गुरुवर की आरती हिंदी में
गुरुजी की आरती गुरु पूर्णिमा पर गुरु पूजा के बाद अवश्य करनी चाहिए ! क्योकि शास्त्रो में गुरु को भगवान से भी बढ़कर बताया गया है ! गुरु पूजा से पहले इस श्लोक का उच्चरण कर गुरु के चरणों में वंदन करें !
गुरू ब्रह्मा गुरू विष्णु, गुरु देवो महेश्वरा,
गुरु साक्षात परब्रह्म, तस्मै श्री गुरुवे नम:
अर्थात गुरु ही ब्रह्मा है, गुरु ही विष्णु है और गुरु ही भगवान शंकर है। गुरु ही साक्षात परब्रह्म है। ऐसे गुरु को मैं प्रणाम करता हूं।
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गुरुजी की आरती
Guru ji Ki Aarti
आरती गुरुदेव की कीजै,
अपनों जन्म सफल कर लीजै I
कंचन थाल कपूर की बाती,
जगमग जोति जले दिन राती II (१)
भाव सहित गुरु भक्ति कीजै,
आरती गुरुदेव की कीजै I
काम क्रोध मन लोभ बिसारो,
गुरु मूर्ति ह्रदय में धारो II (२)
तन मन धन गुरु अर्पण कीजै,
आरती गुरुदेव की कीजै I
भाव के फूल भक्ति की माला,
श्रद्धा दीपक ज्योति उजाला II (३)
श्रीगुरु चरन कमल चित दीजै,
आरती गुरुदेव की कीजै I
भक्ति ज्ञान सदा उर आवे,
जो जन गुरु सरणी में जावे II (४)
गुरु कृपा भव रोग हरी जे,
आरती गुरुदेव की कीजै I
चार पदारथ सभी बतावें,
गुरु सेवा कर तिनको पावे II (५)
अति अनुराग वारणै लीजै,
आरती गुरुदेव की कीजै I
जो कोई गुरु आरती गावे,
बिन श्रम सकल मुक्ति जन पावे II (६)
इन्द्र मुनि गुरु चरण गहीजै,
आरती गुरुदेव की कीजै I
अपनों जन्म सफल कर लीजै,
आरती गुरुदेव की कीजै II (७)
II इति गुरुजी की आरती सम्पूर्ण II
गुरुजी की आरती (२)
Guru ji Ki Aarti
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए,
चरण में पड़े हैं उद्धार कीजिए I
नैनों के दीपक में संजोए भक्ति भाव की बाती,
आँसुओं का तेल भरा उम्मीद की लौ जलाती II (१)
ये ज्योत हृदय की उजियार कीजिए,
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए I
तरस रही अखियाँ व्यथित हुआ मन,
लगी हुई हैं दिल को दरश की लग II (२)
अब देके शीघ्र दर्शन कृतार्थ कीजिए,
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए I
जग में भटक रहे हैं दर दर ठोकर तुम बिन खाते,
याद हैं आती हमको गुरूवर की प्यारी बातें II (३)
मिले गुरू दीदार ये उपकार कीजिए,
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए I
जीवन की ये काली रातें तुम बिन ऐसी बीते,
चाँद दरश बिना चातक जैसे रहे रीत के रीते II (४)
दे के दरश हमको उबार लीजिए,
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए I
जैसे भी हैं तेरे ही हैं सारा जग ये जाने,
सारे जग को छोड़के बापू तुमको अपना माने II (५)
व्यथा मेरी प्रभुजी अब देख लीजिए,
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए I
प्रभु की बाते होती जब हम संग जोगी के होते,
बिन तेरे हे बापू हम सब हर पल हैं कुछ खोते II (६)
आके हमको खुशियाँ बेशुमार दीजिये I
गुरूजी मेरी आरती स्वीकार कीजिए II
II इति गुरुजी की आरती सम्पूर्ण II
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