देश के ऐसे 7 मंदिर जहां पुरुषों का प्रवेश है निषेध
ज़ी न्यूज़ डेस्क Thu, 10 Oct 2019-9:46 am,
देश के ऐसे 7 मंदिर जहां पुरुषों का प्रवेश है निषेध
पिछले दिनों केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मुद्दे पर जमकर घमासान मचा था. वामपंथी दलों ने इसे महिला अधिकार से जोड़ दिया था. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कई ऐसे भी मंदिर हैं, जहां मर्दों का घुसना मना है. ऐसे में पुरुषों के अधिकार का भला क्या होगा. क्या उन्हें भी इसके लिए आंदोलन करने की जरुरत है?
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नई दिल्ली: भारत में कई ऐसे मंदिर हैं जहां केवल महिलाएं ही जा सकती हैं. वहां पर पुरुषों के घुसने पर सख्त मनाही है. आईए आपको बताते हैं ऐसे मंदिरों के बारे में-
1.मुजफ्फरपुर का राजराजेश्वरी मंदिर(बिहार)
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उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर का राजराजेश्वरी मंदिर वैसे तो आम तौर पर पूरे साल श्रद्धालुओं के लिए खुला होता है। लेकिन बीच में एक ऐसा भी समय आता है, जब यहां पुरुषों के घुसने पर रोक लगा दी जाती है. उस खास समय में इसके मुख्य पुजारी, जो कि पुरुष हैं, उनको भी गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती. यह मंदिर राज राजेश्वरी देवी को समर्पित है. इस मंदिर की गिनती बिहार के प्रमुख शक्तिपीठों में होती है. नवरात्रि के समय में इस मंदिर में लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है.
इस मंदिर में विराजमान देवी का स्वरुप षोडशी यानी सोलह वर्ष की कन्या का है। प्राचीन ग्रंथों के मुताबिक दश महाविद्याओं में षोडशी देवी का चौथा स्थान माना गया है। इनका मंत्र भी 16 अक्षरों का ही होता है. इस देवी की सोलह भुजाएं होती हैं. इस माता को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है.
बिहार के मुजफ्फपुर मंदिर में स्थित देवी षोडशी की प्रतिमा सोने से बनी हुई है. माना जाता है कि षोडशी देवी कुमारी कन्या हैं. वह महीने में 4 दिन रजस्वला होती हैं. इस दौरान कोई भी पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है.
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भारत में कई ऐसे मंदिर है जहां पुरुषों को जाने कि अनुमति नहीं हैं. जिसमें से बिहार का भी एक मंदिर शामिल है. आइए हम एक एक कर जानते हैं देश के उन मंदिरों के बारे में जहां पूरुषों को जाने की अनुमति नहीं है. केरल की राजधानी तिरुअनंतपुर में कोत्तानकुलांगार मंदिर इस मंदिर में कोई भी पुरुष सामान्य वस्त्र पहनकर नहीं जा सकते हैं इसके लिए महिलाओं के वस्त्र पहनने होते हैं. यह मंदिर माता लक्ष्मी को समर्पित है.
तमिलनाडु में स्थित देवी कन्याकुमारी का मंदिर यह मंदिर माता जगदंबा के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है. यहां देवी भगवती को तपस्विनी के रूप में पूजा की जाती है. उत्तर प्रदेश में बिहार से सटे चंदौली के सकलडीहा में 120 साल पुराना प्राचिण मंदिर है. यह मंदिर एक महान संत श्रीपथ की याद में यह स्थापित किया गया था. इस मंदिर में जब कोई भी पुरुष जाता है तो उसकी किस्मत बिगड़ जाती है. विशाखापत्तनम का कामाख्या देवी मंदिर इस मंदिर में महिलाओं को पूजा का अधिकार है और यहां महिलाएं ही पुजारी भी है. केरल का चक्कुलालातुकावू मंदिर. इस मंदिर में पोंगल त्योहार के समय यहां लाखों महिला श्रद्धालु हिस्सा लेती है. यह कार्यक्रम करीब 10 दिन तक चलता है, जिसे नारी पूजा के नाम से जानते हैं इसका गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड में नाम दर्ज है. नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर के गर्भगृह में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है. ऐसा माना जाता है कि यहां ऐसी तरंगे हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती है. इस मंदिर में प्रवेश करेन के लिए वामपंथी महिलाओं ने आंदोलन किया जिसके बाद कोर्ट के हस्तक्षेप के बाद मंदिर ट्रस्ट ने यहां पुरुषों के दर्शन पर भी रोक लगा दिया है.
अब बात करते हैं बिहार मुजफ्फरपुर में स्थित राजराजेश्वरी मंदिर के बारे में. उत्तर बिहार के मुजफ्फरपुर का राजराजेश्वरी मंदिर वैसे तो आम तौर पर पूरे साल श्रद्धालुओं के लिए खुला होता है. लेकिन एक समय ऐसे आता है जब यहां पुरुषों को जाने की अनुमति नहीं होती है. उस दौरान मंदिर के मुख्य पुजारी को भी गर्भगृह में प्रवेश की अनुमति नहीं मिलती है. आपको बता दें कि यह मंदिर राज राजेश्वरी देवी को समर्पित है. इस मंदिर की गिनती बिहार के उन प्रमुख शक्तिपीठों में होती है जहां नवरात्रि के समय में इस मंदिर में लाखों लोगों की भीड़ इकट्ठा होती है.
इस मंदिर में विराजमान देवी का स्वरुप षोडशी यानी की सोलह वर्ष की कन्या का है. प्राचीन ग्रंथों की माने तो दश महाविद्याओं में षोडशी देवी का चौथा स्थान माना गया है. इनका मंत्र भी 16 अक्षरों का ही होता है. इस देवी की सोलह भुजाएं हैं. इस माता को त्रिपुर सुंदरी के नाम से भी जाना जाता है. बिहार के मुजफ्फरपुर में स्थित है देवी षोडशी की प्रतिमा. यह प्रतिमा सोने से बनी हुई है. माना जाता है कि षोडशी देवी कुवांरी कन्या है. वह महीने में 4 दिन रजस्वला होती है. इस दौरान कोई भी पुरुष मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकता है.
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2.केरल का कोत्तानकुलांगारा मंदिर में स्त्री का भेष बनाकर घुसते हैं पुरुष
केरल की राजधानी तिरुअनंतपुर में कोत्तानकुलांगारा मंदिर की परंपराएं अपने आप में अनोखी हैं. इस मंदिर में कोई भी पुरुष सामान्य वस्त्र पहनकर घुस नहीं सकता है. यहां दर्शन के लिए पुरुषों को महिलाओं जैसे कपड़े पहनने पड़ते हैं. यह मंदिर माता लक्ष्मी को समर्पित है. इस मंदिर में हर साल चाम्याविलक्कू पर्व का आयोजन होता है. इस दौरान यहां आने वाले पुरुष औरतों की तरह पूरा मेकअप करने के बाद और महिलाओं की तरह कपड़े और गहने पहनकर ही मंदिर में प्रवेश कर पाते हैं.
3. कन्याकुमारी मंदिर, तमिलनाडु
तमिलनाडु में स्थित देवी कन्याकुमारी का मंदिर माता जगदंबा के 51 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। देवी भगवती के इस स्वरूप को तपस्विनी रुप में पुजा जाता है. वह सांसारिक जीवन से दूर रहती हैं. यही कारण है कि इस मंदिर के गर्भगृह में विवाहित पुरुषों के प्रवेश की सख्त मनागी है. माना जाता है कि जो भी विवाहित पुरुष देवी के इस स्वरूप के दर्शन कर लेता है उसका वैवाहिक जीवन नष्ट हो जाता है. इस मंदिर के गर्भगृह में कोई भी विवाहित पुरुष कतई प्रवेश नहीं करता है.
4.चंदौली का प्राचीन मंदिर
उत्तरप्रदेश में बिहार से बिल्कुल लगे हुए चंदौली जिले के सकलडीहा कस्बे में एक 120 साल पुराना मंदिर है। यह मंदिर एक महान संत श्रीपथ की याद में यह स्थापित किया गया था. परंपराओं के मुताबिक संत श्रीपथ ने बेटियों के विजय और बेटों के हार की कामना से यह मंदिर स्थापित किया था. इसलिए ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में अगर कोई पुरुष घुसता है तो उसकी किस्मत बिगड़ जाती है.
5. विशाखापत्तनम का कामाख्या देवी मंदिर
आंध्र प्रदेश के विशाखापत्तनम में कमाख्या देवी का मंदिर है। इस मंदिर परिसर में सिर्फ महिलाओं को पूजा करने का अधिकार है। इतना ही नहीं इस मंदिर की पुजारी भी एक महिला है। इस मंदिर में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है।
6.केरल का चक्कुलालातुकावू मंदिर
केरल के अलापुझा जिले में बने इस मंदिर में हर साल पोंगल का खास त्योहार मनाया जाता है। इस मंदिर में लाखों महिला श्रद्धालु हिस्सा लेती हैं। यह कार्यक्रम करीब 10 दिन तक चलता है, जिसे नारी पूजा के नाम से भी जानते हैं। इस दौरान यहां पुरुषों का प्रवेश विशेष तौर पर वर्जित होता है। इसका गिनीज बुक ऑफ़ वर्ल्ड में नाम दर्ज है।
7.नासिक का त्र्यंबकेश्वर मंदिर
इस प्रसिद्ध मंदिर के गर्भगृह में पुरुषों का प्रवेश वर्जित है. यहां की मान्यताओं के मुताबिक पहले इस मंदिर के गर्भगृह में महिलाओं को घुसने नहीं दिया जाता था. ऐसा माना जाता था कि यहां ऐसी तरंगे हैं जो महिलाओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा सकती थीं. लेकिन बाद में यहां वामपंथी महिलाओं ने आंदोलन किया. जिसके बाद अदालत के हस्तक्षेप से सदियों पुरानी इस परंपरा खतरे में आ गई. जिसके बाद मंदिर ट्रस्ट ने यहां पुरुषों के घुसने पर भी प्रतिबंध लगा दिया.