दोस्तों , आज हम यहाँ बात करेगें की Bhoot Pret Kon Banta Hai भूत-प्रेत कौन बनता हैं ! भूत-प्रेत क्यों बनते हैं ! भूत प्रेत की उम्र कितनी होती हैं ! भूत प्रेत कितने प्रकार के होते हैं व भूत की क्या भावना या इच्छा क्या हैं ! भूत-प्रेतो की स्थिति कहाँ मोजूद होती हैं ! अच्छी और बुरी आत्माओ का वास कहाँ होता हैं !भूत प्रेत से पीड़ित व्यक्ति की पहचान क्या हैं और भूत-प्रेतो से सुरक्षित कैसे रहें
भूत-प्रेतों की गति एवं शक्ति अपार होती है। इनकी विभिन्न प्रजातियां होती हैं ! जिनको भूत, प्रेत, राक्षस,वेताल, पिशाच, यम, डाकिनी, शाकिनी, चुड़ैल, ब्रह्मराक्षस, गंधर्व, कूष्मांडा, और क्षेत्रपाल आदि नामों से जाना जाता हैं ! प्रेतयोनि में जाने वाली आत्मा अदृश्य और शक्तिशाली होती हैं ! लेकिन सभी लोग मरने वाले प्रेतयोनि में नहीं जाते हैं ! सभी प्रेतआत्मा अदृश्य तो होती हैं, परन्तु शक्तिशाली नहीं होती हैं ! बहुत सी आत्मा भूत-प्रेत योनि में न जाकर पुन:जन्म लेकर मानव बन जाते हैं।
आइये अब जानते हैं की Bhoot Pret Kon Banta Hai जिस व्यक्ति की आत्मा ज्यादा वासना में लिप्त रहती हैं ! जिसने बुरे कर्म किये हो वही आत्मा भूत-प्रेत बनती है ! जिसका न कोई वर्तमान हो, केवल अतीत ही सब कुछ हो, वो भूत कहलाता है ! अतीत में अटकी हुई आत्मा ही भूत बन जाती है ! हमारा जीवन न अतीत में होता है और न भविष्य में, वह हमेशा वर्तमान में ही रहता है। जो आत्मा वर्तमान में रहती है, वही मुक्ति की ओर जाती है।
प्रत्येक आत्मा के तीन स्वरुप बताये गए हैं। पहला जीवात्मा, दूसरा प्रेतात्मा और तिसरा सूक्ष्मात्मा ! जो हमारे भौतिक शरीर में वास करती है ! उसे ही जीवात्मा कहा जाता हैं। और जब हमारी जीवात्मा का वासना और कामनामय शरीर में वास हो जाता है ! तब उसको प्रेतात्मा कहते हैं ! जब हमारी आत्मा सूक्ष्मतम शरीर में प्रवेश कर जाती है, तब उसे हम सूक्ष्मात्मा कहते हैं !
जिस व्यक्ति की भूख, प्यास, व संभोग वासना में लिप्त इच्छा एवं राग, क्रोध, द्वेष, लोभ, की भावनाओ को लेकर मरा हो ! वही आत्मा भूत बनकर भटकती रहती है ! और जो व्यक्ति आत्महत्या, अकाल मोत, किसी भी प्रकार की दुर्घटना, व असमय किसी के द्वारा हत्या, आदि से मरा है ! तो व्यक्ति भी भूत बनकर इस लोक में भटकता रहता है ! Bhoot Pret Kon Banta Hai अब आप समझ गए होगें !
इस तरह की मोत हो जाने उस व्यक्तियों की आत्मा को तृप्त या मुक्ति करने के लिए श्राद्ध और तर्पण किया जाता है ! और जो लोग अपने मृत परिवार वाले और पूर्पिवजो का श्राद्ध और तर्पण नहीं करते ! वे लोग उन अतृप्त आत्माओं द्वारा हमेशा परेशान होते हैं ! इस लिये अपने पितरो का श्राद्ध व तर्पण अवश्य करना चाहेये !
Bhoot Pret Kon Banta Hai इसका वर्आणन धार्जमिक ग्रंथो में भी मिलता हैं ! आज के वैज्ञानीक युग में भूत-प्रेतों पर कोई विश्वास नहीं करता ! परन्तु हमारे धार्मिक ग्रंथ गीता, गरुड़ पुराण, शिव पुराण और ऋग्वेद में भी मिलता हैं ! इनके अलावा महाभारत में देव पूजन से पहले गंधर्व, राक्षस, प्रेत, पिशाच किन्नर की पूजा का वर्णन भी मिलता हैं ! गरुड़ पुराण में भूत-प्रेतों के विषय में विस्तार से बताया गया हैं ! हिन्दू धर्म में पितृ पक्ष में पितरों का तर्पण करने का विधान हैं ! इससे सिद्ध होता है कि वास्तव में पितरों का अस्तित्व भूत-प्रेत अथवा आत्मा के रूप में मोजूद होता है !
Bhoot Pret Kon Banta Hai आवर उनकी उम्वैर कितनी होती हैं ! वैसे से तो भूत-प्रेत की उम्र का कोई अंदाजा नहीं लगा सकता हैं ! परन्तु कुछ परम-दिव्य आत्मा तो कभी भूत-प्रेत बनती ही नहीं हैं ! कुछ प्रेतआत्मा तो केवल 12 दिन तक भूत योनि के अंदर रहती हैं ! क्योकि उनके परिजन उनका अंतिम कर्म-कांड और श्राद्ध व तर्पण विधि पूर्वक कर देते हैं ! और जिनका मोक्ष नहीं होता हैं वो हजारों साल तक भूत-प्रेत बने रहते हैं ! जिस बुरी आत्मा ने जितने बुरे कर्म किये हैं, वो अधिक समय तक भूत-प्रेत की योनी में पड़ा रहता हैं ! जिस बुरी आत्मा का जब तक मोक्ष नहीं होगा ! तब तक वो भूत-प्रेत की योनी से मुक्त नहीं हो सकता !
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आगे जानते हैं की Bhoot Pret Kon Banta Hai और उनकी भावना या इच्छा क्या होती हैं ! भूतों की हमेशा खाने की इच्छा रहती हैं ! और उनको प्यास भी ज्यादा लगती हैं ! मगर उनको खाने पिने को नहीं मिलता हैं तो उनकी आत्मा को तृप्ति नहीं मिलती हैं ! इस कारण वे बहुत दु:खी और चिड़चिड़ा हो जाते हैं ! एसी आत्मा हर समय इस बात की खोज मे रहते हैं कि कोई उनकी आत्मा को मुक्ति देने वाला मिले ! इस तरह की भावना व इच्छा लेकर ये आत्माए भटकती रहती हैं !
सनातन धर्म में कर्म के अनुसार मरने वाले व्यक्तियों का विभाजन किया हैं ! जिनको भूत, प्रेत, राक्षस,वेताल, पिशाच, यम, डाकिनी, शाकिनी, चुड़ैल, ब्रह्मराक्षस, गंधर्व, कूष्मांडा, और क्षेत्रपाल आदि नामों से जाना जाता हैं ! भूत सबसे शुरुआती चरण हैं ! जब कोई व्यक्ति मरता है तो सबसे पहले वह प्रेत ही बनता हैं ! और १२ दिन तक उसकी होने वाली क्रिया में उसको प्रेत नाम से ही सम्भोधित किया जाता हैं !
और जब कोई स्त्री मरती हैं, तो उसे भी अलग-अलग नामों से जाना जाताहैं ! जो स्त्री बुरे कर्मों वाली होती है उसको डायन या डाकिनी कहते हैं।और कुंवारी कन्या मरती है, तो उसे देवी कहा जाता हैं। श्राद्ध न होने से इस प्रकार के भूत, प्रेत की मुक्ति नहीं जो पाप कर्मो, व्याभिचार और अकाल मृत्यु से मरे हो !
भूत-प्रेतो को प्रायः एकांत, अँधेरा व बहुत दिनों से खाली पड़े सुनसान घर या बंगले पसंद होते हैं ! जहाँ पर ज्यादा शोर, रौशनी बस्ती होती हैं व जगह उनको पसंद नहीं होती हैं ! पूजा-पाठऔर मंत्र उच्चारण से भी भूत-प्रेत दूर रहते हैं ! इन्हें कृष्ण पक्ष की तेरस, चौदस तथा अमावस्या ज्यादा पसंद है ! इस समय वो मजबूत स्थिति में रहकर पूरी तरह सक्रिय रहते हैं ! भूत-प्रेत का अपने जीवनकाल के उन स्थानों को पसंद करते हैं, जहाँ एकांत हो !
अच्छे और बुरे भाव के कारण मृतात्माओं को भी अच्छा और बुरा माना जाता है। जिस स्थान पर अच्छी मृतात्माओं का वास होता है उसे पितृलोक कहते हैं ! और जहाँ पर बुरी आत्माओ का वास होता है उसे प्रेतलोक के नाम से जाना जाता हैं ! आत्माए अच्छे और बुरे स्वभाव के लोगों को तलाश करती है ! जो उनकी वासनाओं की पूर्ति कर सके ! जो कुकर्मी, अधर्मी, वासनामय लोग होते हैं उनको बुरी आत्माएं तलाश करती हैं । औ उनके गुण-कर्म, स्वभाव के अनुसार अपनी इच्छाओं की पूर्ति करवाती है !
कहने का मतलब जिस मानसिकता, प्रवृत्ति, कुकर्म के लोग होते हैं ! उसी के अनुरूप आत्मा उन लोगों में प्रवेश करती है ! मगर इस बात का लोगों को पता ही नहीं चलता हैं ! बुरी आत्माएं बुरे कर्म वालों को बुराई के लिए प्रेरित करती है ! और अच्छी आत्माएं अच्छे कर्म करने वालों से तृप्त होकर उसे भी तृप्त कर देती है बिना किसी नुकसान के !
भूत दिखाई नहीं देते हैं, क्योकि उनका कोई आकर या शरीर नहीं होता हैं ! भूत-प्रेत शरीर-विहीन होते हैं ! किसी प्रकार का आकर न होने के कारण भूत पर गोली, तलवार, लाठी आदि का कोई प्रभाव नहीं होता ! मगर भूत सुख-दुःख अनुभव कर सकते हैं !
कुछ भूत-प्रेत अपनी ताकत का इस्तेमाल करना जानते हैं ! वे बड़े से बड़े पेड़ों को अपनी ताकत से उखाड़ कर फेंक सकता है ! इस तरह के ऐसे भूत बुरे और खतरनाक होते हैं ! और इस तरह के भूत किसी भी व्यक्ति से अच्छा या बुरा कार्य करवा सकते हैं ! और किसी भी व्यक्ति के शरीर का इस्तेमाल कर सकते हैं ! भूत-प्रेत किसी भी व्यक्ति को अपने होने का अहसास भी करवा देते हैं !
यदि किसी व्यक्ति में भूत-प्रेत का साया होगा तो वह व्यक्ति पागलो की तरह बातें करने लगता है ! और कभी-कभी बुद्धिमान जैसा व्यवहार भी करता है ! जब उसे गुस्सा आता हैं तो उसकी आंखें लाल हो जाती हैं ! और उसमे इतनी ताकत आ जाती हैं की वह कई व्यक्तियों को एक साथ पछाड़ सकता है ! आइये जानते हैं की किन-किन योनी से क्या पीड़ा होती हैं !
यदि किसी व्यक्ति पर भूत का साया हो तो वह पागलो की तरह बात करने लगता है। अनपढ़ होने पर भी वह बुद्धिमान व्यक्ति जैसा व्यवहार करेगा ! और गुस्सा होने पर वह व्यक्ति कई लोगों को एक साथ पछाड़ भी सकता है ! जिस व्यक्ति पर भूत का साया होता हैं, उसकी आंखें लाल हो जाती हैं ! और उसके शशिर में हमेशा कंपन होता रहता है !
प्रेत से पीड़ित व्यक्ति जोर-जोर चिल्लाता हैं ! और वह डराने के मकसद से इधर-उधर भागता है ! वह किसी भी व्यक्ति का कहना नहीं मानता ! वह हर किसी को बुरा बोलता है ! पीड़ित व्यक्ति कुछ खाता-पीता नही हैं जब तक उस पर प्रेत का साया रहता हैं ! और जोर-जोर से चिल्लाने उसके श्वास लेने की रफ़्तार बढ़ जाती हैं !
जिस व्यक्ति पर पिशाच का साया होता हैं, वह बुरे कर्म करता है ! नग्न हो जाना, कटु वचन कहना और हमेशा गंदा रहता है ! उसके शशिर से बदबू आती रहती हैं ! पिशाच का साया जिस व्यक्ति पर होता हैं ! वह हर समय बुरा खुनी हरकते करता हैं ! वह एकांत चाहता है ! एकांत में वह कमजोर हो जाता है !
चुडैल ज्यादातर माहिलाओ को अपना निशाना बनती हैं ! अगर कोई महिला शाकाहारी है, और उस पर चुडैल का साया हो तो वह मांस खाने लग जाएगी। वह कम बोलती, मगर मुस्कुराती ज्यादा है ! ऐसी चुडैल से पीड़ित महिला कब क्या कर देगी, उसका कोई भरोसा नहीं रहता !
शाकिनी से भी अक्सर महिलाएं ही पीड़ित रहती हैं ! ऐसी पीड़ित महिला के पूरे शशिर व आंखों में भी दर्द रहता है ! वह अक्सर बेहोशी की हालत में रहती हैं ! उसका बदन कांपते रहता हैं !, रोना और चिल्लाना उस पीड़ित महिला की आदत हो जाती है !
कोई व्यक्ति अगर यक्ष से पीड़ित हो तो वह लाल रंग में रुचि लेने लगता है ! उसकके बोलने की आवाज धीमी और चालने की गति तेज हो जाती है ! वह व्यक्ति ज्यादातर अपनी बातों को आंखों के इशारे से कहता है ! यक्ष से पीड़ित व्यक्ति की आंखें तांबे के रंग जैसी दिखने लगती हैं।
ब्रह्मराक्षस या जिन्न से पीड़ित व्यक्ति बहुत ही शक्तिशाली बन जाता है। वह व्यक्ति हमेशाअनुशासन में रहता हैं ! जिन्न या ब्रह्मराक्षस से पीड़ित व्यक्ति बहुत सारा भोजन करता हैं ! और वह कई घंटों तक एक ही अवस्था में बैठे या खड़े रहन पसंद करते हैं ! जिन्न या ब्रह्मराक्षस से ग्रस्त व्यक्ति सदा जीवन यापन करता हैं !
घर के या बहार के किसी सदस्य को परेशान भी नहीं करते हैं ! ब्रह्मराक्षस से पीड़ित व्यक्ति बस अपनी ही मस्ती का आनंद लेते हैं ! अगर किसी के शरीर में जिन्न या ब्रह्मराक्षस हो तो उसे निकालना बहुत ही कठीन कार्य होता है !
जो लोग रात के समय कर्म-कांड और तांत्रिक विधि द्वारा अनुष्ठान करते हैं, वो निशाचारी होते हैं ! वही लोगआसानी से भूत-प्रेतो का शिकार बनते हैं ! सनातन धर्म में किसी भी प्रकार का धार्मिक अनुष्ठान व मांगलिक कार्यक्रम रात में करना शुभ माना जाता हैं ! रात को केवल तांत्रिक विधि द्वारा ही भूत-प्रेतो को वश में करने का अनुष्ठान किया जाता हैं ! इस प्रकार के कार्यक्रम के कर्म करने वाले लोग भूत, पिशाच, और प्रेतयोनि को मानने वाले होते हैं !
धर्म के नियम अनुसार जो लोग ईश्वर, देवता और गुरु को नहीं मानते हैं ! जो ईश्वर, देवता और गुरु का अपमान और पाप कर्म करते हैं ! ऐसे लोग आसानी से भूतों के वश में आ जाते हैं ! और जिन लोगों की मानसिक स्थिति कमजोर होती है, उन लोगों पर भूत-प्रेत जल्सीदी ही हावी हो जाते हैं !
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यह सारी जानकारी मैंने अपने निजी स्तर पर खोजबीन करके इकट्ठी की है ! इसमें त्रुटि हो सकती है ! उसके लिए मैं आपसे अग्रिम क्षमा याचना करता हूं
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