माँ चंद्रघंटा की आरती :- नवरात्र का तीसरा दिवस माँ चंद्रघंटा को समर्पित है। दुर्गा शक्ति की उत्पत्ति के पीछे भी बहुत से कारण हैं तथापि मुख्यतः जगत जननी माँ जगदम्बा द्वारा दुर्गम नामक असुर का नाश करने के कारण ही उनका नाम’ दुर्गा’ पड़ा।
‘दुर्गा दुर्गति नाशिनी’ अर्थात दुर्गति का नाश कर इस जीव को सदगति प्रदान करने वाली शक्ति का नाम ही दुर्गा है।
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दुर्गम अर्थात जिस तक पहुंचना आसान काम नहीं, अथवा जिसका नाश करना हमारी सामर्थ्य से बाहर हो। मनुष्य के भीतर छुपे यह काम, क्रोध, लोभ, मोह और अहंकार जैसे दुर्गुण ही तो दुर्गम असुर हैं जिसका नाश करना आसान तो नहीं मगर माँ की कृपा से इनको जीत पाना कठिन भी नही।
नारी के भीतर छुपे स्वाभिमान व सामर्थ्य का प्राकट्य ही’ दुर्गा’ है। परम शक्ति सम्पन व परम वन्दनीय होने पर भी जब जब समाज में नारी के प्रति एक तिरस्कृत भाव रखा जाएगा, तब- तब नारी द्वारा अपना शक्ति प्रदर्शन का नाम ही ‘दुर्गा’ है। नवरात्र के तीसरे दिन माँ चन्द्र घंटा की उपासना की जाती है !
मां चंद्रघंटा का बीज मंत्र ऐ श्रीं शक्तयै नम: का जाप करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है ! इसके अलावा आप देवी के महामंत्र या देवी सर्वभूतेषु मां चंद्रघंटा रुपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम: का जाप भी कर सकते हैं !