Gau Mata Chalisa In Hindi
समुद्र मन्थन के समय एक दिव्य गाय की उत्पत्ति हुई ! जिसका नाम था कामधेनु ! सनातन धर्म में गौ माता की पूजा में Gau Mata Chalisa करने से सभी देवी-देवता प्रशन्न हो जाते हैं ! क्योकि गौ माता में सभी देवी-देवता का वास माना जाता हैं !
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शीतला चालीसा
तुलसी चालीसा
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गौ चालीसा
Gau Mata Chalisa
II दोहा II
श्री गणेश को सुमिर के,
शारद शीश नवाय I
गौ माँ की महिमा कहूँ,
कंठ विराजो आप II (१)
मंदमती मैं मात गौ,
मुझको तनिक न ज्ञान I
कृपा करो हे नंदिनी,
महिमा करूँ बखान II (२)
II चोपाई II
जय जय जय जय जय गौ माता I
कामधेनु सुख शान्ति प्रदाता Ii (1)
मात सुरभि हो जग कल्यानी I
ऋषि मुनियों ने कथा बखानी II (2)
तुम ही हो हम सबकी मइया I
भवसागर की पार लगइया II (3)
देवन आई विपत करारी I
तुमने माता की रखवारी II (4)
ऋषि मुनियन पर दानव धावा I
सब मिल तुमहिं पुकार लगावा II (5)
व्याकुल होकर गंगा माई I
आकर पास गुहार लगाई II (6)
गंगा को माँ दिया निवासा I
आपहिं लक्ष्मी आई पासा II (7)
लक्ष्मी को भी तुम अपनाई I
सबके जीवन मात बचाई II (8)
तेंतिस कोटि देव-मुनि आये I
सबहीं माता आप बचाये II (9)
तुमने सबकी रक्षा कीन्हीं I
असुर ग्रास हर जीवन दीन्हीं II (10)
माता तुम हो दिव्य स्वरूपा I
तव महिमा सब गायें भूपा II (11)
देव दनुज मिल मथे नदीशा I
पाये चौदह रतन मनीषा II (12)
सागर को मिल देव मथाये I
कामधेनु रत्नहिं तब पाये II (13)
कामधेनु के पांच प्रकारा I
सेवा से जायें भव पारा II (14)
सुभद्रा नंदा सुरभि सुशीला I
बहुला धेनु काम की लीला Ii (15)
जो जन सिर गोधूलि लगायें I
ताके पाप आप कट जायें II (16)
गौ चरणन मा तीर्थ निवासा I
गौ-भक्ति सम नहीं उपवासा II (17)
गौ सेवा है मोक्ष कि सीढी I
धन बल यश पावहिं सब पीढ़ी II (18)
विद्या लक्ष्मी आवहिं पासा I
कामधेनु कर जहाँ निवासा II (19)
भोलेनाथ श्राप जब पाये I
सीधे वह गौलोक सिधाये II (20)
शिव करन सुरभि की स्तुति लागे I
परिकरमा कर माँ के आगे II (21)
हाँथ जोड़ शिव बात बताई I
तपती देह श्राप से माई II (22)
तोरी शरण मात मैं आया I
शीतल कर दो मेरी काया II (23)
सुरभि देह में प्रविशे शंकर I
जग कोलाहल मचा भयंकर II (24)
तब सबहिं देव मिल स्तुति गाये I
पता पाय गौलोक सिधाये II (25)
सूर्य समान सुरभि सुत देखा I
नील नाम था तेज विशेषा II (26)
गौ सेवक थे कृष्ण मुरारी I
जिनकी महिमा सबसे न्यारी II (27)
कान्हा वन में गाय चराते I
दूध दही पी माखन खाते II (28)
जबहिं कृष्ण बाँसुरी बजायें I
बछड़े गाय लौट आ जायें II (29)
जिस घर हो माँ तेरा वासा I
दुःख पीड़ा आवहिं ना पासा II (30)
हो जहाँ माँ कामधेनु की पूजा I
पुण्य नहीं इससे बड़ा दूजा II (31)
माता तुमने ऋषि मुनि तारे I
देव मनुज के भाग्य सँवारे II (32)
वेद पुराणों में तव गाथा I
युगों युगों से है तव साथा II (33)
तुमहिं मनुज के भाग्य सँवारे I
अंत काल वैतरिणी तारे II (34)
तव महिमा किम गाऊँ माते I
तुममे चारो धाम समाते II (35)
पंचगव्य की महिमा न्यारी I
तुमसे ही है दुनिया सारी II (36)
प्रात:काल जो दर्शन पायें I
बिगड़े काज माँ आप बन जायें II (37)
हाँथ जोड़ जो शीश नवाये I
बुरी बला से मात बचाये II (38)
जो जन गौ चालीसा गाये I
सुख सम्पति ताके घर आये II (39)
चेतन नाम का माँ तेरा दासा I
मात ह्रदय में करो निवासा II (40)
II दोहा II
गौ चालीसा जो पढ़े,
नित्य नियम उठ प्रात I
ज्ञान संग धन यश बढ़े,
कष्ट हरे गौ मात II (१)
गौ वंदन जो कर लिये,
पूरण चारो धाम !
तरणि तीर कान्हा मिले,
पाये सरयू राम II (२)
II इति गौ माता चालीसा सम्पूर्ण II
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