आपको हर रोज आरती श्री भगवद् गीता जी की, श्री भगवद् गीता का एक पाठ करने की बाद अवश्य करनी चाहियें ! भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को महाभारत युद्ध आरम्भ होने के ठीक पहले जो उपदेश दिया ! वह श्री मद्भगवद्गीता के नाम से प्रसिद्ध हुआ !
भगवान श्रीकृष्ण ने मद्भगवद्गीता में कर्म को प्रधान बताया हैं ! श्रीकृष्ण ने अर्जुन से कहा की हे पार्थ ! जो मनुष्य जैसा कर्म करेगा उसका फल निश्चित तोर से उसे भुगतना पड़ेगा !
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गीता में 18 अध्याय और 700 श्लोक हैं। और गीता का दूसरा नाम गीतोपनिषद है ! गीता के नियमित पाठ से हमारा मन शान्त रहता है। हमारे अंदर के सारे नकारात्मक प्रभाव नष्ट होने लगते हैं। सभी प्रकार की बुराइयों से दूरी खुद-ब-खुद बनने लगती है। हमारे अंदर का सारा भय दूर हो जाता है और हम निर्भय बन जाते हैं।
श्री कृष्ण भगवान ने गीता में कहा की हे पृथापुत्र पार्थ! तुम मुझको ही सभी प्राणियों का सनातन कारण और अनादि-अनन्त बीज समझो। मैं ही बुद्धिमानों की बुद्धि और तेजस्वी मनुष्यों का तेज हूँ। देवकीनन्दन वासुदेव ही सम्पूर्ण विश्व के कारण हैं