नरसिंह भगवान की आरती : धार्मिक ग्रंथो के अनुसार नरसिंह जी भगवान विष्णु के चौथे अवतार माने जाते हैं ! भगवान नरसिंह की जयंती वैशाख महीने की शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को बड़ी धूमधाम से मनाई जाती है ! दक्षिण भारत में नरसिंह जी को वैष्णव संप्रदाय के लोग संकट के समय रक्षा करने वाले देवता के रूप में पूजते हैं !
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भगवान नरसिंह ने अपने भक्त प्रलहाद की रक्षा के लिए आधे नर और आधे सिंह के रूप में अवतार लेकर दैत्यराज राजा हिरण्यकश्यप का वध किया था ! क्योकि उसके राज्य में जो भी भगवान का नाम लेता उन पर हिरण्यकश्यप बहुत अत्याचार करता था ! हिरण्यकश्यप चाहता था कि उनके राज्य की प्रजा उसे ही भगवान की तरह पूजे !
हिरण्यकश्यप का बेटा प्रह्लाद बहुत भगवान विष्णु का परम भक्त था ! प्रह्लाद के पिता हिरण्यकश्यप ने उसे बहुत समझाया और डर दिखाया ! लेकिन जब प्रह्लाद ने उसकी एक बात भी नहीं मानी ! तब उसने अपने बेटे प्रह्लाद को पहाड़ी से नीचे फेंकने का आदेश अपने सेनिको को दिया !
परन्तु भगवान विष्णु की कृपा से प्रहलाद को कुछ भी नहीं हुआ ! जब हिरण्यकश्यप को इस बात का पता चला तो वह क्रोध से तिलमिला उठा और भगवान को ललकारने लगा ! उसी समय उसके महल का खंभा फटा और नरसिंह भगवान अवतरित हुए !
भगवान नरसिंह का यह रूप देखकर हिरण्यकश्यप कांप उठा ! और अपनी गोद में बिठाकर अपने नाखूनों से उसकी छाती चीर दिया !