ganesh family के बारे में जानिए सम्पूर्ण जानकारी ! हम यह पर भगवान गणेश जी के जन्म से लेकर उनके परिवार के बारे में जनेगें कि गणेश जी के माता-पिता कौन थे ! गणेशजी के परिवार के बारे में जानिए !
रिद्धि और सिद्धि किसकी पुत्री थी ! गणेश जी की पत्नीया कौन-कौन थी ! शुभ-लाभ कौन हैं ! उनके पुत्र और पुत्री का क्या नाम था ! गणेश जी के पुत्रों की बहुओ का क्या नाम था ! भगवान श्री गणेश जी के पोत्रो व उनकी पत्नियों के क्या नाम है !
ganesh family गणेश जी के परिवार के बारे में, गणेश जी के पिता का नाम भगवान शंकर और उनकी माता का नाम माँ पार्वती है ! उनको भगवान शंकर और माता पार्वती ने जन्म न देते हुए केवल माता पार्वती ने ही गणेश जी के शरीर की रचना थी !
गणेश जी के शरीर की रचना बुधवार के दिन माता पार्वती ने की थी ! इसलिए गणेश जी की पूजा की मान्यता बुधवार के दिन होती है ! श्री गणेश जी को बुद्धिदाता के साथ शुभकर्ता भी माना जाता हैं ! हम गणपति को विघ्नहर्ता के नाम से भी जानते है !
इस बारे में हम पहले गणेश जी के जन्म के बारे में पहले जानते है ! कि किस प्रकार गणेश जी के उत्पती हुई थी !
भगवान गणेश जी के बड़े भाई का नाम श्री कार्तिकेय जी है ! उनको अय्यप्पा के नाम से भी जाना जाता है ! और उनकी बड़ी बहन का नाम अशोक सुन्दरी, मनसा देवी, देवी ज्योति आदी अनेक नामों से भी जाना जाता है ! तीनों भाई-बहनो में गणेश जी सबसे छोटे थे ! मगर तीनों भाई-बहनो में गणेश जी को बुद्धि मे श्रेष्ट माना जाता है !
ग्रंथों के अनुसार गणेश जी का विवाह ऋद्धि और सिद्धि नाम की दो कन्याओ के साथ हुआ था ! ये दोनों सगी बहने थी ! इन दोनों में ऋद्धि बड़ी और सिद्धि छोटी बहन थी !
आपको यह जानना आवस्यक है कि गणेश जी की पूजा करने से केवल सिद्धियाँ प्राप्त होती है ! मगर इनकी भक्ति व आराधना करने से पूर्ण मोक्ष संभव नहीं है ! अब जनिये, गणेशजी के परिवार के बारे में..
भगवान गणेश जी की दोनों पत्नीया ऋद्धि और सिद्धि दोनों ही प्रजापति विश्वकर्मा की पुत्रियां थी ! जिन्होंने अपनी तपस्या से भगवान शंकर को प्रसन्न कर कर गणेश जी को वर के रूप में मांग था ! और भगवान शंकर ने उन दोनों बहनों को गणेश जी की पत्नी होने का वरदान दिया ! इस प्रकार भगवान गणेश जी के ससुर प्रजापति विश्वकर्मा जी है !
भगवान गणेश जी की पुत्री का नाम माता संतोषी है ! संतोषी माता गणेश जी की पुत्री और शुभ-लाभ की बहन मानी जाती हैं ! शुक्रवार के दिन संतोषी माता की पूजा अर्चना की जाती हैं ! गणेश जी की पुत्री संतोषी प्रेम, क्षमा, संतोष और उम्मीद की प्रतीक मानी जाती हैं !
आईये जानते हैं, मां संतोषी के बारे में पौराणिक कथाओ के अनुसार एक समय गणेश जी अपनी बड़ी बहन अशोक सुन्दरी से रक्षा सूत्र बंधवा रहे थे ! यह देख कर शुभ और लाभ के मां में जिज्ञासा हुई !
तब गणेश जी ने बताया कि ये केवल धागा नहीं ! यह रक्षासूत्र भाई-बहन के प्रेम का प्रतीक है ! यह सुनकर शुभ-लाभ बड़े प्रसन्न हुए, और कहा कि उन्हें भी एक बहन चाहिए ! जिससे हम भी रक्षासूत्र को बंधवा सकें !
शुभ-लाभ की इस मांग को पूरा करने के लिए गणेश ने अपनी शक्तियों से एक ज्योति उत्पन्न की ! तथा अपनी दोनों पत्नियों की आत्मशक्ति के साथ अपनी शक्तियों को भी उसे सामिल कर लिया ! कुछ देर बाद उन शक्तियों ने एक दिव्य कन्या का रूप लिया ! उस दिव्य कन्या का नाम संतोषी रखा गया ! तब से उस कन्या को संतोषी माता के नाम से जाना जाने लगा !
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शुभ और लाभ गणेश जी के पुत्र थे ! भगवान गणेश जी की दो पत्नियां हैं, रिद्धि और सिद्धि ! दोंनो ने एक-एक पुत्र को जन्म दिया ! गणेश जी को दो पुत्रों की प्राप्ति हुई ! जिन में बड़ी बहन रिद्धि से शुभ तथा छोटी बहन सिद्धि से लाभ ! रिद्धि के पुत्र को क्षेम नाम से भी जाना जाता है !
इसके पीछे एक कथा है की एक बार जब कार्तिकेय जी दक्षिण में असुरों से युद्ध के लिए गए थे ! और उन्होंने युद्ध में विजय होकर असुरों को पराजित कर दिया ! तब भगवान शंकर जी ने गणेश जी के पुत्र शुभ का नाम क्षेम रखा ! अब आप जान गये होगें की शुभ लाभ कौन थे !
भगवान गणेश जी के दो पुत्र है ! जिनके नाम शुभ और लाभ है ! शास्त्रों के अनुसार शुभ की पत्नी का नाम तुष्टि है ! और लाभ की पत्नी का नाम पुष्टि है ! ये दोनों गणेश जी की पुत्र-वधु है ! तुष्टि और पुष्टि के बिना हर कार्य अधूरा रहता है !
जहां जहां शुभ लाभ की पूजा होती है ! वहाँ वहाँ तुष्टि और पुष्टि दोनों विराजन रहती है ! क्योंकी इन दोनों के बिना गणेश परिवार अधूरा है !
आमोद और प्रमोद गणेश जी के पोत्र है ! गणेश जी के पुत्र शुभ और लाभ को एक-एक संतान की प्राप्ति हुई ! जिनमे शुभ और तुष्टि से आमोद नाम के बालक का जन्म हुआ ! एवं लाभ और पुष्टि से प्रमोद नाम के बालक का जन्म हुआ !
यही दोनों बालक आमोद और प्रमोद गणेश जी के पोत्र है ! शुभ और लाभ ये दो शब्द आपको अक्सर गणेश जी की मूर्ति के साथ दिखाई देते हैं ! गणेश जी की पूजा शुभ और लाभ इन दोनों का नाम के बिना अधूरी है !
मूषक को भगवान गणेश जी की सवारी के रूप में जाना जाता हैं ! मगर क्यों ? कभी सोचा हैं आपने इस बारे में ! तो जानते हैं इसके बारे मे एक कथा ! प्राचीन काल में सुमेरू पर्वत पर सौभरि ऋषि का आश्रम था ! सौभरि ऋषि की पत्नी का नाम मनोमयी था ! एक दिन लकड़ी लेने के लिए ऋषि वन में गए !
उनके पीछे से एक दुष्ट कौंच नामक गंधर्व आश्रम में आया और कौंच ने ऋषि-पत्नी का हाथ पकड़ लिया ! ऋषि की पत्नी ने उससे अपना हाथ छुड़वाने का पर्यत्न कर रही थीं ! उसी समय ऋषि सौभरि वहाँ आ गए !
ऋषि ने गंधर्व को श्राप देते हुए कहा ! तूने मेरे पीछे से चोर की तरह मेरी पत्नी का हाथ पकड़ा हैं ! इस कारण तू मूषक योनि में धरती के नीचे, और चोरी करके अपना पेट भरेगा !
मुनिवर, मुझे क्षमा कर दो ! मेरी मती भ्रम हो गई, जिस कारण मैंने आपकी पत्नी के हाथ को स्पर्श किया ! ऋषि ने कहा मेरा श्राप व्यर्थ नहीं जाएगा ! दया की याचना करने पर मैं तुम्हें एक वरदान देता हुं की जब द्वापर में महर्षि पराशर के यहाँ गणपति देव गजमुख पुत्र रूप में प्रकट होंगे !
तब से तू उनका नामक वाहन बन जाएगा ! जिस कारण देवगण भी तुम्हारा सम्मान करगें ! और तुम्हे श्रीडिंकजी कहकर तुम्हारा वंदन करेंगे !
ganesh family के बारे में ये जानकारी आपको कैसी लगी कमेंट करके जरूर बताना ! सनातन धर्म की जानकारी अधिक से अधिक अपने रिश्तेदारों, मित्रों व सगे संबंधियों तक पहुंचाने के लिए इसको अधिक से अधिक शेयर जरूर करें !
यह सारी जानकारी मैंने अपने निजी स्तर पर खोजबीन करके इकट्ठी की है ! इसमें त्रुटि हो सकती है ! उसके लिए मैं आपसे अग्रिम क्षमा याचना करता हूं !
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