श्री सति सावित्री चालीसा हिंदी में
Shri Sati Savitri Chalisa Hindi Me
श्री सति सावित्री चालीसा : राजस्थान के सीकर जिले के गाँव कोटड़ी लुहारवास में मैढ क्षत्रिय स्वर्णकार समाज की माँ सति सावित्री का विशाल मंदिर हैं ! जहाँ साल में दो बार चैत्र बदी तेरस व भादवे महीने की अमावस्या को विशाल मेले का आयोजन होता है ! माँ सावित्री का जन्म नीमकाथाना नामक तहसील में हुआ था !
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श्री सति सावित्री चालीसा
II दोहा II
गुरु चरण सिर नाय कर,
सुमिरु सावित्री मात I
ह्रदय जागरण दे मेरी माता,
रखियो म्हारी लाज II (१)
दिव्य लोक की बासनी,
सती सावित्री माता I
शिव शक्ति सत धारिणी,
सती सावित्री माता II (२)
II चोपाई II
महिमा मां की अनंत अपारा,
वेद शास्त्र पाये ना पारा I
सत्य की ज्योति सदा उजियाली,
सतियो में मां महासती निराली II (१)
शिव में एकाकार भवानी,
ॐकार संचार भवानी I
भक्त वत्सल मां कष्ट निवारिणी,
भक्त जनों हित काज सुधारिणी II (२)
जगदंबा मंगल की देवी,
त्रिभुवन मयी सतकिर्ति देवी I
ममतामई करुणामई माई,
अटल सिहांसिनी ज्योति सवाई II (३)
उच्चसति सावित्री माता,
सत मारग सतज्ञान की दाता I
सकल जगत पर राज चलावे,
लोग मोह मद दूर भगावे II (४)
अगम अगोचर तेरी माया,
भव भयहारी तेरी छाया I
नाम तिहारा उर में धारा,
नाम जपत दु:ख शोक निवारा II (५)
लाल चुनरियाँ तन विभूशिनी,
प्रतिमा तेरी नैन सुहासिनी I
पौष बदी पंचमी मेरी माई,
तेरे जन्म की तिथि सुहाई II (६)
नीमकाथाना प्रगटी माई,
पतरामजी की सुता कहाई i
सरबती मायड़ लाड लडाई,
मक्खनलाल जी के मनभाई II (७)
गृहस्थ जीवन संस्कार निभाई,
पांच बालक महतारी माई I
शिव आदेश माता जब पाई,
सत परखायी तेज दिखाई II (८)
शिवशंकर आदेश सुनाये,
शेषनाग मक्खन डसवाये I
कोई उपाय काम न आये,
मक्खन लाल शिवधाम सिधाये II (९)
कुल को सारी बात बताई,
संग जाऊंगी ना करो मनाई I
शिव से जाके अरज लगाई,
लेय पति गोपाले आई II (१०)
सवित देव को ध्यान लगाई,
सूर्य धरा अग्नि प्रगटाई I
सत्यवान संग सुरगा ध्याई,
देवी देवन करे बडा़ई II (११)
अग्नि परीक्षा दे सत परखाया,
महासती का दरजा पाया I
संवत दो हजार उनतिसा,
चैत्र बदी तेरस था दिवसा II (१२)
धाम कोटड़ी बना निराला,
भक्त जपे सती नाम की माला I
नरनारी दरसन को आवें,
चरणों में तेरे शिश नवावें II (१३)
जात जडूला धोक लगावें,
मां से मनचाहे वर पावें I
मंदिर मां का मन को भावें,
लाल ध्वजा शिखर लहरावें II (१४)
भादों में मेला जब आये,
चौदस मावस मंड सजाये I
जय जयकारे गगन गुजायें,
नाच गायकर मैयां को रिझाये II (15)
मैया की जो रात जगाये,
मनस्या सकल पूरी हो जाये I
मां के द्वारे जो भी जाये,
मां की कृपा हर पल पाये II (१६)
तीनो लोक में कीर्ति छाई,
दर्शन मां का है सुखदाई I
जब-जब विपदा जग में आई,
झट आकर मां करी सहाई II (१७)
मां को भज मन बारम्बार,
उतर जायेगा भव से पार I
मां सम देवी कृपालु ना होई,
दीन दयालु सम दाता ना कोई II (१८)
मां है जिनकी प्राण आधारा,
सुख पाये दु:ख जाये निवारा I
बीच भंवर में हो जब नैया,
मां का नाम ही बने खिवैया II (१९)
ये चालीसा जो नित गावे,
सुख चरणों की छाँव वो पावे I
सती माता की कृपा पावे,
भव बंधन से मुक्ति पावे II (२०)
II दोहा II
सती चालीसा जो सुमिरे,
मां में चित लगाय I
कहे ”सुभाष” आनंद पाये,
पाप दूर हो जाए II
II इति श्री सती सावित्री चालीसा सम्पूर्ण II
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