नवरात्रों का महत्व सिर्फ धर्म, अध्यात्म और ज्योतिष की दृष्टि से ही नहीं हैं ! बल्कि वैज्ञानिक दृष्टि से भी नवरात्रों का अपना एक अलग ही महत्व हैं ! आइये हम जानते हैं नवरात्रों के पीछे क्या छुपे हैं वैज्ञानिक आधार
एक वर्ष में कितने नवरात्रे आते हैं ! नवरात्रों से क्या फल मिलता हैं ! हिन्दू नव वर्ष कब शुरू होता हैं !नवरात्रों का धार्मिक महत्व क्या हैं ! नवरात्रों में देवी और नवग्रहों की पूजा क्यों होती हैं ! और इन्ही सब बातों की चर्चा हम यहाँ करेगें !
चैत्र के नवरात्रों से हमारे हिन्दू नववर्ष की गणना में पंचांग शुरू होती हैं ! इसी दिन पुरे वर्ष के लिए राजा, मंत्री, सेनापति, वर्षा कृषि के स्वामी ग्रह का चयन होता हैं ! और पंचांग की गणना के अनुसार वर्ष में अन्न, धन, व्यापार और सुख शांति का आकलन किया जाता हैं !
सूर्य अपनी 12 राशियों में भ्रमण पूरा करते हैं, और फिर से अगला चक्र पूरा करने के लिए पहली राशि मेष में प्रवेश करते हैं ! सूर्य और मंगल की राशि मेष दोनों ही अग्नि तत्व वाले हैं ! इसलिए इनके संयोग से गर्मी की शुरूआत हो जाती हैं !
देवी भागवत पुराण के अनुसार पूरे वर्ष में चार नवरात्रे मनाये जाते हैं ! जिनमें दो गुप्त नवरात्रों (पौष, आषाढ माह के नवरात्रे) सहित शारदीय नवरात्रि (अश्विन मास) और बासंती नवरात्रि (चैत्र मास में) जिसे चैत्र नवरात्रि भी कहते हैं ! वैसे सभी नवरात्रों का आध्यात्मिक दृष्टि से अपना महत्व हैं !
गीता में भगवान श्री कृष्ण ने कहा है कि संपूर्ण सृष्टि प्रकृतिमय हैं ! और वह सिर्फ पुरुष हैं ! यानी हम जिसे पुरुष रूप में देखते हैं वह भी आध्यात्मिक दृष्टि से प्रकृति यानी स्त्री रूप हैं ! स्त्री से यहां मतलब यह है कि जो पाने की इच्छा रखने वाला है वह स्त्री है और जो इच्छा की पूर्ति करता है वह पुरुष हैं !
ज्योतिष की दृष्टि से शारदीय नवरात्रों का विशेष महत्व हैं ! क्योंकि इस नवरात्रों के दौरान सूर्य का राशि परिवर्तन होता हैं ! आध्यात्मिक दृष्टि से देखें तो यह प्रकृति और पुरुष के संयोग का भी समय होता हैं ! प्रकृति मातृशक्ति हैं, इसलिए इस दौरान देवी मां की पूजा का विधान हैं !
ऋतु बदलने के लिए समय रोग जिन्हें आसुरी शक्ति कहते हैं ! उनका अंत करने के लिए हवन, पूजन किया जाता हैं !
जिसमें कई तरह की जड़ी-बूटियों और वनस्पतियों का प्रयोग किया जाता हैं ! हमारे ऋषि मुनियों ने न सिर्फ धार्मिक दृष्टि को ध्यान में रख कर नवरात्रों में व्रत और हवन पूजन करने के लिए कहा हैं ! बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी हैं ! नवरात्रों के दौरान व्रत और हवन पूजन दीर्घायु व स्वास्थ्य के लिए बहुत ही उत्तम हैं !
इसका कारण यह हैं कि चारों नवरात्रों में ऋतुओं के संधिकाल में होते हैं ! यानी इस समय मौसम में बदलाव होता हैं ! जिससे शारीरिक और मानसिक बल की कमी आती हैं ! शरीर और मन को पुष्ट और स्वस्थ बनाकर नए मौसम के लिए तैयार करने के लिए व्रत किया जाता हैं !
चैत्र नवरात्रों का धार्मिक दृष्टि से खास महत्व हैं ! क्योंकि चैत्र नवरात्रों के पहले दिन आदिशक्ति मां भगवती प्रकट हुई थीं ! और देवी के कहने पर ही ब्रह्मा जी ने सृष्टि के निर्माण का काम शुरू किया था ! इसलिए चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से हिंदू नववर्ष शुरू होती हैं !
चैत्र नवरात्रों के तीसरे दिन भगवान विष्णु ने मत्स्य रूप में पहला अवतार लेकर पृथ्वी की स्थापना की थी ! इसके बाद भगवान विष्णु का सातवां अवतार जो भगवान राम का है वह भी चैत्र के नवरात्रों में हुआ था !
नवरात्रों में प्रथम पुजा मां शैलपुत्री की
पहाड़ी माता का मन्दिर PAHADI – 2
क्या धार्मिक महत्व है स्वास्तिक का
नवरात्रों में बचे माता के प्रकोप से
दरअसल ये चारों नवरात्रे ऋतु चक्र पर आधारित हैं और सभी ऋतुओं के संधिकाल में मनाई जाती हैं ! शारदीय नवरात्रे (अश्विन मास) वैभव और भोग प्रदान करने वाली हैं ! गुप्त नवरात्रे (पौष, आषाढ माह के नवरात्रे) तंत्र सिद्धि के लिए विशेष महत्व रखते है ! जबकि चैत्र के नवरात्रे (चैत्र मास में) आत्मशुद्धि और मुक्ति के लिए किये जाते हैं !
नवरात्रों में देवी और नवग्रहों की पूजा का कारण यह भी है कि ग्रहों की स्थिति पूरे वर्ष अनुकूल रहे ! और जीवन में खुशहाली बनी रहे ! क्योंकि इस समय आदिशक्ति जिन्होंने इस पूरी सृष्टि को अपनी माया से ढका हुआ हैं !
जिनकी शक्ति से सृष्टि का संचालन हो रहा हैं ! जो भोग और मोक्ष देने वाली देवी हैं वह पृथ्वी पर होती हैं ! इसलिए इनकी पूजा और आराधना से इच्छित फल की प्राप्ति अन्य दिनों की अपेक्षा जल्दी होती हैं !
हमारे ऋषि मुनियों ने न सिर्फ धार्मिक दृष्टि को ध्यान में रख कर नवरात्रों में व्रत और हवन पूजन करने के लिए कहा हैं ! बल्कि इसका वैज्ञानिक आधार भी हैं ! कि ऋतु बदलने के समय रोग उत्पन्न हो जाते हैं ! जिन को दूर करने के लिए नवरात्रों में व्रत और हवन पूजन स्वास्थ्य के लिए बहुत ही सर्वोतम माना जाता हैं !
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