देवी के नवरात्रों में बचे माता के प्रकोप से : इन बातो का रखे विशेष ध्यान
अगर आप नवरात्रों में उपवास कर रहे हैं, तो नवरात्रों में बचे माता के प्रकोप से ! उपवास में आपको इन संयम और नियमों का पालन करना जरूरी है ! अगर आपने इनमें से कोई भी एक गलती करी ! तो उसके लिए आपको पछताना पड़ेगा जीवन भर !
आपको नवरात्रों में मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह के संयम का करना बहुत जरूरी है ! हम सांसारिक जीवन में रहने वाले गृहस्तीयों को देवी का उपवास रखना बड़ा ही कठिन है ! अन्यथा आप नवरात्रि में उपवास ना ही करें तो अच्छा है। यहां आज हम बात करेंगे, उपवास कितने प्रकार के होते हैं ! कौन से हैं वो संयम और नियम
देवी के उपवास में विशेष ध्यान देने योग्य बातें :-
(कैसे नवरात्रों में बचे माता के प्रकोप से)
नवरात्रों में देवी के उपवास में विशेष ध्यान देवें इन बातों का और बचे माता के प्रकोप से
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नवरात्र के दौरान साधक को कुंडली जागृत करने का प्रयास करना चाहिए !
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नवरात्रों में माता के मंत्र और दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए !
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9 दिनों तक नवरात्रों में सात्विक भोजन का ही प्रयोग करें, तामसीक भोजन से बचें !
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नौ दिनों तक घर में लहसुन व प्याज का उपयोग भोजन में नहीं करना चाहिए !
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उपवास के दौरान जमीन पर कंबल बिठाकर सोए, पलंग पर सोना निषेध है !
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मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह के संयम का नवरात्रि में पालन करना अत्यंत आवश्यक है !
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नौ दिनों में यदि आप उपवास नहीं भी कर रहे हैं ! तो भी आपको शराब, मांस-भक्षण और मसालेदार भोजन का त्याग करना चाहिए।
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कभी भी भोजन करने, दुध या रस पीने के बाद देवी मां की पूजा नहीं करना चाहिए ! यानी माता की पूजा जूठे मुंह नहीं करते हैं !
मानसिक संयम से नवरात्रों में बचे माता के प्रकोप से
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नवरात्रों में किसी भी प्रकार से गुस्सा या क्रोध ना करें !
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नौ दिनों में किसी भी महिला या कन्या का अपमान न करें !
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नवरात्रों में बुरा देखना , बुरा सुनना और बुरा कहना छोड़ दें !
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9 दिनों में स्त्री हो या पुरुष , दोनों पवित्रता पर विशेष ध्यान रखें !
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उपवास के समय मानसिक रूप से भी तनाव मुक्त रहने का प्रयास करें !
शारीरिक संयम से नवरात्रों में बचे माता के प्रकोप से
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नवरात्रों में स्त्रिसंग शयन पूर्णत: वर्जित है !
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उपवास में लहसुन व प्याज सेवन ना करें !
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नवरात्रों में देवी की पूजा जूठे मुंह नहीं करना चाहिए !
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अपने शरीर की शारीरिक साफ-सफाई का पूर्ण ध्यान रखें !
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नवरात्रों में शराब, मांस, और मसालेदार भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए
नवरात्रो में कठिन उपवास और व्रत रखने का महत्व है ! उपवास रखने से अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई हो जाती है ! उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाऔ से मनोकामनाएं पूर्ण होती है !
-: इन लेखो के बारे में भी जाने :-
जाने उपवास कितने प्रकार के होते हैं
:- सरल उपवास -:
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1 प्रात: उपवास :- इस उपवास में सुबह का नाश्ता छोड़कर पूरे दिन में दो बार ही भोजन किया जाता है !
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2. फलोपवास :- इस उपवास में सिर्फ फल, फलों का रस, सलाद आदि पर ही निर्भर रहना पड़ता है !
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3. दुग्धोपवास :- इस उपवास में सिर्फ दिन में 4-5 बार केवल दूध ही पी कर ही उपवास रखना पड़ता है !
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4. एकाहारोपवास :- इस उपवास में एक टाईम के भोजन में सिर्फ एक ही चीज खाई जाती है ! अगर आपने सुबह के समय रोटी खाई तो शाम को केवल सब्जी ही खाये ! अगले दिन सुबह कोई फल और शाम को सिर्फ दूध ले !
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5. रसोपवास :- इस उपवास में ज्यादा भारी आहार नहीं खाए जाते, सिर्फ रसदार फलों के रस एवम् साग-सब्जियों के रस पर ही रहना होता है ! इस उपवास में दूध पीना भी वर्जित है !
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6. अद्धोपवास :- इस उपवास में सिर्फ दिन में एक ही बार भोजन करना चाहिए ! इसे शाम का उपवास भी कहा जात है !
:- कठीन उपवास -:
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1. पूर्णोपवास :- इस उपवास में सिर्फ स्वच्छ ताजे पानी के अन्य किसी और चीज को बिलकुल न खाना पूर्णोपवास कहलाता है ! इस उपवास में बहुत सारे कठीन नियमों का पालन भी करना पड़ता है ! इस कठिन उपवास को करने वाले साधक नौ दिन कहीं भी बाहर नहीं जाते हैं !
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2. साप्ताहिक उपवास :- इस उपवास में पूरे सप्ताह में सिर्फ स्वच्छ पानी पीकर पूर्णोपवास के नियमों का पालन करना पड़ता है ! इस तरह यह उपवास साप्ताहिक उपवास कहलाता है !
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3. लघु उपवास :- यह उपवास 3 से 7 दिनों तक चलता है ! इस उपवास को लघु उपवास भी कहते हैं !
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4. तक्रोपवास :- इस उपवास को मठाकल्प भी कहा जाता है ! उपवास में जो मठा लिया जाता हैं ! उसमें घी की मात्रा कम होनी चाहिए और वो खट्टा भी नहीं होना चाहिए ! यह उपवास कम से कम 2 महीने तक आराम से किया जा सकता है !
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5. दीर्घ उपवास :- इस उपवास में 21 से लेकर 50-60 दिन तक कर सकते है ! दीर्घ उपवास में पूर्णोपवास बहुत दिनों तक करना पड़ता होता है ! इस उपवास के लिए कोई निश्चित समय नहीं होता ! यह उपवास तभी तोड़ा जाता है, जब स्वाभाविक भूख का एहसास होता है !
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6 . कठोर उपवास :- जिन व्यक्तियों को बहुत भयानक या लाइलाज रोग होते हैं ! यह कठोर उपवास उनके लिए बहुत लाभकारी होता है ! इस उपवास में पूर्णोपवास के सारे नियमों को सख्ती से पालना करनी पड़ती है !
अगर आप इन उपवासओ के बारे में भी जानना चाहते हो तो कृपया कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें
1. पाक्षिक व्रत :- 2. त्रैमासिक व्रत :- 3. छह मासिक व्रत :- 4. वार्षिक व्रत :-
बहुत से लोग उपवास में एक समय भोजन और एक समय साबूदाने की खिचड़ी खा लेते हैं ! कुछ लोग दोनों ही समय भरपेट साबूदाने की खिचड़ी या राजगिरे के आटे की रोटी और भींडी की सब्जी खा लेते हैं ! ऐसा करना किसी भी तरह से व्रत और उपवास के अंतर्ग नहीं आता है ! उपवास का अर्थ होता है एक समय या दोनों समय भूखे रहना ! लेकिन लोगों के अपनी सुविधानुसार रास्ते निकाल लिए हैं जो कि अनुचित है !
नवरात्रियों में कठिन उपवास और व्रत रखने का महत्व है। उपवास रखने से अंग-प्रत्यंगों की पूरी तरह से भीतरी सफाई हो जाती है। उपवास में रहकर इन नौ दिनों में की गई हर तरह की साधनाएं और मनोकामनाएं पूर्ण होती है।
व्रत और उपवास दोनों में फर्क है ! व्रत में मानसिक विकारों को हटाया जाता है, तो उपवास में शारीरिक ! मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह के संयम का नवरात्रि में पालन करना जरूरी है !
आपको यह जानकारी कैसी लगी कमेंट में जरूर बताना ! सनातन की इस जानकारी को अधिक से अधिक शेयर करना ! इस लेख में दी गई जानकारियां धार्मिक मान्यताओं पर आधारित हैं !
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जय माता दी
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