श्री जाहरवीर जी की आरती हिंदी में
जाहरवीर जी की आरती : राजस्थान के लोक देवता गोगाजी चौहान हैं ! जिन्हे जाहरवीर के नाम से भी जाना जाता हैं ! राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले का एक विख्यात शहर गोगा मेड़ी के नाम से प्रशिद्ध है। यहां भादवा महीने की कृष्णपक्ष की नवमी को गोगाजी देवता का विशाल मेला लगता हैं !
इन्हें हिन्दू और मुसलमान के आलावा सभी धर्मो के लोग पूजते हैं ! गुजरात मे रेबारी जाती के लोग गोगाजी को गोगा महाराज केे नाम सेे पुकारते हैं ! और कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं !
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श्री जाहरवीर जी की आरती
Shri Jaaharvir Ji Ki Aarti
जय जय जाहरवीर हरे,
जय जय गूगा वीर हरे I
धरती पर आ करके,
भक्तों के दु:ख दुर करे II
जय जय जाहरवीर हरे.. (१)
जो कोई भक्ति करे प्रेम से,
हाँ जी करे प्रेम से I
भागे दु:ख परे विधन हरे,
मंगल के दाता तन का कष्ट हरे II
जय जय जाहरवीर हरे.. (२)
जेवर राव के पुत्र कहाये,
रानी बाछल माता I
बागड़ जन्म लिया वीर ने,
जय-जयकार करे II
जय जय जाहरवीर हरे.. (३)
धर्म की बेल बढ़ाई निश दिन,
तपस्या रोज करे I
दुष्ट जनों को दण्ड दिया,
जग में रहे आप खरे II
जय जय जाहरवीर हरे.. (४)
सत्य अहिंसा का व्रत धारा,
झूठ से आप डरे I
वचन भंग को बुरा समझकर,
घर से आप निकरे II
जय जय जाहरवीर हरे.. (५)
माड़ी में तुम करी तपस्या,
अचरज सभी करे I
चारों दिशा में भक्त आ रहे,
आशा लिए उतरे॥
जय जय जाहरवीर हरे.. (६)
भवन पधारो अटल क्षत्र कह,
भक्तों की सेवा करे
प्रेम से सेवा करे जो कोई,
धन के भण्डार भरे॥
जय जय जाहरवीर हरे.. (७)
तन मन धन अर्पण करके,
भक्ति प्राप्त करे I
भादों कृष्ण नौमी के दिन,
पूजन भक्ति करे II
जय जय जाहरवीर हरे.. (८)
जय जय जाहरवीर हरे,
जय जय गूगा वीर हरे
धरती पर आ करके भक्तों,
के दु:ख दुर करे
जय जय जाहरवीर हरे.. (९)
II इति श्री जाहरवीर की आरती सम्पूर्ण II
गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के शासक जैबरजी (ठाकर जेवरसिंह) की पत्नी बाछल कंवर के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था !
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