महागौरी की आरती
जय महागौरी जगत की माया,
जया उमा भवानी जय महामाया ।
हरिद्वार कनखल के पासा,
महागौरी तेरा वहां निवासा II(१)
चंद्रकली और ममता अंबे,
जय शक्ति जय जय मां जगदंबे ।
भीमा देवी विमला माता,
कौशिकी देवी जग विख्याता II(२)
हिमाचल के घर गौरी रूप तेरा,
महाकाली दुर्गा है स्वरुप तेरा I
सती ‘सत’ हवन कुंड में था जलाया,
उसी धुएं ने रूप काली बनाया II(३)
बना धर्म सिंह जो सवारी में आया,
तो शंकर ने त्रिशूल अपना दिखाया ।
तभी मां ने महागौरी नाम पाया,
शरण आनेवाले का संकट मिटाया II(४)
शनिवार को तेरी पूजा जो करता,
मां बिगड़ा हुआ काम उसका सुधरता ।
भक्त बोलो तो सोच तुम क्या रहे हो,
महागौरी मां तेरी हरदम ही जय हो II(५)
II इति श्री माँ महागौरी की आरती II
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