श्री मनसा देवी की आरती हिंदी में
मनसा माता की आरती : मनसा देवी भगवान शिव और माता पार्वती की पुत्री हैं । इनकी उत्पति भगवान शिव के मस्तक से हुई है ! इस वजह से इनका नाम मनसा पड़ा ! महाभारत के अनुसार मनसा देवी का वास्तविक नाम जरत्कारु है !
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श्री मनसा माता की आरती
Mansa Devi Ki Aarti
ॐ जय मनसा माता,
मैया जय मनसा माता I
जो नर तुमको ध्याता,
मन वांछित फल पाता II
ॐ जय मनसा माता ..(१)
जरत्कारू मुनि पत्नी,
तुम वासुकि भगिनी I
कश्यप की तुम कन्या,
आस्तीक की माता II
ॐ जय मनसा माता ..(२)
सुरनर मुनिगण ध्यावत,
मैया सेवत नर नारी I
गर्व धन्वन्तरी नाशिनी,
हंस वाहिनी देवी जय नागेश्वरी माता II
ॐ जय मनसा माता ..(३)
पर्वतवासिनी संकट नाशिनी,
मैया अक्षय धन दात्री I
पुत्र पौत्रदायिनी माता,
मन इच्छा फल दाता II
ॐ जय मनसा माता ..(४)
मनसा जी की आरती,
जो कोई नर गाता I
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख सम्पति पाता II
ॐ जय मनसा माता ..(५)
II इति श्री मनसा माता की आरती II
हम आप को मनसा माता के बारे में कुछ खास बातें भी बताएगें !
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विष्णु पुराण के चतुर्थ भाग में एक नागकन्या के बारे में बताया गया हैं ! जो है कालांतर बाद मनसा के नाम से विख्यात हुई !
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माँ मनसा देवी को जगदगौरी, मनसा, सिद्धयोगिनी, वैष्णवी, नागभगिनी, शैवी, नागेश्वरी, जरत्कारुप्रिया, आस्तीकमाता विषहरीती, महाज्ञानयुता आदी नामो से भी जाना जाता हैं !
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माता की सवारी :- कमल , हंस , सिंहासन
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मनसा माता का निवास स्थान :- कैलाश, नागलोक माना जाता हैं !
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माता के अस्त्र-शस्त्र :- त्रिशूल, चक्र, पाश, खड्ग, नाग , शंख, वर मुद्रा, अभय मुद्रा
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माता-पिता :- शिव (जन्म दाता पिता ), कश्यप (पालक पिता) और पार्वती (जन्म दायिनी माता), कद्रु (पालक माता)
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भाई-बहन :- गणेश , अशोक सुन्दरी , ज्योति , कार्तिकेय , अय्यपा
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मनसा माता के जीवनसाथी का नाम जरत्कारु हैं !
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संतान :- आस्तिक
सनातन ग्रंथो में मनसा माता की अलग-अलग किंवदंती बताई गई है ! सनातन पुराणों में बताया गया है कि माता का जन्म भगवान शिव के मस्तिष्क से हुआ तथा मनसा किसी भी विष से अधिक शक्तिशाली थी ! पुराणों में ब्रह्माजी ने माता का नाम विषहरी रखा !
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