली पशुओं से कैसे आत्म रक्षा कर सकें ! उस बारे में सिखाया जाता था !
दैनिक उपयोग के काम में आने वाली मशीनरी का उपयोग व उनको बनाना gurukul में सिखाया जाता था ! जिससे सरलता व आसानी से काम को कम समय में पूरा किया जा सके !
प्राचीन समय में जानवरों से गाड़ी बनाकर उनका एक स्थान से दूसरे स्थान पर जाने के लिए उपयोग करना सिखाया जाता था ! जिनमें मुख्य रुप से ऊंट गाड़ी, बैल गाड़ी, घोड़ा गाड़ी व अन्य प्रकार के से जानवरों को रथ के रूप में प्रयोग किया जाना !
प्राचीन समय में बड़े-बड़े ऋषि मुनि अपने आश्रम से ही गुरुकुल चलाते थे ! जिनमें राजा महाराजाओं व प्रजा के बच्चे शिक्षा ग्रहण करने के लिए इन ऋषि मुनियों के आश्रम में बने गुरुकुल में आते थे ! उस समय के ऋषि-मुनियों द्वारा चलाए जाने वाले प्रमुख्य गुरुकुलो के नाम :-
भारत में आजादी से पहले लगभग 37,500 के आसपास गुरुकुल थे ! देश आजाद होने के बाद तत्कालीन सरकारों ने पाश्चात्य संस्कृति की शिक्षा को बढ़ावा देने के कारण हमारे प्राचीन सनातन गुरुकुल gurukul बंद होते गए ! और आज स्थिति ऐसी हो गई है कि हमारे देश में वर्तमान समय में गुरुकुलो की संख्या सैकड़ों में रह गई है !
हमारे प्राचीन गुरुकुलो में क्या पढ़ाया जाता था ! इस बारे में जानना अति आवश्यक हैं ! क्योकि आज की जो शिक्षा प्रणाली हैं, वो गुरुकुल की शिक्षा के सामने सूर्य को दीपक दिखाने जैसी हैं ! आज की शिक्षा प्रणाली में केवल किताबी ज्ञान सिखाया जाता हैं ! मगर गुरुकुल में क्या सिखाया जाता था ! वह हम आपको नीचे बताएगें ! जिसको पढ़ने के बाद आपके होश उड़ जाएंगे !
इस प्रकार की विद्यायें गुरुकुल में दी जाती थीं ! परन्तु समय के साथ-साथ गुरुकुल की शिक्षा लुप्त होते गई ! आज के समय में वैदिक विज्ञान और शिक्षा के लिए गुरुकुल की पुनः स्थापना करना बहुत महत्वपूर्ण हो गया है !
गुरुओं व आचार्यो को पता था कि किस प्रकार से चीजों को कैसे निर्देशित किया जाए यानी शिष्य कैसे शिक्षा दी जाए। इसलिये छात्रों को तीन श्रेणियों में विभाजित किया जाता है !
देश आजाद होने के बाद तत्कालीन सरकारों ने पाश्चात्य संस्कृति की शिक्षा को बढ़ावा देने के कारण हमारे प्राचीन सनातन गुरुकुल बंद होते गए ! और आज स्थिति ऐसी हो गई है कि हमारे देश में वर्तमान समय में गुरुकुलो की संख्या सैकड़ों में रह गई है !
अगर हमें भारत को विश्वगुरु बनाना है, तो भारत में खत्म हुए गुरुकुल को वापस खड़ा करना होगा ! एवं सनातन धर्म के अनुसार आने वाली पीढ़ीयो को गुरुकुल की शिक्षा देकर भारत को विश्वगुरु बनाया जा सकता है !
यह सारी जानकारी मैंने अपने निजी स्तर पर खोजबीन करके दी हैं ! इसमें त्रुटी हो सकती हैं !
( Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य जानकारियों पर आधारित हैं. blogalien.com इनकी पुष्टि नहीं करता है ! )