बुधवार की आरती कथा-विधि : बुधवार के व्रत की कथा और आरती किस प्रकार से कैसे करें ! हमारे सनातन में हर वार की व्रत कथा और आरती का महत्त्व बताया गया है ! सप्तवार व्रत कथा के बारे में जानने के लिए हम एक सप्तवार व्रत कथा की सीरिज ला रहे है ! इसको पढ़कर आप इसके महत्त्व को जाने !
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आरती युगलकिशोर की कीजै I
बुधवार व्रत की विधि :-
बुध ग्रह की शान्ति तथा सर्व-सुखों की इच्छा रखने वाले स्त्री-पुरुषों को बुधवार का व्रत करना चाहिए ! और श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र तथा श्वेत चन्दन से बुध भगवान की पूजा करनी चाहिए ! इस व्रत में दिन में एक ही बार भोजन करना चाहिए ! भोजन के कम में आने वाली वस्तुएँ ही दान में दें !
इस व्रत के समय हरी वस्तुओं का उपयोग करना श्रेष्ठ बताया गया है ! व्रत के अन्त में शंकर भगवान की पूजा, धूप, दीप, बेल-पत्र आदि से करनी चाहिए ! साथ ही बुधवार की कथा सुनकर आरती के बाद प्रसाद ग्रहण करना चाहिए ! पूजा करते समय बीच में नहीं उठना चाहिए !
एक व्यक्ति अपनी पत्नी को अपने ससुराल लाने गया ! कुछ दिवस रहने के पश्चात उसने सास-ससुर से अपनी पत्नी को विदा करने के लिए कहा ! किन्तु सास-ससुर का तथा अन्य सम्बन्धियों ने कहा कि आज बुधवार का दिन है ! आज के दिन यात्रा नहीं करते !
वह व्यक्ति नहीं माना और हठधर्मी करके बुधवार के दिन ही पत्नी को विदा करवाकर अपने घर की ओर को रावण हो गया ! राह में उसकी पत्नी को प्यास लगी तो उसने अपने पति से कहा कि मुझे बहुत जोर से प्यास लगी है ! वह व्यक्ति लोटा लेकर गाड़ी से उतरकर जल लेने चला गया !
दूसरा व्यक्ति बोला- यह मेरी पत्नी है ! मैं अभी-अभी इसे ससुराल से विदा करवाकर ला रहा हूँ ! वे दोनों आप[आपस में झगड़ने लगे ! तभी राज्य के सिपाही आए और उन्होंने पानी लेकर आने वाले व्यक्ति को पकड़ लिया ! तथा स्त्री से पूछा- तुम्हारा असली पति कौन-सा है ?
उसकी पत्नी शान्त ही रही क्योंकि दोनों व्यक्ति एक जैसे दिखाई दे रहे थे ! अब वह किसे अपना पति बताये ! और उस महिला का असली पति ईश्वर से प्रार्थना करता हुआ बोला- हे परमेश्वर! यह क्या लीला है कि सच्चा झूठा बन रहा है ! तभी आकाशवाणी हुई कि मूर्ख आज बुधवार के दिन तुझे यात्रा नहीं करनी चाहिये थी !
वह व्यक्ति अपनी स्त्री को लेकर घर आया ! इसके बाद पति-पत्नी बुधवार का व्रत नियमपूर्वक करने लगे ! जो व्यक्ति इस कथा को श्रवण करता है ! तथा दूसरों को सुनाता है ! उसको बुधवार के दिन यात्रा करने का कोई दोष नहीं लगता ! और सर्वप्रकार से सुखों की प्राप्ति होती है !
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