दुर्गा के अनेक स्वरूपों में एक स्वरूप पहाड़ी माता का मन्दिर Pahadi Mata ka Mandir नाम प्रसिद्ध हैं ! but कहां पर हैं ! पहाड़ी माता का मन्दिर ! मन्दिर तक कैसे पहुंचे ! पहाड़ी माता मेला ! कुलदेवी के रूप में मानने वाली जातियां ! because कहां से आते हैं लोग माता के दर्शनों के लिए ! पहाड़ी की चोटी पर स्थित भव्य प्रतिमा की क्या हैं खास बात ! इन सब बातों की जानकारी हम यहां करेंगे !
करीब 850 साल पुराना यह पहाड़ी माता का मन्दिर Pahadi Mata ka Mandir हैं ! हरियाणा राज्य के भिवानी जिले में छैकल तहसील के नाकीपुर गांव के पास गांव पहाड़ी पर स्थित हैं। इस मंदिर तक पहुंचने के लिए 235 सीढियो की चढ़ाई करनी पड़ती हैं ! पहाड़ी माता का मन्दिर देशभर ही नहीं विदेशों में भी विख्यात है ! गांव पहाड़ी पर स्थित पहाड़ी माता का मन्दिर Pahadi Mata ka Mandir विशेष आकर्षण का केंद्र है ! यह गांव जिला हेड क्वार्टर भिवानी से लगभग 57 किमी दूर हैं ! लोहारू से लगभग 25 किमी की दूरी पर हैं ! because 400 फीट से भी ऊंची पहाड़ी पर माता की भव्य प्रतिमा भक्तों को आकर्षित कर लेती है !
नवरात्रों में आने वाले भक्तों की संख्या बहुत ज्यादा होती हैं ! so मंदिर में दर्शनार्थियों को चढ़ने इतने में उतरने में धक्का-मुक्की ना हो ! इसके लिए सीढी़यो की चौड़ाई भी अच्छी बनाई गई है ! बुजुर्गों और बच्चों को ध्यान में रखते हुए सीढी़यो की ऊंचाई भी कम रखी गई हैं ! because चढ़ाई में किसी भी प्रकार की परेशानी ना हो ! but पहाड़ों की इतनी ऊंचाई होने के बावजूद भी मंदिर परिसर में पानी की पूरी व्यवस्था खयाल रखा हैं ! and मंदिर परिसर में मंदिर की ओर से सफाई व्यवस्था का भी पूरा ख्याल रखा हैंं ! अगर आपने पहले कभी इस मंदिर के दर्शन नहीं किए हैं ! तो एक बार आपको इस मंदिर के दर्शन जरूर करने चाहिए !
पहाड़ी माता का मन्दिर Pahadi Mata ka Mandir के साल में दो बार नवरात्रों मेले लगते हैं ! इस अवसर पर प्रतिवर्ष लाखों की संख्या में देशभर से दर्शन करने के लिए पहुंच जाते हैं ! भारी संख्या में बच्चें एवं महिलाएं और काफी सख्यां में श्रद्धालु दूर-दराज के क्षेत्रों से आते हैं ! so कुलदेवी के मन्दिर में नवरात्रों पर मेले में पैदल यात्रा करके माता के मंदिर पहुंचते हैं ! यहां साल के 12 महीने भंडारे चलते रहते हैं तथा 12 महीने अखंड ज्योत जलती रहती है ! so यहां चैत्र व अश्विनी महीने की सप्तमी , अष्ठमी तथा नवमी को मेला लगता हैं ! मेले में कुश्ती, दंगल व ऊंट दौड़ का मजेदार आयोजन होता है ! जिसका लोग भरपूर आनंद लेते हैं ! but जो श्रद्धालु एक बार माता के दर्शनों के लिए आता है ! वह हमेशा के लिए माता का भक्त बन जाता है ! because माता उसकी सदैव अपने भक्तों की रक्षा करती है !
but नवरात्रों में आयोजित होने वाले सात दिवसीय कार्यक्रम बड़ा महत्व हैंं ! पूजापाठ,मेंहदी,डांडिया नृत्य, चुनरी and पहाड़ी माता के भजन व संगीत सहित अनेक कार्यक्रम होते हैं ! माता रानी को कुलदेवी के रूप में सभी जातियां मानती हैंं ! so नवरात्रों में काजरिया परिवार लोहारू व दूर-दराज के क्षेत्रों से पहुंचने वाले लोगों की सेवा करते हैं ! and दिल्ली के तोमर वंश के राजा व राजपरिवार माता की पूजा व आर्शीवाद लेने यंहा आते थे !
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श्योराण खाप से जुड़े सभी जातियों व गोत्रों के लोगों कुलदेवी के रूप में मानते हैं ! तथा काजडिय़ा, माधो गढिय़ा, छपारिया, नकीपुरिया, राजपूत व अन्य जातियां भी शामिल है ! राजस्थान का काजडिया वंश माता को अपनी कुल देवी मानते है ! so काजड़िया परिवार ने माता के यहां भक्तों के ठहरने के लिए अनेक भवन व धर्मशालाएं बनवाई है ! because आने वाले भक्त माता के दर्शनों के साथ अपने नवजात शिशुओं का मुंडन संस्कार भी करते है ! बच्चों के मुंडन संस्कार में सवामणी का भोग भी माता रानी को लगाया जाता हैं ! and बच्चों के मुंडन संस्कार करने वाले भक्तजन माता के यहां पर रातीजोगा भी देते हैं ! और माता रानी के गीत भी रात को गाए जाते हैं ! सुबह स्नान वगैरह करके माता रानी के दर्शन करने के पश्चात वहां से रवाना होते हैं !
एक प्रचलित कथा
एक प्रचलित कथा के अनुसार ! डाकुओं ने मंदिर में माता की प्रतिमा पर स्वर्ण आभूषण देखकर इसे लूटने की योजना बनाई ! इस उद्देश्य से उन्होंने माता की प्रतिमा को खंडित कर दिया ! because वे स्वर्ण आभूषण उठाकर चले ही थे कि माता ने उन्हें अंधा कर दिया ! then परिणामस्वरूप वे पहाड़ी से उतरते समय वहीं पर गिर गए ! ओर उनकी वहीं पर मृत्यु हो गई ! जहां डाकू गिरकर मरे थे, अब वहां पर नकीपुर गांव बसा है !
आपको माता कि यह जानकारी कैसी लगी ! आपको जानकारी अच्छी लगी तो then आप अपने परिवार, मित्रों व माता के भक्तों के साथ जरूर शेयर करें ! हम आपको समय-समय पर हिंदू धर्म के मंदिरों की बारे में जानकारी देते रहेंगे !
जय मां पहाड़ो वाली की
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