श्री इन्द्र बाईसा की आरती हिंदी में
इन्द्र बाईसा की आरती : आदि शक्ति माँ इन्द्र बाईसा जोधपुर मण्डल के नागौर जिले के अन्तर्गत खुड़द गाँव में अवतरित हुई ! माँ धापूबाई की कोख से वि.स. 1964 के आषाढ शुक्ला नवमी शुक्रवार के दिन श्री इन्द्रकुंवर बाई का जन्म हुआ था ! इन्द्र बाईसा की एक बहन सरदार कुंवरी तथा चार भाई श्री भंवरदानजी, पाबूदानजी, महेशदान जी, अम्बादानजी थे !
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इन्द्र बाईसा की आरती
Indra Baisa Ki Aarti
ॐ जय जय इन्द्राणी,
माँ जय जय इन्द्राणी।
मरूधर में माँ प्रगटिया,
जग सारे जाणी॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (१)
सागर सुता सुलोचनी,
मोचिनी दुःख माता।
धापू कोख जनमिया,
धनि-धनि धनदाता ॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (२)
महा शक्ति जग मानो,
पुरुष प्रकृति रूपा ।
सावंल वदन सुकोमल,
सेवत भव भूपा॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (३)
रतनूं वंश में रोशन,
आवड़ अवतारी ।
कृपा करो करूणा मयि,
मो पर महतारी ॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (४)
अगनित रवि शशि आभा,
लखि तब मुख लाजे ।
सिर पर सोहत साफा,
छवि अतुलित छाजे ॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (५)
धोती कोट दुशाला,
मुक्तन गल माला।
सिंहासन पर सोहत,
हस्त लिए माला ॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (६)
शरणागत सुख दायिनी,
दया मग्री देवी।
चरण शरण तब चण्डी,
सेवक पर सेवी॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (७)
क्षमा करो माँ शक्ति,
गुण अवगुण मेरे।
दुःखी बड़ा हूँ देवी,
द्वार पड़ा तेरे॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (८)
गंग तिहारी गरिमा,
गोरी अब गाई।
मुक्ति देहूँ मोहि माता,
सुत को शरणाई॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (९)
बाई इन्द्र मो विनती,
सुनता निज शक्ति।
चरण कमल में चित हो,
पाऊँ दूढ़ भक्ति॥
ॐ जय जय इन्द्राणी.. (१०)
II इति श्री इन्द्र बाईसा की आरती सम्पूर्ण II
करणी माता का मंदिर देशनोक के बाद सर्वाधिक मान्यता वाला और श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र मकराना उपखंड क्षेत्र के गांव गेहड़ा कला के खुड़द में बना श्री इंद्र बाईसा का मंदिर हैं ! विक्रम संवत 1964 में जन्मी इंद्र बाइसा को आवड़ माता (करणी माता) का चौथा अवतार मान कर पूजा जाता है !
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