श्री सीता माता की आरती हिंदी में
सीता माता की आरती और पूजा कुंआरी लड़कियों को जरुर करनी चाहिए ! जिससे उनको मन चाहा वर मिलता हैं ! और उनका वैवाहिक जीवन सफल होता हैं ! पुरुष भगवान राम को अपना आदर्श माने तो उनको लोक-परलोक में मान सम्मान मिलता हैं !
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सीता माता की आरती
Sita Mata Ki Aarti
आरती श्री जनक दुलारी की,
सीता जी रघुवर प्यारी की II
जगत जननी जग की विस्तारिणी,
नित्य सत्य साकेत विहारिणी I
परम दयामयी दिनोधारिणी,
सीता मैया भक्तन हितकारी की II
आरती श्री जनक दुलारी की,
सीता जी रघुवर प्यारी की I
सती श्रोमणि पति हित कारिणी,
पति सेवा वित्त वन वन चारिणी I
पति हित पति वियोग स्वीकारिणी,
त्याग धर्म मूर्ति धरी की II
आरती श्री जनक दुलारी की,
सीता जी रघुवर प्यारी की II
विमल कीर्ति सब लोकन छाई,
नाम लेत पवन मति आई I
सुमीरात काटत कष्ट दुख दाई,
शरणागत जन भय हरी की II
आरती श्री जनक दुलारी की,
सीता जी रघुवर प्यारी की I
II इति श्री सीता माता की आरती सम्पूर्ण II
सीता माता के जीवनकाल की बारे में कुछ जानकारी
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सीता माता के पिता का नाम राजा जनक था !
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और उनकी माता का नाम सुनयना था !
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माता सीता के दो भाई थे जिनका नाम : 1. मंगल (पृथ्वीपुत्र) 2. जनक पुत्र लक्ष्मीनिधि !
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माता सीता के कुलगुरू शतानंद जी थे !
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भगवान श्री राम के साथ सीता माता का विवाह हुआ था !
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मार्गशीर्ष मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी को श्री राम के साथ सीता जी का विवाह हुआ था !
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माँ सीता के पुत्रो का नाम लव और कुश था !
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सीता माता 14 वर्षो तक भगवान श्री राम के साथ वनवास में रही थी !
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माता सीता ने लंका में 435 दिन का समय बिताना पड़ा !
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लंका से लोटने के बाद माँ सीता को अग्नि परीक्षा से गुजरना पड़ा !
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सीता माता अपनी पवित्रता को साबित करने के कारण धरती में समा गई थी !
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तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस में सीता का उल्लेख कुल 147 बार आता हैं !
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