भगवान श्री ब्रह्माजी की आरती हिंदी में
Brahma Ji Ki Aarti In Hindi
पूरे भारत में राजस्थान के पुष्कर जिले में ब्रह्मा जी का एकमात्र मंदिर है ! जहां दोनों समय श्री ब्रह्माजी की आरती की जाती है ! सनातन के प्राचीन ग्रंथों में इनका बहुत सम्मान किया जाता है ! मगर इनकी पूजा बहुत कम होती है !
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श्री ब्रह्माजी की आरती
पितु मातु सहायक स्वामी सखा,
तुम ही एक नाथ हमारे हो I
जिनके कुछ और आधार नहीं,
तिनके तुम ही रखवारे हो II (१)
सब भॉति सदा सुखदायक हो,
दु:ख निर्गुण नाशन हरे हो I
प्रतिपाल करे सारे जग को,
अतिशय करुणा उर धारे हो II (२)
भूल गये हैं हम तो तुमको,
तुम तो हमरी सुधि नहिं बिसारे हो I
उपकारन को कछु अंत नहीं,
छिन्न ही छिन्न जो विस्तारे हो II (३)
महाराज महा महिमा तुम्हारी,
मुझसे विरले बुधवारे हो I
शुभ शांति निकेतन प्रेम निधि,
मन मंदिर के उजियारे हो II (४)
इस जीवन के तुम ही जीवन हो,
इन प्राणण के तुम प्यारे हो में I
तुम सों प्रभु पये “कमल” हरि,
केहि के अब और सहारे हो II (५)
II इति श्री ब्रह्मा जी आरती सम्पूर्ण II
धर्म पुराणों के मतानुसार ब्रह्मा जी के पांच सिर थे | ब्रह्मा जी का पंचम शीश उनके अंहकार का प्रतीक था | उसी अंहकार रूपी पंचम शीश को भगवान शिव ने भैरव रूप लेकर काट डाला था ! वेदव्यास जी द्वारा रचे पुराणों में ब्रह्मा जी का वर्णन किया गया है ! जिसमे उनके चार मुख हैं, जो चार दिशाओं में देखते हैं !
ब्रह्माजी के बारे में कुछ जानकारी
- सवारी :- हंस
- निवासस्थान :- ब्रह्मलोक
- मंत्र :- ॐ ब्रह्मणे नमः
- अस्त्र :- देवेया धनुष, ब्रह्मास्त्र
- अन्य नाम :- चतुरानन , श्वेताम्बर , ब्रह्मेश , रचियेता आदि
- संतान :- सनकादि ऋषि, नारद मुनि और दक्ष प्रजापति और सप्त ऋषि
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