श्री ललिता माता चालीसा हिंदी में
Lalita Mata Chalisa in Hindi
ललिता माता चालीसा पाठ करने से जीवन में सुख- समृद्धि वैभव में वृद्धि होती है। ललिता माता की कृपा से विवेक और ज्ञान की प्राप्ति होती हैं ! रीद्धि-सिद्धि, बल-बुद्धि, धन-दोलत और भक्त सारी तकलीफों से दूर हो जाता हो जाता हैं ! इसलिए माता की आराधना अवश्य करनी चाहिए !
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माँ ललिता माता चालीसा
II चौपाई II
जयति जयति जय जय ललिते माता I
तव गुण महिमा हैं विख्याता II (1)
तू सुन्दरी, त्रिपुरेश्वरी देवी I
सुर नर मुनि तेरे पद सेवी II (2)
तू कल्याणी कष्ट निवारिणी I
तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी II (3)
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी I
भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी II (4)
आदि शक्ति श्री विद्या रूपा I
चक्र स्वामिनी देह अनूपा II (5)
हृदय निवासिनी भक्त तारिणी I
नाना कष्ट विपति दल हारिणी II (6)
दश विद्या हैं रूप तुम्हारा I
श्री चन्द्रेश्वरी नैमिष प्यारा II (7)
धूमा, बगला, भैरवी, तारा I
भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा II (8)
षोडशी, छिन्न्मस्ता, मातंगी I
ललिते शक्ति तुम्हारी संगी II (9)
ललिते तुम हो ज्योतित भाला I
भक्तजनों का काम संभाला II (10)
भारी संकट जब-जब आए I
तब तुमने भक्तो बचाए II (11)
जिसने कृपा तुम्हारी पाई I
उसकी सब विधि से बन आई II (12)
संकट दूर करो मां भारी I
भक्तजनों को आस तुम्हारी II (13)
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी I
जय-जय-जय शिव की महारानी II (14)
योग सिद्धि पावें सब योगी I
भोगें भोग महा सुख भोगी II (15)
कृपा तुम्हारी पाके माता I
जीवन सुखमय हैं बन जाता II (16)
दु:खियों को तुमने अपनाया I
महा मूढ़ जो शरण न आया II (17)
तुमने जिसकी ओर निहारा I
मिली उसे संपत्ति, सुख सारा II (18)
आदि शक्ति जय त्रिपुर प्यारी I
महाशक्ति जय-जय, भय हारी Ii (19)
कुल योगिनी, कुंडलिनी रूपा I
लीला ललिते करें अनूपा II (20)
महा-महेश्वरी, महाशक्ति दे I
त्रिपुर-सुन्दरी सदा भक्ति दे II (21)
महा महा नन्दे कल्याणी I
मूकों को देती हो वाणी II (22)
इच्छा-ज्ञान-क्रिया का भागी I
होता तब सेवा अनुरागी II (23)
जो ललिते तेरा गुण गावे I
उसे न कोई कष्ट सतावे II (24)
सर्व मंगले ज्वाला मालिनी I
तुम हो सर्वशक्ति संचालिनी II (25)
आया मां जो शरण तुम्हारी I
विपदा हरी उसीकी तुमनें सारी II (26)
नामा कर्षिणी, चिंता कर्षिणी I
सर्व मोहिनी सब सुख वर्षिणी II (27)
महिमा तब सब जग विख्याता I
तुम हो दयामयी जग माता II (28)
सब सौभाग्य दायिनी ललिता I
तुम हो सुखदा करुणा कलिता II (29)
आनंद, सुख, संपत्ति देती हो I
कष्ट भयानक तुम हर लेती हो II (30)
जो जन मन से तुमको ध्यावे I
वो मन वांछित फल पावे II (31)
लक्ष्मी, दुर्गा तुम हो काली I
तुम्हीं शारदा चक्र कपाली II (32)
मूलाधार, निवासिनी जय जय I
सहस्रार गामिनी मां जय जय II (33)
छ: चक्रों को भेदने वाली I
करती हो सबकी रखवाली II (34)
योगी, भोगी, क्रोधी, कामी I
सब हैं सेवक सब अनुगामी II (35)
सबको पार लगाती हो मां I
सब पर दया दिखाती हो मां II (36)
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी I
भण्डासुर की हृदय विदारिणी II (37)
सर्व विपति हर, सर्वाधारे I
तुमने कुटिल कुपंथी तारे II (38)
चन्द्र-धारिणी, नैमिश्वासिनी I
कृपा करो ललिते अधनाशिनी II (39)
भक्तजनों को दरस दिखाओ I
संशय भय सब शीघ्र मिटाओ II (40)
जो कोई पढ़े ललिता चालीसा I
होवे सुख आनंद अधीसा II (41)
जिस पर कोई संकट आवे I
पाठ करे संकट मिट जावे II (42)
ध्यान लगा पढ़े इक्कीस बारा I
पूर्ण मनोरथ होवे काजा सारा II (43)
पुत्रहीन संतति सुख पावे I
निर्धन धनी बने गुण गावे II (44)
इस विधि पाठ करे जो कोई I
दु:ख बंधन छूटे सुख होई II (41)
महा मुनि महा ऋषि बतावें I
पढ़ें चालीसा वो सुख पावें II (42)
सबसे लघु उपाय यह जानो I
सिद्ध होय मन में जो ठानो II (43)
ललिता करे हृदय में बासा I
सिद्धि देत ललिता चालीसा II (44)
II दोहा II
ललिते मां अब कृपा करो,
सिद्ध करो सब काम I
श्रद्धा से सिर नाय करे,
करते तुम्हें माँ प्रणाम II
II इति ललिता चालीसा सम्पूर्ण II
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