आज नवरात्रि का पाँचवाँ दिन देवी स्कंदमाता की उपासना का श्रेष्ठ दिन है ! पाँचवाँ नवरात्रों में पुजा मां स्कंदमाता की करने से देवी चेतना का निर्माण करती हैं ! मोक्ष के द्वार खोलने वाली देवी परम सुखदायी हैं ! माता अपने भक्तों की समस्त इच्छाओं की पूर्ति करती हैं ! देवी माँ का वर्ण पूर्णतः धवल है
इनके विग्रह में भगवान स्कंदजी बालरूप में इनकी गोद में बैठे होते हैं ! कहते हैं कि इनकी कृपा से मूर्ख व्यक्ति भी ज्ञानी हो जाता है ! कालिदास द्वारा रचित रघुवंशम महाकाव्य और मेघदूत रचनाएं माँ स्कंदमाता की कृपा से ही सफल हुईं !
भगवान स्कंद ‘कुमार कार्तिकेय’ के नाम से भी जाने जाते हैं ! कुमार कार्तिके प्रसिद्ध देवासुर संग्राम में देवताओं के सेनापति बने थे ! पुराणों में इन्हें कुमार और शक्ति कहकर इनकी महिमा का वर्णन किया गया है ! भगवान स्कंद की माता होने के कारण माँ दुर्गाजी के इस स्वरूप का नाम स्कंदमाता पड़ा !
देवी स्कंदमाता की चार भुजाएँ हैं ! माता की ऊपर वाली दो भुजाओं में कमल का पुष्प है ! दाईं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद को गोद में पकड़े हुए सिंह पर विराजमान हैं ! ये कमल के आसन पर भी विराजमान रहती हैं !
इसी कारण माता पद्मासना देवी के नाम से भी जानी जाती है ! देवी के इस स्वरूप का वाहन सिंह है ! इसलिए पाँचवाँ नवरात्रों में पुजा मां स्कंदमाता की जाती हैं !
नवरात्रि-पूजन के पाँचवाँ नवरात्रों में पुजा मां स्कंदमाता की का शास्त्रों में पुष्कल महत्व बताया गया है ! इस दिन साधक का मन ” विशुद्ध चक्र ” में अवस्थित रहता है ! इस चक्र में अवस्थित मन वाले साधक की समस्त बाहरी क्रियाओं एवं चित्त वृत्तियों का लोप हो जाता है !
वह विशुद्ध चैतन्य स्वरूप की ओर अग्रसर हो जाता होता है ! साधक का मन समस्त लौकिक, सांसारिक, मायिक बंधनों से विमुक्त होकर माँ स्कंदमाता के स्वरूप में पूर्णतः लीन हो जाता है ! इस दिन साधक को पूर्ण सावधानी के साथ उपासना की ओर बढना चाहिए !
उसे अपना समस्त ध्यान-वृत्तियों को एकाग्रचित रखते हुए साधना के मार्ग पर आगे बढ़ना चाहिए !
पाँचवाँ नवरात्रों में पुजा मां स्कंदमाता की उपासना करने से साधक की समस्त इच्छाएँ स्वत: पूर्ण हो जाती हैं ! इस मृत्युलोक में ही उसे परम शांति और सुख का अनुभव होने लगता है ! साधक के लिए मोक्ष पाना सुलभ हो जाता है !
स्कंदमाता की उपासना से बालरूप स्कंद भगवान की उपासना भी हो स्वत: हो जाती है ! अतः साधक को स्कंदमाता की उपासना की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए ! सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनका उपासक अलौकिक तेज एवं कांति से संपन्न हो जाता है !
हमें एकाग्रभाव से मन को पवित्र रखकर माँ की शरण में आने का प्रयास करना चाहिए ! इस घोर भवसागर से मुक्ति पाकर मोक्ष का मार्ग सुलभ बनाने का इससे उत्तम उपाय कोई दूसरा नहीं है !
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पाँचवाँ नवरात्रों में पुजा मां स्कंदमाता की पूजा का विधान भी लगभग उसी प्रकार है जो चोथै दिन की पूजा का है ! इस दिन भी आप सबसे पहले कलश और उसमें उपस्थित देवी-देवता, तीर्थों, योगिनियों, नवग्रहों, दशदिक्पालों एवं नगर देवता की पूजा अराधना करें !
फिर माता के परिवार के देवता, गणेश , लक्ष्मी , विजया, कार्तिकेय , देवी सरस्वती, एवं जया नामक योगिनी की पूजा करें ! फिर देवी स्कंदमाता की पूजा अर्चना करें !
देवी स्कंदमाता की भक्ति से आध्यात्मिक और आत्मिक शक्ति प्राप्त होती है ! जो व्यक्ति माँ स्कंदमाता की श्रद्धा एवं भक्ति भाव सहित पूजा करता है ! उस पर मां की कृपा शीघ्र होती है ! जिससे वह संसार में यश, कीर्ति एवं सम्मान प्राप्त करता है !
साधक के शरीर से अदृश्य उर्जा का विकिरण होता रहता है ! जिससे वह जहां भी जाता हैं, वहां का वातावरण पवित्र और शुद्ध हो जाता है ! इ समस्त भक्तजनों को देवी स्कंदमाता की वंदना करना चाहिए !
या देवी सर्वभूतेषु माँ स्कंदमाता रूपेण संस्थिता ।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै। नमस्तस्यै नमो नम: ॥
माता स्कंदमाता के मंत्रो का कम से कम 21 बार जाप अवश्य करें ! साथ ही आपका ” विशुद्ध चक्र ” तो जाग्रत होगा ही, आपके धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि भी होगी ! और आपको आरोग्य, ऐश्वर्या, मान-सम्मान तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होगी !
पूजा समाप्ति के बाद आपको माता रानी की आरती अवश्य करनी चाहिए ! और घी व कपूर मिलाकर देवी की आरती करें !
जय तेरी हो स्कंद माता, पांचवा नाम तुम्हारा आता ।
सब के मन की जानन हारी, जग जननी सब की महतारी ॥
तेरी ज्योत जलाता रहूं मैं, हरदम तुम्हे ध्याता रहूं मैं ।
कई नामो से तुझे पुकारा, मुझे एक है तेरा सहारा ॥
कहीं पहाड़ों पर है डेरा, कई शहरों में तेरा बसेरा ।
हर मंदिर में तेरे नजारे गुण गाये, तेरे भगत प्यारे भगति ॥
अपनी मुझे दिला दो शक्ति, मेरी बिगड़ी बना दो ।
इन्दर आदी देवता मिल सारे, करे पुकार तुम्हारे द्वारे ॥
दुष्ट दत्य जब चढ़ कर आये, तुम ही खंडा हाथ उठाये ।
दासो को सदा बचाने आई, चमन की आस पुजाने आई ॥
महादेवी, महाशक्ति स्कंदमाता को मेरा बारम्बार प्रणाम है ! इस प्रकार की स्तुति एवं प्रार्थना करने से देवी स्कंदमाता की प्रसन्नता प्राप्त होती है !.
आपने माता स्कंदमाता की समस्त जानकारी यहां तक पढ़ी ! माता रानी आपकी सभी मनोकामना पूरी करें ! इन नवरात्रों में आपका वैभव, ऐश्वर्या व धन-धान से माता रानी भंडार भरे ! ऐसी मनोकामना हम मां स्कंदमाता से करते हैं !
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