श्री राणी सती दादी चालीसा हिंदी में
Shri Rani Satti Dadi Chalisa In Hindi
श्री राणी सती दादी चालीसा : श्री राणी सती दादी जी का वास्तविक नाम माँ नारायणी हैं ! इनका प्राचीन और विशाल मन्दिर राजस्थान के झून्झूनू जिले में स्थित है ! राणी सती दादी का यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना बताया जाता हैं !
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श्री राणी सती दादी जी चालीसा
II दोहा II
श्री गुरु पद पंकज नमन,
दुषित भाव सुधार I
राणी सती सू विमल यश,
बरणौ मति अनुसार II
काम क्रोध मद लोभ में,
भरम रह्यो संसार I
शरण गहि करूणा मई,
सुख सम्पति संसार II
II चौपाई II
नमो: नमो: श्री सती भवानी,
जग विख्यात सभी मन मानी I
नमो: नमो: संकट को हरनी,
मनवांछित पूरण सब करनी II (१)
नमो: नमो: जय जय जगदंबा,
भक्तन काज न होय विलंबा।
नमो: नमो: जय जय जगतारिणी,
सेवक जन के काज सुधारिणी II (२)
दिव्य रूप सिर चूनर सोहे,
जगमगात कुन्डल मन मोहे I
मांग सिंदूर सुकाजर टीकी,
गजमुक्ता नथ सुंदर नीकी II (३)
गल वैजंती माला विराजे,
सोलहूं साज बदन पे साजे I
धन्य भाग गुरसामलजी को,
महम डोकवा जन्म सती को II (४)
तन धनदास पति वर पाये,
आनंद मंगल होत सवाये I
जालीराम पुत्र वधु होके,
वंश पवित्र किया कुल दोके II (५)
पति देव रण मॉय जुझारे,
सति रूप हो शत्रु संहारे I
पति संग ले सद् गती पाई ,
सुर मन हर्ष सुमन बरसाई II (६)
धन्य भाग उस राणा जी को,
सुफल हुवा कर दरस सती का I
विक्रम तेरह सौ बावन कूं,
मंगसिर बदी नोमी मंगल कूं II (७)
नगर झून्झूनू प्रगटी माता,
जग विख्यात सुमंगल दाता I
दूर देश के यात्री आवे,
धुप दिप नेवैध्य चढावे II (८)
उछाड़ उछाड़ते है आनंद से,
पूजा तन मन धन श्रीफल से I
जात जङूला रात जगावे,
बांसल गोत्री सभी मनावे II (९)
पूजन पाठ पठन द्विज करते,
वेद ध्वनि मुख से उच्चरते I
नाना भाँति भाँति पकवाना,
विप्र जनो को न्यूत जिमाना II (१०)
श्रद्धा भक्ति सहित हरसाते,
सेवक मनवांछित फल पाते I
जय जय कार करे नर नारी,
श्री राणी सतीजी की बलिहारी II (११)
द्वार कोट नित नौबत बाजे,
होत सिंगार साज अति साजे I
रत्न सिंघासन झलके नीको,
पलपल छिनछिन ध्यान सती को II (१२)
भाद्र कृष्ण मावस दिन लीला,
भरता मेला रंग रंगीला I
भक्त सूजन की सकल भीड़ है,
दरशन के हित नही छीड़ है II (१३)
अटल भुवन मे ज्योति तिहारी,
तेज पूंज जग मग उजियारी I
आदि शक्ति मे मिली ज्योति है,
देश देश मे भवन भौति है II (१४)
नाना विधी से पूजा करते,
निश दिन ध्यान तिहारो धरते I
कष्ट निवारिणी दु:ख नासिनी,
करूणामयी झुन्झुनू वासिनी II (15)
प्रथम सती नारायणी नामा,
द्वादश और हुई इस धामा I
तिहूं लोक मे कीरति छाई,
राणी सतीजी की फिरी दुहाई II (१६)
सुबह शाम आरती उतारे,
नौबत घंटा ध्वनि टंकारे I
राग छत्तीसों बाजा बाजे,
तेरहु मंड सुन्दर अति साजे II (१७)
त्राहि त्राहि मैं शरण आपकी,
पुरी मन की आस दास की I
मुझको एक भरोसो तेरो,
आन सुधारो मैया कारज मेरो II (१८)
पूजा जप तप नेम न जानू,
निर्मल महिमा नित्य बखानू I
भक्तन की आपत्ति हर लिनी,
पुत्र पौत्र सम्पत्ति वर दीनी II (१९)
पढे चालीसा जो शतबारा,
होय सिद्ध मन माहि विचारा I
टाबरिया ली शरण तिहारी,
क्षमा करो सब भूल चूक हमारी II (२०)
II दोहा II
दु:ख आपद विपदा हरण,
जन जीवन आधार I
बिगड़ी बात सुधारियो,
सब अपराध बिसार II
॥ इति श्री राणी सती दादी चलीसा सम्पूर्ण ॥
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