श्री गिरिराज जी की आरती हिंदी में
Shri Giriraj Ji Ki Aarti In Hindi
गिरिराज पर्वत की परिक्रमा करते हुये अगर Giriraj Ji Ki Aarti परिक्रमा में करने से श्री कृष्ण की असीम कृपा होती है ! क्योकि जिस गोवर्धन व इसके आसपास के क्षेत्र को ब्रज भूमि भी कहा जाता है। वो भगवान श्री कृष्ण की आत्मा हैं !
ब्रज भूमि पर ब्रजवासियों को इन्द्र के प्रकोप से बचाने के लिये भगवान श्री कृष्ण ने द्वापर युग में गोवर्धन पर्वत अपनी कनिष्ठ अंगुली पर उठाया था। जिसे आज उस गोवर्धन पर्वत को गिरिराज जी के नाम से जाना जाता हैं।
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श्री गिरिराज जी की आरती
Shri Giriraj Ji Ki Aarti
ॐ जय जय श्री गिरिराज, बोलो जय जय श्री गिरिराज I
संकट में तुम रखो , निज भक्तन की लाज II
ॐ जय जय जय श्री गिरिराज (1)
इंद्रादिक सब देवा, तुम्हरो ध्यान धरे।
ऋषि मुनि जन यश गामें, ते भवसिंधु तरे॥
ॐ जय जय जय श्री गिरिराज (2)
सुन्दर रूप तुम्हरौ, श्याम सिला सोहें।
वन उपवन लखि लखिके , भक्तन मन मोहें॥
ॐ जय जय जय श्री गिरिराज (3)
मध्य मानसी गंगा, कलि के मल हरनी।
तापै दीप जलावे, उतरे बैतरनी॥
ॐ जय जय जय श्री गिरिराज (4)
नवल अप्सरा कुण्ड सुहाने, दाँये सुखकारी।
बायेँ राधा -कृष्ण कुण्ड है, महापाप हारी॥
ॐ जय जय जय श्री गिरिराज (5)
तुम हो मुक्ति के दाता, कलयुग में स्वामी।
दीनन के हो रक्षक , प्रभु अन्तर्यामी॥
ॐ जय जय जय श्री गिरिराज (6)
हम हैं शरण तुम्हरी, गिरवर गिरधारी।
देवकीनंदन कृपा करो, हे भक्तन हितकारी॥
ॐ जय जय जय श्री गिरिराज (7)
जो नर दे परिकम्मा , पूजन पाठ करें।
गावें नित्य आरती , पुनि नहीं जनम धरें॥
ॐ जय जय जय श्री गिरिराज (8)
॥ इति श्री गिरिराज चालीसा सम्पूर्ण॥
इसी कारण उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में आने वाली एक नगर पंचायत को गोवर्धन के नाम से जाना जाता हैं ! जहाँ गिरिराज जी महाराज की परिक्रमा करने सदियों से यहां भक्त आते रहे हैं ! यह परिक्रमा लगभग 7 कोस यानि लगभग 21 किलोमीटर की मानी जाती हैं !
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