नवरात्रों की शुरुआत में प्रथम पुजा मां शैलपुत्री से की जाती हैं ! पूजा के बाद माँ शैलपुत्री की आरती की जाती हैं !
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माँ शैलपुत्री अपने पूर्वजन्म में प्रजापति दक्षराज की कन्या थीं ! और तब उनका नाम सती था ! आदिशक्ति देवी सती का विवाह भगवान शंकर से हुआ था !
एक बार दक्षराज ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया था ! जिसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया ! परन्तु भगवान शंकर जी को आमंत्रण नहीं दिया ! इस अपमान से क्रोधित होकर सती जब अपने पिता के यज्ञ में पहुंची !
तो दक्षराज ने भगवान शंकर के विरुद्ध बहुत अपमान जनक शब्द कहे ! देवी सती अपने पति भगवान शंकर का अपमान सहन नहीं कर पाईं ! और वहीं यज्ञ की वेदी में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए !
अगले जन्म में देवी सती शैलराज हिमालय की पुत्री बनीं ! और शैलपुत्री के नाम से जानी गईं ! जगत-कल्याण के लिए इस जन्म में भी उनका विवाह भगवान शंकर से ही हुआ ! पार्वती और हेमवती उनके ही अन्य नाम हैं !