श्री सीता माता चालीसा हिंदी में
श्री सीता माता चालीसा : माँ सीता का जन्म मिथिला (सीतामढ़ी, बिहार) में हुआ था ! जो आगे चलकर सीतामढ़ी से विख्यात हुआ ! देवी सीता मिथिला के राजा जनक की बड़ी पुत्री थीं ! माता सीता का विवाह अयोध्या के राजा दशरथ के बड़े पुत्र भगवान श्री राम से स्वयंवर में शिव धनुष को तोड़ने पर हुआ था !
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श्री सीता माता चालीसा
Shri Sita Mata Chalisa
II दोहा II
बन्दौ चरण सरोज निज,
जनक लली सुख धाम,
राम प्रिय किरपा करें,
सुमिरौं आठों धाम ॥ (१)
कीरति गाथा जो पढ़ें,
सुधरैं सगरे काम,
मन मन्दिर बासा करें,
दुःख भंजन सिया राम ॥ (२)
II चौपाई II
राम प्रिया रघुपति रघुराई
बैदेही की कीरत गाई II (१)
चरण कमल बन्दों सिर नाई I
सिय सुरसरि सब पाप नसाई II (२)
जनक दुलारी राघव प्यारी I
भरत लखन शत्रुहन वारी II (३)
दिव्या धरा सों उपजी सीता I
मिथिलेश्वर भयो नेह अतीता II (४)
सिया रूप भायो मनवा अति I
रच्यो स्वयंवर जनक महीपति II (५)
भारी शिव धनु खींचै जोई I
सिय जयमाल साजिहैं सोई II (६)
भूपति नरपति रावण संगा I
नाहिं करि सके शिव धनु भंगा II (७)
जनक निराश भए लखि कारन I
जनम्यो नाहिं अवनिमोहि तारन II (८)
यह सुन विश्वामित्र मुस्काए I
राम लखन मुनि सीस नवाए II (९)
आज्ञा पाई उठे रघुराई I
इष्ट देव गुरु हियहिं मनाई II (१०)
जनक सुता गौरी सिर नावा I
राम रूप उनके हिय भावा II (११)
मारत पलक राम कर धनु लै I
खंड खंड करि पटकिन भू पै II (१२)
जय जयकार हुई अति भारी I
आनन्दित भए सबैं नर नारी II (१३)
सिय चली जयमाल सम्हाले I
मुदित होय ग्रीवा में डाले II (१४)
मंगल बाज बजे चहुँ ओरा I
परे राम संग सिया के फेरा II (१५)
लौटी बारात अवधपुर आई I
तीनों मातु करैं नोराई II (१६)
कैकेई कनक भवन सिय दीन्हा I
मातु सुमित्रा गोदहि लीन्हा II (१७)
कौशल्या सूत भेंट दियो सिय I
हरख अपार हुए सीता हिय II (१८)
सब विधि बांटी बधाई I
राजतिलक कई युक्ति सुनाई II (१९)
मंद मती मंथरा अडाइन I
राम न भरत राजपद पाइन II (२०)
कैकेई कोप भवन मा गइली I
वचन पति सों अपनेई गहिली II (२१)
चौदह बरस कोप बनवासा I
भरत राजपद देहि दिलासा II (२२)
आज्ञा मानि चले रघुराई I
संग जानकी लक्षमन भाई II (२३)
सिय श्री राम पथ पथ भटकैं I
मृग मारीचि देखि मन अटकै II (२४)
राम गए माया मृग मारन I
रावण साधु बन्यो सिय कारन II (२५)
भिक्षा कै मिस लै सिय भाग्यो I
लंका जाई डरावन लाग्यो II (२६)
राम वियोग सों सिय अकुलानी I
रावण सों कही कर्कश बानी II (२७)
हनुमान प्रभु लाए अंगूठी I
सिय चूड़ामणि दिहिन अनूठी II (२८)
अष्ठसिद्धि नवनिधि वर पावा I
महावीर सिय शीश नवावा II (२९)
सेतु बाँधी प्रभु लंका जीती I
भक्त विभीषण सों करि प्रीती II (३०)
चढ़ि विमान सिय रघुपति आए I
भरत भ्रात प्रभु चरण सुहाए II (३१)
अवध नरेश पाई राघव से I
सिय महारानी देखि हिय हुलसे II (३२)
रजक बोल सुनी सिय बन भेजी I
लखनलाल प्रभु बात सहेजी II (३३)
बाल्मीक मुनि आश्रय दीन्यो I
लवकुश जन्म वहाँ पै लीन्हो II (३४)
विविध भाँती गुण शिक्षा दीन्हीं I
दोनुह रामचरित रट लीन्ही II (३५)
लरिकल कै सुनि सुमधुर बानी I
रामसिया सुत दुई पहिचानी II (३६)
भूलमानि सिय वापस लाए I
राम जानकी सबहि सुहाए II (३७)
सती प्रमाणिकता केहि कारन I
बसुंधरा सिय के हिय धारन II (३८)
अवनि सुता अवनी मां सोई I
राम जानकी यही विधि खोई II (३९)
पतिव्रता मर्यादित माता I
सीता सती नवावों माथा II (४०)
II दोहा II
जनकसुत अवनिधिया,
राम प्रिया लवमात,
चरणकमल जेहि उन,
बसै सीता सुमिरै प्रात ॥
II इति श्री सीता माता चालीसा सम्पूर्ण II
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