आज से नवरात्रे शुरू हो रहे हैं ! नवरात्रों में प्रथम पुजा मां शैलपुत्री की जाती है ! पूरे नौ दिनों तक मां दुर्गा के नवस्वरूपों की पूजा की जाती है ! देवी दुर्गा के नवस्वरूपों में सबसे पहला स्वरूप शैलपुत्री का हैं।
कई लोगों को यह नहीं पता होता कि कौन से दिन किस देवी की पूजा करनी है और किस विधान से करनी है ! आज हम माँ के प्रथम रूप शैलपुत्री के बारे में बात करेंगे !
नवरात्रों में प्रथम पुजा मां शैलपुत्री की जाती हैं वो कौंन हैं जानते हैं ! मां शैलपुत्री अपने पूर्वजन्म में प्रजापति दक्षराज की कन्या थीं ! और तब उनका नाम सती था ! आदिशक्ति देवी सती का विवाह भगवान शंकर से हुआ था !
एक बार दक्षराज ने विशाल यज्ञ का आयोजन किया था ! जिसमें सभी देवी-देवताओं को आमंत्रित किया गया ! परन्तु भगवान शंकर जी को आमंत्रण नहीं दिया ! इस अपमान से क्रोधित होकर सती जब अपने पिता के यज्ञ में पहुंची !
तो दक्षराज ने भगवान शंकर के विरुद्ध बहुत अपमान जनक शब्द कहे ! देवी सती अपने पति भगवान शंकर का अपमान सहन नहीं कर पाईं ! और वहीं यज्ञ की वेदी में कूद कर अपने प्राण त्याग दिए !
अगले जन्म में देवी सती शैलराज हिमालय की पुत्री बनीं ! और शैलपुत्री के नाम से जानी गईं ! जगत-कल्याण के लिए इस जन्म में भी उनका विवाह भगवान शंकर से ही हुआ ! पार्वती और हेमवती उनके ही अन्य नाम हैं !
नवरात्रों में प्रथम पुजा मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है ! पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने के कारण इन नाम शैलपुत्री रखा गया। ! शैलपुत्री नंदी नाम के वृषभ पर सवार होती हैं ! और इनके दाहिने हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल का पुष्प है।
अगर आप मां दुर्गा के पहले स्वरूप की पूजा पूरे विधि विधान से करते है ! तो आपको मिलने वाला फल दोगुना हो जाएगा ! कहा जाता है कि महिलाओं के लिए मां शैलपुत्री की पूजा काफी शुभ मानी गई है।
शारदीय नवरात्रों में प्रथम पुजा मां शैलपुत्री की पूजा होती है। शैल का मतलब पत्थर होता है ! और पत्थर को हमेशा अडिग माना जाता है ! माता शैल को सफेद वस्तुए ही अप्रिय हैं ! इसलिए माता की पूजा में सफेद फूल, सफेद मिष्ठान का भोग और सफेद वस्त्र अर्पित किए जाते हैं !
मां शैलपुत्री को अखंड सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है ! शैलपुत्री की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है ! अगर हमारे जीवन में स्थिरता और शक्ति की कमी है तो मां शैलपुत्री की पूजा जरूर करनी चाहिए ! महिलाओं के लिए मां शैलपुत्री की पूजा काफी शुभ मानी गई है ।
पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा पूरे विधि-विधान से करने के लिए सबसे पहले उस जगह को पहले साफ करें ! लकड़ी के एक पाटे पर मां की तस्वीर रखें। उसे शुद्ध जल से साफ करें ! कलश स्थापित करने के लिए लड़की के पाटे पर लाल कपड़ा बिछाएं।
फिर उसमें शुद्ध जल भरें, आम के पत्ते लगाएं और पानी वाला नारियल उस कलश पर रखें ! इसके बाद उस कलश पर रोली से स्वास्तिक का निशान बनाएं ! अब उस कलश को स्थापित कर दें ! नारियल पर कलावा और चुनरी भी बांधें। मां शैलपुत्री को कुमकुम लगाएं।
चुनरी उढ़ाएं और घी का दीपक जलाए ! नवरात्र में नौ दिन व्रत रहकर माता की पूजा बड़े ही श्रद्धा भाव के साथ करें ! कुछ लोग नवरात्र में सिर्फ पहला और आखिरी व्रत करते हैं ! जो लोग नौ दिन व्रत नहीं रह पाते वे सिर्फ माता शैलपुत्री का पूजन कर नवरात्रि का फल पा सकते है !
दुर्गा को मातृ शक्ति यानी स्नेह, करूणा और ममता का स्वरूप मानकर पूजा की जाती है ! पूजा में सुपारी, लोंग, घी, सफेद फूल, सफेद वस्त्र, सफेद मिष्ठान का प्रसाद इत्यादि का भोग लगाएं। इसके बाद व्रत का संकल्प लें और मां शैलपुत्री की कथा पढ़ें।
साथ ही मां शैलपुत्री के मंत्र का उच्चारण भी करें। इनकी पूजा में सभी तीर्थों, नदियों, समुद्रों, नवग्रहों, दिक्पालों, दिशाओं, नगर देवता, ग्राम देवता सहित सभी योगिनियों को भी आमंत्रित करें !
देवी शैलपुत्री के चरणों में गाय का घी अर्पित करने से भक्तों को आरोग्य का आशीर्वाद मिलता है ! और उनके परिवार के सभी सदस्यों का मन एवं शरीर दोनों ही निरोगी रहता है !
माता शैलपुत्री के मंत्रो का कम से कम 21 बार जाप अवश्य करें ! साथ ही आपका मूलाधार चक्र तो जाग्रत होगा ही, आपके धन-धान्य, ऐश्वर्य और सौभाग्य में वृद्धि भी होगी ! और आपको आरोग्य, ऐश्वर्या, मान-सम्मान तथा मोक्ष की प्राप्ति भी होगी ! पूजा समाप्ति के बाद आपको माता रानी की आरती अवश्य करनी चाहिए !
शैलपुत्री मां बैल पर सवार, करें देवता जय जयकार ।
शिव शंकर की प्रिय भवानी, तेरी महिमा किसी ने ना जानी ।।
पार्वती तू उमा कहलावे, जो तुझे सुमरे सो सुख पावे ।
ऋद्धि-सिद्धि परवान करे तू, दया करे धनवान करे तू ।।
सोमवार को शिव संग प्यारी, आरती तेरी जिसने उतारी ।
उसकी सगरी आस पुजा दो, सगरे दु;ख तकलीफ मिला दो ।।
घी का सुंदर दीप जला के, गोला गिरी का भोग लगा के ।
श्रद्धा भाव से मंत्र गाएं, प्रेम सहित फिर शीश झुकाएं ।।
जय गिरिराज किशोरी अंबे, शिव मुख चंद्र चकोरी अंबे ।
मनोकामना पूर्ण कर दो, भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो ।।
आपने माता शैलपुत्री की समस्त जानकारी यहां तक पढ़ी ! माता रानी आपकी सभी मनोकामना पूरी करें ! इन नवरात्रों में आपका वैभव, ऐश्वर्या व धन-धान से माता रानी भंडार भरे ! ऐसी मनोकामना हम मां शैलपुत्री से करते हैं !
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